बंजर एवं ग्राम समाज की करोड़ों की 29 बीघा भूमि दर्जनों चहेतों को आवंटित

बंजर एवं ग्राम समाज की करोड़ों की 29 बीघा भूमि दर्जनों चहेतों को आवंटित

गाज़ीपुर । जनपद के कासिमाबाद तहसील अब तक के सबसे बड़े भूमि आवंटन के नाम पर किए गए घोटाले को लेकर एक बार फिर चर्चा में है। आरोप है कि तहसील क्षेत्र के सलामतपुर, सनेहुंआ के साथ महुली बांध गांव में बंजर एवं ग्राम समाज की करोड़ों की 29 बीघा भूमि दर्जनों चहेतों के बीच कानून को ताक पर रखकर आवंटित किया गया है। इस आवंटन की कोई पत्रावली तहसील के अभिलेखागार में उपलब्ध नहीं है। उसके बाद भी आवंटन का इंद्राज कैसे किया गया है, यह जांच के बाद पता चलेगा। इस प्रकरण में उप जिलाधिकारी कमलेश कुमार सिंह द्वारा दो लेखपाल, एक कानूनगो सहित इस पूरे प्रकरण में शामिल अधिकारियों के खिलाफ जांच कराई जा रही है। जांच के बाद जिलाधिकारी के माध्यम से प्रकरण में कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

गौरतलब हो कि कासिमाबाद तहसील अपने स्थापना काल से लेकर अब तक अपने करनामें को लेकर लगातार चर्चा में बनी रहती है। इस समय पूरे तहसील में अब तक के सबसे बड़े भूमि घोटाले को लेकर चर्चा बनी हुई है। बताया जा रहा है कि तत्कालीन उपजिलाधिकारी भारत भार्गव एवं तत्कालीन तहसीलदार विराग पांडेय की मिलीभगत से इतने बड़े भूमि घोटाले को अंजाम दिया गया है। तहसील के राजस्व ग्राम सलामतपुर, सनेहुंआु एवं महुली बांध में बंजर एवं ग्राम समाज की भूमि को आवंटित करने के लिए उस गांव के लेखपाल कृष्ण मुरारी पांडेय के रहते तहसीलदार विराग पांडेय ने अपने चहेते लेखपाल जो सोनबरसा कासिमाबाद पर तैनात अखिलानन्द तिवारी को उक्त भूमि आवंटन के लिए अलग से प्रस्ताव बनाने का लिखित निर्देश दिया गया। यही नहीं, मरदह के कानूनगो जयप्रकाश सिंह के हस्ताक्षर से लगभग 94 लोगों के नाम से बिना भूमि प्रबंध समिति की बैठक कराए पूर्व प्रधान के हस्ताक्षर से प्रस्ताव बनाकर लिया गया। उस प्रस्ताव पर तत्कालीन उपजिलाधिकारी भारत भार्गव एवं तत्कालीन तहसीलदार विराग पांडेय द्वारा संस्तुति कर दिया गया। इस प्रकरण का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि इस 29 बीघा भूमि के आवंटन की पत्रावली तहसील के किसी अभिलेखागार में मौजूद नहीं है।

जैसा कि यह प्रकरण चर्चा में आया है 22 अप्रैल 2022 को एक वर्ष पूर्व 22 अप्रैल 2021 की तिथि में इसे प्रभारी राजस्व निरीक्षक/ लेखपाल सुमित कुमार द्वारा खतौनी में मालिकान करते हुए नामांतरण दर्ज कर दिया गया है। खतौनी में आवंटित किसानों के नाम आते ही तहसील के अधिकारियों सहित पूरे क्षेत्र के राजस्व कर्मियों में हड़कंप मच गया है। इस पूरे मामले में एक जांच कमेटी तहसीलदार अमित शेखर की अध्यक्षता में बना दी गई। जानकार लोगों का कहना है कि यह भूमि घोटाला तहसील ही नहीं, पूरे जिले के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा।

दो लेखपाल, एक कानूनगो की भूमिका भी है संदिग्ध

इस पूरे प्रकरण में उप जिलाधिकारी कासिमाबाद कमलेश कुमार सिंह ने बताया कि अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उसके अनुसार सलामतपुर सनेहुंआ और महुली बांध में लेखपाल कृष्ण मुरारी पांडेय के रहते सोनबरसा पर तैनात लेखपाल अखिलानन्द तिवारी और मरदह के कानूनगो जयप्रकाश सिंह को अलग से लगाकर वहां के पूर्व प्रधान के हस्ताक्षर से प्रस्ताव लेकर भूमि आवंटन किया गया है। उपजिलाधिकारी ने बताया कि लेखपाल अखिलानंद तिवारी वर्तमान समय में सेवराई तहसील में तैनात हैं। जिनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हेतु लिखा गया है। इसी प्रकार लेखपाल सुमित कुमार के पास रजिस्टर कानूनगो का अलग से प्रभार दिया गया था, के द्वारा एक वर्ष पूर्व की तिथि 22 अप्रैल 21 में अमल दरामद करते हुए खतौनी में इंद्राज कर दिया गया है। इनके खिलाफ भी निलंबन की संस्तुति की गई है। कानूनगो जय प्रकाश सिंह सेवानिवृत्त हो गए हैं। इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को प्रेषित पत्र भेजा जाएगा ।

नहीं कराई गयी खुली बैठक

कासिमाबाद तहसील के सलामतपुर, सनेहुंआ, महुली बांध राजस्व ग्राम में कुल 94 किसानों को कृषि एवं आवास हेतु भूमि आवंटित की गई है। बताया जा रहा है कि अधिकतर तहसील के अधिकारी अपने चहेते लोगों को कृषि हेतु भूमि आवंटित किया है। जिनमें सलामतपुर में 50, सनेहुंआ में 30 और महूली बाध में 14 किसानों को भूमि आवंटित की गई है। इस आवंटित भूमि में कोई खुली बैठक नहीं कराई गई है। यही नहीं, वर्तमान प्रधान को भी इस प्रस्ताव की कोई जानकारी नहीं है। पूर्व प्रधान के हस्ताक्षर से पूर्व की तिथियों में प्रस्ताव दिखाते हुए आवंटन किया गया है। जो नियम के विरुद्ध बताया जा रहा है। साभार (हि.स.)।

सांकेतिक चित्र

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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