कानपुर। अपराधी सुभाष को एनकाउंटर में ढेर करने वाले आईपीएस ने ही उसकी बेटी को अच्छी पढ़ाई के लिए बोर्डिंग स्कूल में दाखिल कराया है। करथिया गांव की गौरी अब कानपुर के एक कान्वेंट स्कूल के हॉस्टल में रहकर पढ़ने लगी है।
चार साल पहले गौरी का पिता सुभाष बाथम एनकाउंटर में मारा गया था। उसके बाद से वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल उसकी देखरेख कर रहे हैं।
छह वर्षीया गौरी का दाखिला जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में हुआ है। वह मोहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र के करथिया की रहने वाली है। उसके पिता ने 30 जनवरी 2020 को गांव के 25 बच्चों को बेटी के जन्मदिन के बहाने बुला कर बंधक बना लिया था। उसी रात तत्कालीन आईजी कानपुर मोहित अग्रवाल ने एनकाउंटर में सुभाष को ढेर कर बच्चे मुक्त करा लिए थे। सुभाष की पत्नी रूबी भीड़ के गुस्से का शिकार बन गई थी। माता-पिता दोनों को खोने के बाद गौरी बुआ वेदवती के पास थी। उसकी शिक्षा व अन्य जरूरतों का इंतजाम मोहित अग्रवाल ही कर रहे थे। वेदवती ने बताया कि आईजी हर महीने गौरी की परवरिश के लिए पांच हजार रुपये भेजते हैं। छह अप्रैल को गौरी का दाखिला नर्सरी कक्षा में हो गया है। कक्षा 12 तक वह यहीं हॉस्टल में रहकर पढ़ेगी।
खुश है गौरी, रोज करेगी बात
पहले तो गौरी बुआ और उनकी बेटी ईशू से दूर होकर उदास हुई पर अब खुश है। ईशू कहती है कि स्कूल ने रोज बात करने की अनुमति दी है। जून की छुट्टी में उसे घर ले आएंगे।
खुद को जैसे दोहरा रहा इतिहास
पिछली सदी में ब्रिटिश पुलिस अफसर फ्रेडी यंग ने कुख्यात डाकू सुल्ताना को पकड़ कर फांसी के तख्ते तक पहुंचाया था। सुल्ताना की आखिरी इच्छा का सम्मान करते हुए यंग उसके बेटे को अपने साथ मध्यप्रदेश ले गए। उसकी बेहतर शिक्षा का इंतजाम किया और अफसर बनाया। गौरी की परवरिश को देखते हुए लगता है जैसे इतिहास एक बार फिर खुद को दोहरा रहा हो।
क्या बोले पुलिस कमिश्नर
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने कहा गौरी के अच्छे भविष्य के लिए उसे बोर्डिंग में दाखिल कराया है। पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। मैं समय-समय पर गौरी से बात करता हूं। साभार एचटी।
फाइल फोटो |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com
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