वाराणसी । काशी, मथुरा, दिल्ली, आगरा से लेकर मध्य प्रदेश के धार तक मंदिर-मस्जिद का विवाद जारी है। इन विवादों में हिंदू पक्ष का दावा है कि मुस्लिम आक्रांताओं ने हिंदुओं की आस्था पर चोट पहुंचाई थी। 60 हजार से ज्यादा मंदिरों को तोड़ डाला गया था। कई मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण कराया गया था। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि क्या सच में भारत में 60 हजार से ज्यादा हिंदू, जैन और बौद्ध मंदिरों को तोड़ दिया गया था? साथ ही उन 10 मंदिरों की कहानी बताएंगे जिसके बारे में पूरी दुनिया को मालूम है।
प्रमुख मंदिरों का नाम
1. वाराणसी : काशी विश्वनाथ मंदिर से सटा ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहा विवाद सबसे ज्यादा चर्चा में है। कोर्ट आदेश पर 17 मई से पहले इस परिसर का सर्वे होना है। हालांकि, इससे पहले मुस्लिम पक्ष इस सर्वे पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है।
2. मथुरा : मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद है। 12 मई को इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई। 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। याचिका में पूरी जमीन लेने और श्री कृष्ण जन्मभूमि के बराबर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की भी मांग की गई है। इस मामले में मथुरा की सेशन कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने इस मामले में 19 मई तक फैसला सुरक्षित रखा है।
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काशी विश्वनाथ मंदिर |
3. दिल्ली : राजधानी दिल्ली स्थित कुतुब मीनार को लेकर भी विवाद जारी है। मीनार की दीवारों पर सदियों पुराने मंदिरों के अवशेष साफ दिखाई पड़ते हैं। इसमें हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और मंदिर की वास्तुकला मौजूद है। इसे मीनार के आंगन में साफ देखा जा सकता है। मीनार के अंदर भगवान गणेश और विष्णु की कई मूर्तियां हैं। कुतुब मीनार के प्रवेश द्वार पर एक शिलालेख है जिस पर लिखा है कि इसमें प्रयुक्त खम्भे और अन्य सामाग्री 27 हिन्दू और जैन मंदिरों को ध्वस्त करके प्राप्त की गई थी।
4. आगरा : ताजमहल को लेकर भी विवाद जारी है। इसे लेकर भी हाईकोर्ट में एक याचिका लगी थी। जिसे गुरुवार को कोर्ट ने खारिज कर दिया। याचिका लगाने वालों का दावा है कि ताजमहल तेजो महालय नाम का शिव मंदिर है।
5. धार : मध्य प्रदेश के धार में भोजशाला को लेकर विवाद है। इंदौर हाईकोर्ट में दो मई को याचिका दायर की गई है। इसमें भोजशाला को पूर्णत: हिंदुओं के अधिकार में देने की मांग की गई है।
क्या सच में 60 हजार से ज्यादा मंदिर तोड़े गए?
ये जानने के लिए हमने इतिहासकार अशोक गौतम से बात की। उन्होंने कहा, 'मुगलकाल में आक्रांताओं ने काफी तरह से भारत की संस्कृति, हिंदू धर्म की आस्था को खंडित करने की कोशिश की। मंदिरों को तोड़ने का काम इसी में से एक है। मुगल काल में तोड़े गए मंदिरों की एकदम सही संख्या बता पाना मुश्किल है, क्योंकि उस दौरान का इतिहास भी मुगल शासकों ने अपने अनुसार लिखवाया था। हां, ये जरूर कहा जा सकता है कि कई हजार मंदिरों को मुगलों ने तोड़ दिया। कई के सबूत आज भी मौजूद हैं।'
कहानी उन दस मंदिरों की, जिसके बारे में पूरी दुनिया जानती है
मुगलकाल में कई मंदिरों पर आक्रांताओं ने हमला किया था।
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मार्तण्य सूर्य मंदिर, अनंतनाग कश्मीर - फोटो : अमर उजाला
मार्तण्य सूर्य मंदिर, अनंतनाग कश्मीर
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मार्तण्य सूर्य मंदिर, अनंतनाग कश्मीर |
कश्मीर घाटी के अनंतनाग में कर्कोटा समुदाय के राजा ललितादित्य मुक्तिपाडा ने लगभग 725-61 ईस्वी में इस ऐतिहासिक और विशालकाय मार्तण्य सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था। ये कश्मीर के सबसे पुराने मंदिरों में शुमार है। अनंतनाग से पहलगाम के बीच एक जगह है, जिसे मटन कहा जाता है। कहा जाता है कि इसे मुस्लिम शासक सिकंदर बुतशिकन ने तुड़वाया दिया था।
