आइए मिलवाते हैं एक ऐसे शख्स से जो सोते हैं तो लग रहा है जाग रहें है, जब जागते हैं तो लगता है सो रहे हैं

आइए मिलवाते हैं एक ऐसे शख्स से जो सोते हैं तो लग रहा है जाग रहें है, जब जागते हैं तो लगता है सो रहे हैं

रांची. आंख कुदरत का दिया हुआ वो नायाब तौहफा है, जिससे दुनिया रंगीन लगती है. आंखें अच्छा- बुरा सब कुछ देख लेती हैं. बैगर आंखों के हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा होता है.

रांची के अमर वर्मा के जीवन में एक चूक की वजह से पिछले 25 साल से अंधेरा पसरा हुआ है. अमर सोते हुए जागते हैं और जागते हुए सोते हैं. विश्वास मानिये अमर की आपबीती सुनने के बाद आपकी आंखें भर आएंगी.

किसी ने खूब कहा है, इस खूबसूरत दुनिया को देखने के लिये खूबसूरत आंखों का होना जरूरी है. वरना ये रंग-बिरंगी दुनिया भी बेजार-बेजान सी लगती है. किसी भी प्राणी के जीवन में कुदरत की दी हुई दो आंखों का क्या महत्व है, ये बताने की जरूरत नहीं. बस इसे महसूस किया जा सकता है. शायद ठीक उसी तरह जैसे पुरानी रांची निवासी अमर वर्मा पिछले 25 साल से महसूस कर रहे हैं.

साल 1996 से पहले उनकी दुनिया भी दूसरों की तरह रंगीन थी. आंखों की मस्ती- आंखों की गुस्ताखियां और आंखों से दिल में उतरने की तमन्ना और ना जाने कितनी तरह की ख्वाहिशें. लेकिन एक घटना क्रम ने उनसे आंखों के सामने से बगैर पलक झपके सब कुछ बदल दिया.

साल 1996 की वो काली रात और आज का दिन जब उनकी आंखें खुली की खुली है. 25 साल हो गए आज तक अमर की आंखें पलक नहीं झपकती है. वो हर दिन- हर लम्हा सोते हुए जागते हैं और जागते हुए सोते हैं. कोई दवा, कोई डॉक्टर उनकी आंखों की पलकों को झुकाने में कामयाब नहीं हुए.

लोग अंधेरों से भागते हैं, पर अमर की आंखों की जलन को अंधेरे में सुकून मिलता है. हर किसी के सामने उसकी बस एक ही गुजारिश रहती है कोई उसके पुराने दिन लौटा दे. वो फिर से दुनिया की खूबसूरती को देखने की तमन्ना रखता है, पर क्या करें जेब में उतने पैसे नहीं है कि वो बड़े अस्पताल में जा कर अपना इलाज करा सके.

पुरानी रांची की गलियों में अमर की एक छोटी सी गुमटी है. इस गुमटी में लोगों को बेचने के लिये चार सामान तक नहीं है. अमर आंखों से ठीक ढंग से देख नहीं पाता, इसका फायदा मोहल्ले वाले उठाते हैं. कभी पैसा दिया, तो कभी बिना दिए ही लोग सामान ले जाते हैं. पत्नी गीता दूसरों के घर झाड़ू- पोछा कर किसी तरह अपने पति का हाथ बंटाने में लगी है. पति- पत्नी के अलावे चार बच्चों वाले इस परिवार में दो की शादी तो हो गई, पर आगे क्या होगा वो कोई नहीं जानता.

अमर की जवानी की तस्वीर देखने के बाद आपकी आंखें खुली की खुली रह जाएंगी. बायें पैर का इलाज कराने गए अमर को कहां पता था कि वो पैर के साथ- साथ अपनी दोनों आंखों से भी हाथ धो बैठेगा. अब तो उसकी तरफ लोग देखते ही मुंह फेर लेते हैं. साभार न्यूज 18.

अमर वर्मा 

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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