वाराणसी। किसी ने सच ही कहा है कि जुर्म की दुनिया में चलाई गई गोली एक न एक दिन लौटती जरूर है। कुछ ऐसा ही हश्र लखनऊ में बदमाशों की गोली के शिकार मऊ के पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह के साथ हुआ, लेकिन यह मामला पहला नहीं है। जरायम जगत में अपनी पैठ बनाने वाले कई इसी तरह की वारदातों के शिकार हुए। उन्हें ठिकाने लगाने के लिए पुलिस को गोलियां नहीं खर्च करनी पड़ी। इनमें कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने अपराध की सीढ़ी चढ़कर राजनीति के गलियारे में जगह बनाई थी। सभासद मंगल प्रजापति हो या राकेश उर्फ बबलू लंबू, सभी जरायम की दुनिया से वास्ता रखने वालों के शिकार बने थे। 30 सितंबर 2019 को सदर तहसील में सारनाथ थाने के हिस्ट्रीशीटर व ट्रांसपोर्टर नितेश सिंह बबलू को बुलेट प्रूफ गाड़ी भी नहीं बचा सकी। बदमाशों ने उसे गाड़ी से उतरने का मौका तक नहीं दिया। दो साल से ऊपर होने को है, लेकिन इस वारदात को पुलिस अब तक खोल नहीं सकी।
#जेल में भी नहीं बच सकी जान#
बात करें कुख्यात प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की तो बागपत जेल में उसे गोली मारी गई थी। इसी तरह मुन्ना बजरंगी के गिरोह के शूटर अन्नू त्रिपाठी की वाराणसी सेंट्रल जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बजरंगी गिरोह के पार्षद बंशी यादव को नौ मार्च 2004 को बदमाशों ने वाराणसी जिला जेल के गेट पर उसके ही गिरोह के बदमाशों ने टपका दिया था। इन वारदातों में शामिल लोगों को जरायम जगत से वास्ता रहा है।
#जनप्रतिनिधि बनने पर नहीं बची जान#
अपराधी की सीढ़ी चढ़कर जनप्रतिनिधि बने आदमपुर के अनिल उर्फ मंटू यादव के साथ भी ऐसा ही हश्र हुआ था। उसे 20 दिसंबर 2003 को फातमान रोड पर उसके करीबियों ने ही गोली मार दी थी। बजरंगी गिरोह से जुड़े सभासद मंगल प्रजापति को 21 दिसंबर 2005 में उसके करीबियों ने गोलियों से भून डाला था। मंगल के बाद उसी वार्ड के सभासद राकेश उर्फ बबलू लंबू भी 25 मई 2007 को करीबियों ने ही निशाना बनाया। लंबू मंगल का करीबी था और उस पर मंगल की हत्या का आरोप था। दालमंडी में सभासद कमाल की उसी के साथियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। रमेश उर्फ बाबू यादव वर्ष 2008 में गैंगवार का शिकार बन गया था।
#जिसने गिरोह को बढ़ाया उसे ही ठिकाने लगाया#
जैतपुरा के ईश्वरगंगी का रहने वाला सुरेश गुप्ता की जुर्म की दुनिया में मजबूत पकड़ थी। मुन्ना बजरंगी भी उसकी बात नहीं काटता था। उसने गिरोह को खड़ा किया लेकिन मुन्ना बजरंगी के शूटरों ने ही सुरेश गुप्ता को ठिकाने लगा दिया। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक वर्ष 2003 में बजरंगी गैंग के शूटरों ने सुरेश गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी। इसी वर्ष बजरंगी गैंग से नाखुश चल रहे रिंकू गुप्ता ने अपने ही गैंग के महेश यादव को गोलियों से भून दिया था।
#अपनों के बने शिकार#
इसी प्रकार बृजेश गैंग से जुड़े ठेकेदार सुनील सिंह, गुड्डू सिंह, पप्पू सिंह, बिहार के कोल किंग राजीव सिंह भी अपने लोगों के शिकार हो गए। वहीं, अगस्त 2014 में मीरजापुर के अहरौरा के जंगल में कुख्यात शूटर कृपा चौधरी का दामाद राजेश चौधरी व उसके दो साथियों को उनके ही करीबियों ने गोलियों से भून डाला था। हालिया घटनाओं में पिछले वर्ष चौकाघाट में असलहा तस्कर अभिषेक सिंह प्रिंस की हत्या हुई जिसमें एक समय उसी का साथी रहा विवेक सिंह कट्टा जेल में है, ङ्क्षप्रस की हत्या भी 2013 में विवेक कट्टा पर हुए जानलेवा हमले का बदला बताई जाती है।
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
जौनपुर
a.singhjnp@gmail.com
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