वाराणसी । पूर्वांचल के वाराणसी, गाजीपुर व चंदौली सहित जौनपुर जिले के 20 सीओ से आइजी वाराणसी द्वारा मांगा गया है स्पष्टीकरण।
वादी को न्याय कैसे मिलेगा, थाने में मुक़दमा दर्ज होने व जांच पूरी होने के बावजूद विवेचक द्वारा न्यायालय में चार्टशीट दाखिल नहीं करना घोर लापरवाही है, वही देखा जाता है की ज्यादातर चार्टशीट सीओ के कार्यालय में पड़ी होती हैं जबकि यह जिम्मेदारी सीओ की है कि चार्टशीट तय अवधि में न्यायालय में दाखिल कराएं, नही तो उस दशा में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि तय अवधि में न्यायालय में चार्टशीट दाखिल न कराए जाना कही न कही आरोपित को फायदा पहुचाने के साथ ही वादी को न्याय न मिलना, आखिर वादी को न्याय कैसे मिलेगा जब पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज होने के बाद विवेचना पूरी होने के बावजूद तय अवधि पर न्यायालय में चार्टशीट दाखिल नहीं किया जाता है जिसमें पुलिस की लापरवाही कहा जाए या आरोपित को लाभ पहुंचाने के रणनीति कहा जाए?
उक्त मामले की लापरवाही को संज्ञान में लेते हुए आइजी वाराणसी रेंज ने वाराणसी ग्रामीण, जौनपुर, गाजीपुर, सहित चंदौली जिले के 20 सीओ से मांगा हैं स्पष्टीकरण, आइजी रेंज वाराणसी ने यह अभियान चलाकर 31 मार्च तक न्यायालय में चार्टशीट दाखिल करने को कहा है जिससे आरोपितों पर कार्यवाही हो सके, आपको बताते चले की रेंज में 7167 चार्टशीट व 1174 एफआर फाइनल रिपोर्ट लगने के बाद भी न्यायालय में दाखिल नहीं हो सका, वही मुकदमा दर्ज होने आरोपित के जेल जाने के बाद विवेचक जांच अधिकारी को अधिकतम 90 दिन के अंदर चार्टशीट आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल करना होता है जो इस अवधि में चार्टशीट दाखिल न होने पर आरोपित को न्यायालय से जमानत मिलने में आसानी हो जाती हैं, वही देखा जाता है की यदि न्यायालय में 90 दिन के अंदर चार्टशीट दाखिल नहीं करने पर मजिस्ट्रेट कई बार पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं विवेचक या जिम्मेदार अधिकारी को तलब भी कर चुके हैं, चार्टशीट का मतलब हैं कि पुलिस ने पूछताछ कर ली है और अपनी तरफ से जांच पूरी कर दी हैं, चार्टशीट दाखिल होने के बाद केस की मेरिट पर ही जमानत तय होती हैं वही न्यायालय में ट्रायल के दौरान अहम गवाहों ने आरोपित के खिलाफ बयान दिए हो तो भी आरोपित को जमानत नहीं मिलेगी, यदि मामला गंभीर हो और गवाहों को डराने या केस के प्रभावित होने का अंदेशा हो तो चार्ज फ्रेम होने के बाद भी जमानत नहीं मिलती है, वही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि किसी अपराध में पुलिस आरोपित के खिलाफ निर्धारित समयावधि के 90 दिन में आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पाती है तो आरोपित को जमानत पाने का स्वतः अधिकार मिल जाता हैं।
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आईजी वाराणसी |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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