बलात्कार
देहली के ह्रदय पर जो कालिमा सी छा गई,
इन महिषासुरों के पाप से मनुजता भी थर्रा गई ॥ 1 ॥
बिखरे पड़े थे सरस्वती के भग्न वीणा तार,
टूटे हुए दुर्गा भवानी के सभी हथियार ॥ 2 ॥
मातृ पूजक देश में ये हाल होता देखकर,
उन्मुक्त होकर हंस रहा बेशर्म अत्याचार ॥ 3 ॥
सीता सुरक्षित रह गई थी रावणों के देश में,
लो आज सीता लुट गई है राम के ही देश मे ॥ 4 ॥
कब - तक आदिशक्ति
पर ऐसे ही अत्याचार होगा,अब तु ही बता हे जग पालक कितना शक्ति लाचार होगा ॥ 5 ॥
नित्य द्रौपदी का चिर हरण बढ़ते जा रहा,
हे कन्हैया अब तु ही बता तू क्यू नहीं आरहा ॥ 6 ॥
हे रणजीत कहा हो तुम फिर से अवतार लो,
एक बार फिर से जला दो ऐसे संसार को ॥ 7 ॥
- शक्तिमान मिश्रा - केराकत
काशी मंडल प्रभारी - ऑल इंडिया ब्लड डोनर ट्रस्ट ( REG)
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