जौनपुर । जिले की विवादास्पद मस्जिद अटाला को लेकर वीडियो वायरल होने के बाद से ही प्रदेश भर में हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल अटाला देवी के मंदिर को तोड़कर अटाला मस्जिद बनाने की जानकारी इतिहास में दर्ज है।
![]() |
अटाला मस्जिद, जौनपुर, यूपी |
वहीं पूरी मस्जिद में कई जगह मंदिर के पत्थर लगे हुए हैं और वह परिसर मंदिर होने की गवाही देता रहा है। स्थानीय लोग भी अटाला देवी की मान्यता होने की वजह से वहां श्रद्धा से सिर झुकाते आए हैं। अब काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के बाद से ही जौनपुर की अटाला मस्जिद चर्चा में है। अब वायरल वीडियो में जानकारी सामने आई है कि मस्जिद में लगे मंदिर के साक्ष्य वाले पत्थरों को घिसकर समतल किया जा रहा है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने सोमवार को एक ट्वीट कर कहा है कि जौनपुर की अटाला मस्जिद के संबंध में किसी ने एक वीडियो उनको भेजा है। इसमें उनका दावा है कि अटाला मस्जिद में उत्तरी गेट की बालकनी को हरे पर्दे से ढंककर दीवारों के पत्थरों को ग्राइंडर से चिकना किया जा रहा है और मंदिर का साक्ष्य नष्ट किया जा रहा है। उन्होंने इसकी जांच कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और जिलाधिकारी जौनपुर को ट्वीट किया है। इस संबंध में जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने बताया कि ट्वीट मिला है। इसकी जांच कराई जाएगी। अभी कुछ दिन पूर्व भी इस तरह की कुछ बातें उठी थीं। एसडीएम को भेजकर जांच कराई गई, जबकि वहां कुछ नहीं मिला था, हालांकि ट्वीट आया है तो इसकी जांच पुरातत्व विभाग से कराई जाएगी।
वाराणसी के बाबा विश्वनाथ धाम व ज्ञानव्यापी मस्जिद का विवाद इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ ऐसी ही किवदंतियां जौनपुर में अटाला मस्जिद को लेकर भी है। इसको लेकर कुछ इतिहासकारों ने बताया है कि यहां अटल देवी की मंदिर को तोड़कर अस्टाला मस्जिद बनाया गया है। नगर के सिपाह मोहल्ले में गोमती किनारे स्थित यह मस्जिद पूरे भारतभर में अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। जिले की इतिहास पर लिखी त्रिपुरारि भास्कर की पुस्तक जौनपुर का इतिहास में अटाला मस्जिद के बारे में भी लिखा गया है। जिन्होंने अटाला के नाम के संबंध पर बताया कि लोगों का विचार है कि यहां पहले अटलदेवी का मंदिर था, क्योंकि अब भी मोहल्ला सिपाह के पास गोमती नदी किनारे अटल देवी का विशाल घाट है।
इसका निर्माण कन्नौज के राजा विजयचंद्र के जरिए हुआ था और इसकी देखरेख जफराबाद के गहरवार लोग किया करते थे। यह कहा जाता है कि इस मंदिर को गिरा देने का हुक्म फिरोज शाह ने दिया था परंतु हिंदुओं ने बहादुरी से इसका विरोध किया, जिसके कारण समझौता होने पर उसे उसी प्रकार रहने दिया गया था। अंत में 1364 ई. में ख्वाजा कमाल खां ने इसे मस्जिद का रूप देना प्रारंभ किया और 1408 में इसे इब्राहिम शाह ने पूरा किया। इसके विशाल शिलाओं पर हिंदू शैली के नमूने तराशे हैं, कहीं-कहीं पर कमल का पुष्प उत्कीर्ण है। यह मस्जिद जौनपुर की शिल्पकला का एक अति सुंदर नमूना है। इसके मध्य के कमरे का घेरा करीब 30 फीट है यह एक विशाल गुंबद से घिरी है जिसकी कला, सजावट और बनावट मिश्र शैली के मंदिरों की भांति है।
उत्कीर्ण बेलबूटे को देखकर होता है भ्रम : इस बाबत साहित्यकार डाक्टर ब्रजेश कुमार यदुवंशी ने कहा कि जिले में जो भी मस्जिदें बनी है वह स्थापत्य काल का नमूना है। शाही अटाला मस्जिद के पत्थरों में बेलबूटे उत्कीर्ण है, इसको देखकर लोग भ्रम में हो जाते है। इस भ्रम को आधार मानते हुए लोग कहते है कि कभी यहां भी मंदिर रहा होगा। जिले में बौद्धकाल में बहुत सी ऐतिहासिक इमारते थी, अब बौद्धकालीन अवशेष कहीं दिखलाई नहीं पड़ रहे है। बावजूद इसके शाही पुल पर हाथी के ऊपर शेर वाली मूर्ति बौद्धकाल की गाथा को प्रदर्शित कर रहा है। साभार जेएनएन।
ट्विटर विडीयो लिंक
https://twitter.com/AshwiniUpadhyay/status/1531276633830633472?t=HO7-fLWia2I0jnSca1LXmQ&s=1
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
إرسال تعليق