पोस्टकार्ड भले ही आउट ऑफ ट्रेंड हो गया है लेकिन आउट ऑफ मार्केट नहीं, आज पोस्टकार्ड ने 153 साल का सफर किया पूरा

पोस्टकार्ड भले ही आउट ऑफ ट्रेंड हो गया है लेकिन आउट ऑफ मार्केट नहीं, आज पोस्टकार्ड ने 153 साल का सफर किया पूरा

जौनपुर। आज भले ही पोस्टकार्ड आउट ऑफ ट्रेंड हो गया लेकिन आउट ऑफ मार्केट नहीं हुआ है। सोशल मीडिया के दौर में भी लोग पोस्टकार्ड का प्रयोग कर रहे हैं। आंकड़े इसके गवाही देते हैं।

पिछले साल डाक विभाग के वाराणसी परिक्षेत्र के तहत वाराणसी समेत छह जिलों के डाकघरों में 3.20 लाख पोस्टकार्ड की बिक्री हुई थी जबकि इस साल अब तक 51 हजार से ज्यादा पोस्टकार्ड की बिक्री हो चुकी है।

आज पोस्टकार्ड की बात इसलिए हो रही है क्योंकि एक अक्तूबर को पोस्टकार्ड का 153 साल का सफर पूरा कर लेगा। पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि दुनिया में पहला पोस्टकार्ड एक अक्तूबर 1869 को ऑस्ट्रिया में जारी किया गया था।

पोस्टकार्ड का विचार सबसे पहले ऑस्ट्रियाई प्रतिनिधि कोल्बेंस्टीनर के दिमाग में आया था, जिन्होंने इसके बारे में वीनर न्योस्टॉ में सैन्य अकादमी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. एमैनुएल हर्मेन को बताया। एक दौर में पोस्टकार्ड खत भेजने का प्रमुख जरिया था। शादी-विवाह, शुभकामनाओं से लेकर मौत की खबरों तक को पोस्टकार्डों ने सहेजा है। तमाम राजनेताओं से लेकर साहित्यकार व आंदोलनकारियों ने भी पोस्टकार्ड का बखूबी प्रयोग किया है। पोस्टकार्ड एक अक्तूबर, 2022 को वैश्विक स्तर पर 153 साल का हो गया।

तीन पैसे थी पहले पोस्टकार्ड की कीमत

पोस्टमास्टर जनरल ने बताया कि भारत में पहला पोस्टकार्ड 1869 में जारी किया गया। हल्के भूरे रंग में छपे इस पहले पोस्टकार्ड की कीमत तीन पैसे थी और इस कार्ड पर 'ईस्ट इंडिया पोस्टकार्ड' छपा था। बीच में ग्रेट ब्रिटेन का राजचिन्ह छपा था। इसे लोगों ने हाथोंहाथ लिया। तब साल की पहली तीन तिमाही में ही लगभग 7.5 लाख रुपए के पोस्टकार्ड बेचे गए थे।

डाकघरों में चार तरह के पोस्टकार्ड मिलते रहे हैं - मेघदूत पोस्टकार्ड, सामान्य पोस्टकार्ड, प्रिंटेड पोस्टकार्ड और कम्पटीशन पोस्टकार्ड । ये क्रमश : 25 पैसे, 50 पैसे, 6 रूपये और 10 रूपये में उपलब्ध हैं। कम्पटीशन पोस्टकार्ड फिलहाल बंद हो गया है। इन चारों पोस्टकार्ड की लंबाई 14 सेंटीमीटर और चौड़ाई 9 सेंटीमीटर होती है। पोस्टकार्ड न सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि तमाम सामाजिक-साहित्यिक- धार्मिक -राजनैतिक आंदोलनों का गवाह रहा है।

सोशल मीडिया के दौर में संकट में पोस्टकार्डभारत में पोस्टकार्ड की आधिकारिक शुरुआत जुलाई, 1879 से ही मानी जाती है। लेकिन आज तेजी से भागती-दौड़ती दुनिया में पोस्टकार्ड कहीं पीछे छूटता जा रहा है। जिस पोस्ट कार्ड का इस्तेमाल कभी प्यार का इजहार करने और एक दूसरे से जानकारी साझा करने के लिए किया जाता था आज उसकी जगह ईमेल, एसएमएस, ट्विटर, व्हाट्सएप और फेसबुक ने ले ली है। साभार ए. यू।

सांकेतिक चित्र 

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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