आजमगढ़ । उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से सरकारी तंत्र में बड़ी चूक का मामला सामने आया है। यहां साल 1989 से ही पुलिस विभाग में नौकरी कर रहा एक शख्स अपराधी निकला है। 35 साल से होमगार्ड की नौकरी कर रहे नंदलाल पर हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती का मामला दर्ज है। उसके खिलाफ 1988 में गैंगस्टर का केस भी लगा था लेकिन इसके बावजूद पुलिस और इंटेलिजेंस ने क्लीन चिट दे दी और वह लगातार सरकारी नौकरी कर रहा था। अब डीआईजी से मामले की शिकायत के बाद आरोपी को सस्पेंड कर दिया गया है।
आजमगढ़ जिले में होमगार्ड की नौकरी कर रहा नंदलाल यहां रानी की सराय और मेंहनगर थाने में पोस्टेड रहा है। दिसंबर महीने में डीआईजी वैभव कृष्ण से इस बारे में शिकायत की गई। फिर इसकी जांच में मामला सही पाए जाने के बाद होमगार्ड कमांडेंट मनोज सिंह बघेल ने नंदलाल को निलंबित कर दिया है। 1988 में होमगार्ड विभाग जॉइन करने के साथ ही 1992 में उसे चरित्र प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आरोपी चकवारा गांव का निवासी है। उसका नाम नकदू है और बाद में नौकरी के लिए फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए नाम बदलकर नंदलाल कर लिया। 1984 में उसने आपसी रंजिश में जहानागंज क्षेत्र के मन्नू यादव की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद 1987 में उसके खिलाफ डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस ने उसके खिलाफ 1988 में गैंगस्टर की कार्रवाई की थी।
नकदू उर्फ नंदलाल के रिश्ते में भतीजे ने बीते महीने डीआईजी वैभव कृष्ण से आरोपी की शिकायत करते हुए पूरा मामला बताया। उसने 35 साल से फर्जीवाड़े से सरकारी नौकरी करने की बात बताई। डीआईजी की तरफ से जांच के आदेश के बाद रानी की सराय थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। अब यह मामला सही पाया गया है। उसे सस्पेंड कर दिया गया है। साभार एनबीटी।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com
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