"ऐ मौत रुक जा जरा"

"ऐ मौत रुक जा जरा"

     कविता


"ऐ मौत रुक जा जरा"


ऐ मौत रुक जा जरा 

साफ-पाक होने दे मुझे जरा

 खूबसूरत है सफर रवानगी का

 तैयार होने दे जरा

 इंतजार था इस पल का

 सजने -संवरने दे जरा

 खामोशी की चादर ओढ़ लूं

 महफिल में जाने के लिए दौड़ लूं

 आंखों में काजल लगाने दे जरा

 लोगों की नजरों से बचने दे जरा ऐ मौत रुक जा जरा

 सजने -संवरने दे जरा

 खुशबू से महका लूँ बदन मेरा

  ऐ मौत चलते हैं जरा

 आंसुओं से वजू कर लूं जरा

 बचपन की यादों को साथ ले लूं जरा 

मां की दुआओं को समेट लूं जरा

 अपनों का दीदार कर लूं जरा चलते-चलते सब को अलविदा कह दूं जरा 

सफर है लंबा मौत का

 थोड़ी तैयारी कर लूं जरा

  ऐ मौत रुक जा जरा

 साफ-पाक होने दे मुझे जरा।

नसु एंजल नागपुर, महाराष्ट्र

- नसु एंजल नागपुर, महाराष्ट्र

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