जौनपुर। भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ) गणेश प्रसाद सिंह को शासन ने बर्खास्त कर दिया। 11 अक्तूबर को उन्हें निलंबित करते हुए राजस्व परिषद से संबद्ध किया गया था।
आरोप है कि उनकी देखरेख में भूमि अधिग्रहण के मुआवजा वितरण में साढ़े चार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था।
एक राष्ट्रीय अखबार ने दो अगस्त के अंक में भू-अधिग्रहण में फर्जीवाड़ा
3.38 की जगह 34 लाख का भुगतान शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद जिलाधिकारी स्वयं सक्षम प्राधिकारी भूमि अध्याप्ति (काला) कार्यालय पहुंचे। उन्होंने कार्यालय से चार फर्जी अभिलेख जब्त किए। इनमें ढाई करोड़ का फर्जी भुगतान किया गया था।
इसके बाद सीडीओ साईं तेजा सीलम की अध्यक्षता में टीम बनाई गई, जिसमें ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ईशिता किशोर, तत्कालीन एसडीएम ज्ञानप्रकाश यादव को शामिल किया गया। टीम ने सदर, मड़ियाहूं, मछलीशहर, बदलापुर में भूमि अधिग्रहण के मुआवजे की जांच की गई, जिसमें पाया गया कि 14 ग्राम पंचायतों को 46 काश्तकारों को साढ़े चार करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान किया गया।
प्रशासन ने बदलापुर के कुछ काश्तकारों के 50 लाख रुपये के भुगतान को रुकवा दिया था। पांच के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया। इसके बाद पर्यवेक्षण अधिकारी सीआरओ के खिलाफ शासन को जिलाधिकारी स्तर से पत्र भेजा गया था। 11 अक्तूबर को शासन ने सीआरओ गणेश प्रसाद सिंह को निलंबित कर राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया था।
इन तहसीलों में हुआ इतना भुगतान
मड़ियाहूं तहसील के 12 काश्तकारों में 1.87 करोड़ का, बदलापुर तहसील के 28 काश्तकारों में 2.2 करोड़ का, मछलीशहर के तीन काश्तकारों में 56 लाख का, सदर तहसील के तीन काश्तकारों में 84 लाख का भुगतान किया गया।
ऐसे करते थे पूरा खेल
बदलापुर कोतवाली क्षेत्र के पूरामुकुंद निवासी राहुल सिंह, जो कि शिक्षा विभाग में अनुदेशक के पद पर कार्यरत था। उसका एनएच के काला कार्यालय में आना-जाना था। इसका एक साथी प्रीतम उर्फ मुलायम निवासी मिरशादपुर बदलापुर है, जिसके साथ मिलकर वह काश्तकारों से संपर्क करता था।
भुगतान के लिए कार्यालय प्रभारी (कानूनगो) संतोष तिवारी, उनकी टीम में अमीन अनिल यादव, आपरेटर हिमांशु मिलकर फर्जी तरीके से तहसील से बगैर अभिलेख आए फाइल तैयार करते थे। राहुल व प्रीतम ने 20 काश्तकारों के नए खाते खुलवाए। खाता खुलने के बाद ब्लैंक चेक ले लेते थे। पैसा ट्रांसफर करने बाद उसी दिन दोनों बैंक के बाहर काश्तकार से रुपये लेने के लिए खड़े रहते थे। 30 से 50 फीसदी तक पैसा तुरंत ले लेते थे। साभार ए यू।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com
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