मुस्लिम इतिहासकार हसन अपनी किताब 'हिस्ट्री ऑफ कश्मीर' में लिखते हैं कि 1393 के आसपास सबसे ज्यादा कश्मीरी पंडितों पर सुल्तान बुतशिकन ने कहर बरपाया था। इतिहासकार नरेंद्र सहगल ने भी इसका जिक्र अपनी किताब व्यथित जम्मू कश्मीर में किया है। इसमें उन्होंने लिखा है, 'पंडितों पर जब अत्याचार हो रहा था तब हजरत अमीर कबीर (तत्कालीन धार्मिक नेता) ने ये सब अपनी आंखों से देखा। उसने मंदिर नष्ट किया और बेरहमी से कत्लेआम किया।'
गुजरात के काठियावाड़ में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ मंदिर है। ये समुद्र के किनारे स्थित है। इसका जिक्र महाभारत, श्रीमद्भागवत और स्कंद पुराण में भी विस्तार से है। कहा जाता है कि चंद्रदेव ने भगवान शिव को अपना नाथ मानकर यहां उनकी तपस्या की थी। चंद्रदेव को सोम नाम से भी जाना जाता है। इसलिए इस मंदिर का नाम सोमनाथ पड़ा।
आक्रांताओं ने इसे 17 बार लूटा और क्षतिग्रस्त किया, लेकिन हर बार ये उतनी ही मजबूती के साथ फिर खड़ा हुआ। यह मंदिर ईसा पूर्व से पहले ही अस्तित्व में आ गया था। इसका पुनिर्निर्माण 649 ईस्वी में वैल्लभी के मैत्रिक राजाओं ने किया। पहली बार इस मंदिर को 725 ईस्वी में सिंध के मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद ने तुड़वाया। इसके बाद राजा नागभट्ट ने इसका पुनिर्निर्माण 815 ईस्वी में करवाया।
1024 में फिर से महमूद गजनवी ने इसपर हमला बोला और मंदिर की पूरी संपत्ति लूटने के बाद इसे नष्ट कर दिया। महमूद गजनवरी के आक्रमण के बाद 1093 ईस्वी में गुजरात के राजा भीमदेव, मालवा के राजा भोज ने इसका पुनिर्निर्माण कराया। 1297 में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां, 1395 में मुजफ्फरशाह, 1412 में उसके बेटे अहमद शाह, 1665 ईस्वी और 1706 में औरंगजेब ने इस पर हमला किया। मंदिर को क्षतिग्रस्त किया और लूटपाट की।
3. राम जन्मभूमि, अयोध्या, उत्तर प्रदेश :
इतिहासकारों के मुताबिक, 1528 में बाबर के सेनापति मीर बकी ने अयोध्या के राम मंदिर को तुड़वाकर बाबरी मस्जिद बनवाई थी। 1949 में कुछ लोगों ने गुंबद के नीचे राम मूर्ति की स्थापना कर दी थी। 1992 में कारसेवक ने विवादित ढांचे को तोड़ दिया। कोर्ट की लंबी लड़ाई के बाद 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया।
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
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काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
कहा जाता है कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ मंदिर अनादिकाल से काशी में है। 1100 ईसा पूर्व राजा हरीशचंद्र और फिर सम्राट विक्रमादित्य ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। 1194 में मुहम्मद गौरी ने मंदिर में लूटपाट की और फिर तुड़वा दिया। बाद में इसे फिर हिंदू राजाओं ने बनवाया, लेकिन 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने इसे फिर तुड़वा दिया।
1585 ई. में राजा टोडरमल की मदद से पं. नारायण भट्ट ने फिर से यहां भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। 1632 में इसे फिर से तोड़ने के लिए शाहजहां ने सेना भेज दी, हालांकि हिंदुओं के विरोध के चलते ये नहीं हो सका, लेकिन काशी के 63 मंदिरों को शाहजहां ने तुड़वा दिया। 18 अप्रैल 1669 में औरंगजेब ने फिर से मंदिर पर आक्रमण कर दिया। दावा है कि मंदिर तोड़कर यहां पर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई। 1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने मंदिर का फिर से जीर्णोद्धार करवाया।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि, मथुरा, उत्तर प्रदेश
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श्रीकृष्ण जन्मभूमि, मथुरा, उत्तर प्रदेश |
