वाराणसी। पी. एच. डी. चेम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री, नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड एवं आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से दिनांक 17-18 नवम्बर को दिल्ली में होने वाले सम्मेलन में विशिष्ट व्याख्यान देने हेतु प्रो. के. एन. द्विवेदी संकाय प्रमुख आयुर्वेद संकाय को आमंत्रित किया गया है । इस सम्मेलन का विषय आयुर्वेदिक औषधियों के मार्केटेड एवं डेवलप्ड सब्सीट्यूट है जो युगानुसार अत्यंत महत्वपूर्ण है ।
प्रो. द्विवेदी ने बताया कि सन 2014-15 में 1178 वानस्पतिक प्रजातियों की पांच लाख बारह सौ टन मात्रा देश में खपत होती थी जो 2019-20 में दुगुनी हो गयी । कोविड काल के दौरान 2020 एवं 2021 में इन औषधीय प्रजातियों की मांग लगभग तीन गुना हो चुकी है और बाज़ार की माँग के अनुसार हमारे देश में इन वनस्पतियों की उपलब्धता नहीं हो रही है | अतः आवश्यकता है अनुपलब्ध वनस्पतियों के प्रतिनिधि द्रव्यों (सब्सीट्यूट) को वैज्ञानिक रूप से नियत करने की ताकि रोगी को सही इलाज भी मिल सके और औषधी आधारित अर्थव्यवस्था पर कोई आँच न आये ।
पी. एच. डी. चेम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री, नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड एवं आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से दिनांक 17-18 नवम्बर को दिल्ली में होने वाले सम्मेलन में विशिष्ट व्याख्यान देने हेतु प्रो. के. एन. द्विवेदी संकाय प्रमुख आयुर्वेद संकाय को आमंत्रित किया गया है । इस सम्मेलन का विषय आयुर्वेदिक औषधियों के मार्केटेड एवं डेवलप्ड सब्सीट्यूट है जो युगानुसार अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रो. द्विवेदी ने बताया कि सन 2014-15 में 1178 वानस्पतिक प्रजातियों की पांच लाख बारह सौ टन मात्रा देश में खपत होती थी जो 2019-20 में दुगुनी हो गयी । कोविड काल के दौरान 2020 एवं 2021 में इन औषधीय प्रजातियों की मांग लगभग तीन गुना हो चुकी है और बाज़ार की माँग के अनुसार हमारे देश में इन वनस्पतियों की उपलब्धता नहीं हो रही है । अत: आवश्यकता है अनुपलब्ध वनस्पतियों के प्रतिनिधि द्रव्यों (सब्सीट्यूट) को वैज्ञानिक रूप से नियत करने की ताकि रोगी को सही इलाज भी मिल सके और औषधी आधारित अर्थव्यवस्था पर कोई आँच न आये ।
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प्रो. के. एन. द्विवेदी संकाय प्रमुख आयुर्वेद संकाय, बीएचयू |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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