बस्ती। जनपद के कोतवाली थानान्तर्गत धरमूपुर गांव निवासी जीआरपी कांस्टेबल अजय कुमार सिंह की जौनपुर में ड्यूटी के दौरान हुई हत्या के मामले में 27 साल बाद सोमवार को फ़ैसला आया तो बड़े भाई अमर सिंह की आंखें उन्हें याद कर छलछला गईं।
जौनपुर अदालत ने इस मामले में पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत आधा दर्जन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। फ़ैसले पर ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए अमर ने पूरे गांव में मिठाई बांटी। कहा कि देर से ही सही मगर मुझे व भाई के परिवार को इंसाफ़ मिला है। बताया उनका भतीजा और उसकी विधवा लखनऊ में रहते हैं। भतीजी की शादी हो चुकी है वह अपने घर पर है।
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फाइल फोटो |
मामला 4 फरवरी 1995 का है। शाहगंज स्टेशन मास्टर कार्यालय प्लेटफार्म नंबर एक पर बेंच पर बैठने की बात को लेकर कुछ लोगों का झगड़ा हो गया। उसमें पूर्व सांसद उमाकांत का ड्राइवर राजकुमार भी शामिल था। सूचना पर जीआरपी चौकी के सिपाहियों ने राजकुमार को हिरासत में लिया। इसकी खबर उमाकांत यादव तक पहुंची तो गनर बच्चू लाल, पीआरडी जवान सूबेदार, धर्मराज, महेंद्र और सभाजीत के साथ मौके पर पहुंच गए।
ड्राइवर को छुड़ाने के लिए जीआरपी पुलिस कर्मियों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। जिसमें जीआरपी सिपाही अजय सिंह की मौत हो गई थी। इस मामले की विवेचना के बाद न्यायालय में लंबी सुनवाई के बाद सोमवार को दोषी पूर्व सांसद उमाकान्त यादव को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। धरमूपुर गांव वासियो ने सिपाही अजय कुमार सिंह के भाई अमर सिंह के साथ कोर्ट के निर्णय पर ख़ुशी जताई।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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