मुगलकाल में कई मंदिरों पर आक्रांताओं ने हमला किया था।
ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट करके उसी जगह 1660 ईस्वी में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। 1770 में गोवर्धन में मुगलों और मराठाओं में जंग हुई। इसमें मराठा जीते। जीत के बाद मराठाओं ने फिर से मंदिर का निर्माण कराया।
मोढेरा सूर्य मंदिर, पाटन, गुजरात
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मोढेरा सूर्य मंदिर, पाटन, गुजरात |
मुगलकाल में कई मंदिरों पर आक्रांताओं ने हमला किया था।
अहमदाबाद से 100 किलोमीटर दूर पुष्पावती नदी के किनारे मोढेरा सूर्य मंदिर स्थापित है। इसका निर्माण सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ईस्वी में करवाया था। कहा जाता है कि मुस्लिम आक्रांता अलाउद्दीन खिलजी ने मंदिर पर आक्रमण किया और इसे तुड़वा दिया। इसमें लूटपाट भी की। कई मूर्तियों को खंडित करवा दिया।
हम्मी के मंदिर, हम्पी डम्पी, कर्नाटक
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हम्मी के मंदिर, हम्पी डम्पी, कर्नाटक |
मुगलकाल में कई मंदिरों पर आक्रांताओं ने हमला किया था।
हम्पी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगरम् साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। कर्नाटक में स्थित यह नगर यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थलों की सूची में भी शामिल है। यहां एक समय दुनिया के सबसे बेहतरीन और विशालकाय मंदिर बने थे, लेकिन 1565 में बरार की सेनाओं ने इसपर हमला कर दिया। इसे काफी हद तक नष्ट कर दिया।
रुद्र महालय, पाटन, गुजरात
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रुद्र महालय, पाटन, गुजरात |
मुगलकाल में कई मंदिरों पर आक्रांताओं ने हमला किया था।
पाटन जिले के सिद्धपुर में रुद्र महालय है। सरस्वती नदी के किनारे बसा ये काफी प्राचीन नगर है। इसका निर्माण 943 ईस्वी में मूलाराज सोलंकी ने शुरू करवाया था, जो 1140 ईस्वी में राजा सिद्धराज जयसिंह के काल में पूरा हुआ। 1094 में सिद्धराज ने रुद्र महालय का विस्तार करके श्रीस्थल का सिद्धपुर नाम रखा।
इतिहासकारों का कहना है कि 1410-1444 ईस्वी के दौरान अलाउद्दीन खिलजी ने इसका कई बार विध्वंस किया। अहमद शाह ने भी इसे तुड़वाया। इस मंदिर को आक्रांताओं ने तीन बार लूटा और बाद में इसके एक हिस्से पर मस्जिद बनवा दी।
मदन मोहन मंदिर, वृंदावन, मथुरा उत्तर प्रदेश
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मदन मोहन मंदिर, वृंदावन, मथुरा उत्तर प्रदेश |
मुगलकाल में कई मंदिरों पर आक्रांताओं ने हमला किया था।
वैष्णव संप्रदाय के मदन मोहन मंदिर का निर्माण 1590 ईस्वी से 1627 ईस्वी के बीच रामदासी खत्री और कपूरी के द्वारा करवाया गया था। भगवान श्रीकृष्ण का एक नाम मदन मोहन भी है। भगवान की मूल प्रतिमा आज इस मंदिर में नहीं है। कहा जाता है कि मुगल शासन में प्रतिमा को राजस्थान स्थानांतरित कर दिया गया था। औरंगजेबकाल में इस मंदिर को भी निशाना बनाया गया था।
मीनाक्षी मंदिर, मदुरै, तमिलनाडु
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मीनाक्षी मंदिर, मदुरै, तमिलनाडु |
मुगलकाल में कई मंदिरों पर आक्रांताओं ने हमला किया था।
भगवान शिव और देवी पार्वती को मीनाक्षी नाम से जाना जाता था। यह मंदिर उन्हीं को समर्पित है। राजा इंद्र ने इसकी स्थापना करवाई थी। हिंदू संत थिरुग्ननासम्बंदर ने इस मंदिर का वर्णन 7वीं शताब्दी से पहले ही कर दिया था। प्राचीन राजा पांडियन मंदिर के लिए लोगों से चंदा लेते थे। कहा जाता है कि 14वीं शताब्दी में मुगल मुस्लिम कमांडर मलिक काफूर ने मंदिर को तोड़ा और इसमें लूटपाट की। यहां से कई मूल्यवान आभूषण और रत्न लूटकर ले गया। बाद में अलग-अलग शासन में इसे हिंदू राजाओं ने बनवाया।
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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