संपादकीय
आवारा पशुओं को लेकर सरकार तरह तरह के वादे करती हैं लेकिन हालात गंभीर बने हुए है, खेत, खलिहान, गली, चौराहा,रोड सभी जगह इनका आतंक बना हुआ है।
कभी- कभी ये देखने को भले ही मिल जाता है कि आवारा पशुओं को क्षेत्रीय लोग अपने यहां से भगाकर अन्यत्र कहीं दूर कर देते हैं और वहां जाकर वहां के किसानों की खेती बर्बाद करने में लग जाते हैं। मौजूदा समय मे किसान की सबसे बड़ी समस्या यही है कि आखिर इस समस्या का निदान कब तक होगा। किसानों को तो यह भी नहीं पता कि हम इस समस्या की शिकायत किसके पास करें। हालांकि कुछ जागरूक किसान क्षेत्र के लेखपाल को भी फोन लगाकर समस्या से अवगत करा देते हैं लेकिन उस शिकायत का कोई सार्थक परिणाम नही निकलता और नतीजा फिर वही “ढाक के तीन पात” जैसा ही है।
आज स्थिति यहां तक आ गयी है कि आवारा पशु कई जनपदों में किसानों की मौत का कारण बन चुके हैं. गोंडा में एक किसान को छुट्टा सांड़ ने पटक-पटक कर मार डाला और इस प्रकार की घटनाएं आये दिन समाचारपत्रों की सुर्खियां बन रही हैं. परेशान किसान सरकारी स्कूलों और कार्यालयों में छुट्टा जानवरों को कैद कर धरना-प्रदर्शन करने पर मज़बूर हैं क्योंकि सरकार छुट्टा जानवरों से अपनी फसलों को बचाने के लिए तार के बाड़ लगाने की अनुमति नहीं दे रही है.’ आखिर आम आदमी, किसान करे तो क्या करे, योगी आदित्यनाथ की सरकार ने राज्य के प्रत्येक नगर निगम को आवारा पशुओं के लिए आश्रय गृह बनाने के लिए 10 करोड़ रुपये दिए हैं. योगी सरकार की इस बात को लेकर आलोचना होती रही है कि सत्तारूढ़ भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए गोरक्षा के मुद्दे को उछाल रही है. लेकिन हालत में सुधार नजर नहीं आ रहा है।
किसी भी हाईवे पर जाइए आप को झुंड में आवारा पशु नज़र आएंगे, अभी कुछ दिनों पहले ही एक बैल ने एक महिला को गंभीर रूप से घायल कर दिया, सैदपुर से गाजीपुर जा रहे एक बाइक सवार को घायल कर दिया, सरकार आम लोगों की समस्या पर नहीं गोहत्या के जांच में लगी हुई है।
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रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
जौनपुर
a.singhjnp@gmail.com
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