योगी सरकार का एक और बड़ा फैसला, अब सिर्फ इतने रूपए में अपनो के नाम करे संपत्ति की रजिस्ट्री

योगी सरकार का एक और बड़ा फैसला, अब सिर्फ इतने रूपए में अपनो के नाम करे संपत्ति की रजिस्ट्री

लखनऊ । उत्तर प्रदेश में अब परिवार की संपत्ति का पारिवारिक सदस्यों के बीच बंटवारे के लिए संबंधित सदस्यों के पक्ष में दान विलेख (गिफ्ट डीड), बंटवारा पत्र व पारिवारिक व्यवस्थापन या समझौता ज्ञापन निष्पादन सिर्फ छह हजार रुपये में कराया जा सकेगा।

इसमें पांच हजार रुपये स्टांप ड्यूटी और एक हजार रुपये प्रोसेसिंग शुल्क के होंगे। अभी ऐसे मामलों में संपत्ति के विक्रय विलेख (सेल डीड) की रजिस्ट्री की तरह संपत्ति के मूल्य का आठ प्रतिशत तक स्टांप व निबंधन शुल्क देना होता है। फिलहाल छह माह तक ही छूट देने का निर्णय सरकार ने किया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के रक्त संबंधी मामलों में भारी-भरकम स्टांप ड्यूटी से छूट देने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। छूट की सुविधा महाराष्ट्र, कर्नाटक व मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में पहले से थी लेकिन उत्तर प्रदेश में छूट नहीं दी जा रही थी जबकि भारतीय स्टांप अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रदेश सरकार को ऐसी छूट देने का अधिकार था।

दान विलेख के दायरे में आने वाले पारिवारिक सदस्यों में पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, पुत्रवधु, दामाद, सगा भाई, सगी बहन, पुत्र व पुत्री के बेटा-बेटी आएंगे। अचल संपत्तियों के ट्रांसफर से संबंधित विलेखों पर छूट का लाभ स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग द्वारा अधिसूचना जारी होने की तिथि से दिया जाएगा। छूट के बाद राजस्व व रजिस्ट्री पर पडऩे वाले प्रभाव का अध्ययन कर समय-सीमा छह माह से आगे बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा। छूट देने से राज्य सरकार को लगभग 200 करोड़ रुपये सालाना नुकसान होने का अनुमान है।

पारिवारिक संपत्ति के मामलों में घटेगी मुकदमेबाजी : परिवार की संपत्ति का पारिवारिक सदस्यों के बीच बंटवारे पर राज्य सरकार द्वारा भारी-भरकम स्टाम्प ड्यूटी (संपत्ति की रजिस्ट्री) से बड़ी राहत देने से पारिवारिक संपत्ति के मामलों में मुकदमेबाजी घटने का अनुमान है। दरअसल, दान विलेख (गिफ्ट डीड), बंटवारा पत्र व पारिवारिक व्यवस्थापन/समझौता ज्ञापन निष्पादन आदि पर अभी संपत्ति की रजिस्ट्री की तरह संपत्ति के मूल्य का आठ प्रतिशत तक स्टांप व निबंधन शुल्क लगने से परिवार के सदस्य स्टाम्प शुल्क देने से बचने के लिए बहुत जरूरी होने पर ही रजिस्ट्री कराते हैं। परिवार के स्वामी, पारिवारिक सदस्यों के पक्ष में वसीयत कर देते हैं। चूंकि स्वामी की मृत्यु के बाद ही वसीयत प्रभावी होती है इसलिए कई बार वसीयत निष्पादित होने के मामलों में विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे में मुकदमेबाजी कम करने के लिए राज्य विधि आयोग ने सरकार से दूसरे राज्यों की तरह यहां भी छूट देने की सिफारिश पिछले वर्ष की थी।

बंटवारे में मिली संपत्ति पर ले सकेंगे लोन : अभी किसी व्यक्ति का अपनी पैतृक संपत्ति में हिस्सा होने के बावजूद ट्रांसफर डीड रजिस्टर्ड न होने के कारण उसे संपत्ति के एवज में लोन नहीं मिल पाता है। अब पारिवारिक मामलों में विलेख पर कम स्टांप शुल्क लगने से ज्यादा से ज्यादा लोग विलेखों को रजिस्टर कराएंगे। ऐसी स्थिति में बंटवारे के तौर पर प्राप्त संपत्ति के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकेगा साभार जेएनएन।

सांकेतिक चित्र

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

0/Post a Comment/Comments

أحدث أقدم