भारतीय जनता पार्टी का जो गौरवशाली वर्तमान है इसके पीछे अतीत का लंबा संघर्ष है,पुष्पराज सिंह

भारतीय जनता पार्टी का जो गौरवशाली वर्तमान है इसके पीछे अतीत का लंबा संघर्ष है,पुष्पराज सिंह

जौनपुर । भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस पर सायंकाल पण्डित दीन दयाल उपाध्याय के मूर्ति पर जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह के अध्यक्षता में माल्यार्पण किया गया उसके उपरान्त खरका कालोनी स्थित कार्यालय पर 41 दीपक जलाकर 41वा स्थापना दिवस मनाया गया, उक्त अवसर उपस्थित कार्यकर्ताओं को भाजपा 2 सीट से 303 सीट तक कैसे पहुँची इसको विस्तार से बताते हुये जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का जो गौरवशाली वर्तमान है इसके पीछे अतीत का लंबा संघर्ष है, संघर्ष की ये परंपरा आजादी के कुछ ही दिनों बाद 1951 में शुरू हुई जब स्वतंत्रता सेनानी श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी भारतीय राजनीति में जनसंघ नाम से लोकप्रिय ये राजनीतिक दल देश की राजनीतिक व्यवस्था में कांग्रेस के बढ़ते वर्चस्व को कम करने के लिए और लोगों के सामने एक राजनीतिक विकल्प देने के लिए बनाया गया था। तत्कालीन मीडिया और बौद्धिक जगत की बहस-डिबेट में जनसंघ को आरएसएस का राजनीतिक मंच कहा जाने लगा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुशासित सदस्य वैचारिक और संगठनात्मक रूप से जनसंघ के लिए जी-जान से काम करते रहे, जनसंघ ने कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया और इसका जोरदार विरोध किया जनसंघ ने 1953 में कश्मीर मुद्दे को जोर-शोर से उठाया श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक देश-एक निशान-एक विधान का नारा दिया। मई 1953 में कश्मीर में प्रवेश करने के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया अगले महीने श्रीनगर में उनकी मौत हो गई उसके बाद जनसंघ की कमान दीनदयाल उपाध्याय के हाथों में आ गई, दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद का नारा दिया। 1967 तक जनसंघ की राजनीति में दो ऐसे युवा नेता प्रवेश कर चुके थे जो आने वाले दिनों में भारतीय राजनीति का चेहरा बदलने वाले थे ये दो शख्स थे अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी 1968 में वाजपेयी जी जनसंघ के अध्यक्ष बन गए इस दौरान पार्टी की तीन मुख्य मांगे थीं पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करना, गौहत्या पर रोक और जम्मू-कश्मीर को दिए विशेष दर्जे की समाप्ति। 1975 में इंदिरा गांधी ने जब देश में आपातकाल लागू किया तो जनसंघ सक्रिय होकर इसके खिलाफ आंदोलन में कूद पड़ा जनसंघ के कई नेता गिरफ्तार कर जेल में डाल दिए गए 1977 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल खत्म करने की घोषणा की इसके साथ देश में आम चुनाव की प्रक्रिया भी शुरु हो गई उसी समय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया कई दलों के विलय से बने जनता पार्टी का मकसद इंदिरा गांधी को परास्त करना था इस चुनाव में जनता पार्टी को जीत मिली और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी को मोरारजी कैबिनेट में विदेश मंत्री बनाया गया लेकिन 1979 में ये सरकार गिर गई इसके बाद 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी के नाम से एक नये राजनीतिक दल की स्थापना की गई और अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने। 1984 में देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि में देश में आम चुनाव हुए सहानुभूति के अभूतपूर्व लहर में कांग्रेस ने विरोधियों का सफाया कर दिया इस चुनाव में बीजेपी मात्र 2 सीटें जीत पाई। 1986 में लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के अध्यक्ष बने उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर राम जन्मभूमि आंदोलन शुरू किया 1989 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार सफलता का स्वाद चखा और इसकी सीटें 86 हो गईं इसके बाद भाजपा लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती गई 1991 के लोकसभा चुनाव  के बीच मे राजीव गांधी की हत्या हो गई इस चुनाव में कांग्रेस ने वापसी तो की लेकिन  भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और 120 सीटों पर जीत हासिल की। 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 161 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी निश्चित रूप से भाजपा के साथ सरकार बनाने का संख्या बल नहीं था लेकिन सहयोगियों के समर्थन पर भरोसा कर अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने लेकिन समर्थन न मिलने की वजह से मात्र 13 दिन में ही उनकी सरकार गिर गई। उन्होंने आगे कहा कि 1998 में भाजपा ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया और पार्टी ने इस बार के लोक सभा चुनाव में 182 सीटें जीतीं एनडीए के बैनर तले अटल फिर पीएम बने, इस बार उनकी सरकार 13 महीने चली। वाजपेयी की सरकार गिरने के बाद 1999 में देश में एक बार फिर से मध्यावधि चुनाव हुए भाजपा को इस बार भी 182 सीटें ही मिली लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी सहयोगियों के दम पर पूरे पांच साल तक सरकार चलाने में सफल रहे। उन्होंने आगे कहा कि पहली बार पांच साल तक सरकार चलाने के बाद 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने लोकसभा का चुनाव लड़ा और इंडिया शाइनिंग और फील गुड का नारा दिया लेकिन चुनावी समय में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा एनडीए के कई सहयोगियों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया इसके बाद 2004 से लेकर 2014 तक भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में रही 2009 में आडवाणी के नेतृत्व में लड़े गए लोकसभा चुनाव में भाजपा को हार का ही मुंह देखना पड़ा, 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद से केंद्र की राजनीति में आ गए थे 2014 में बीजेपी ने उनके नेतृत्व में लोकसभा का चुनाव लड़ा और प्रचंड रूप से केंद्र की सत्ता में वापसी की 282 सीटें लेकर बीजेपी ने पहली बार केंद्र में अपने दम पर सरकार बनाई 2019 के चुनाव में भी नरेंद्र मोदी कामयाबी के रथ पर सवार रहे इस बार के चुनाव में उन्होंने अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ दिया और 303 सीटों के रिकॉर्ड बहुमत के साथ दिल्ली में अपना दबदबा और भी बढ़ा लिया 39 सालों के भाजपा के सफर में पार्टी को 10 अध्यक्षों ने अपनी सेवा दी है इस समय भाजपा को जेपी नड्डा के रूप में 11वां अध्यक्ष मिला है। उक्त अवसर पर जिला महामंत्री सुशील मिश्र, पीयूष गुप्ता, जिला उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंघानियां, अमित श्रीवास्तव, किरण श्रीवास्तव, पूर्व जिला उपाध्यक्ष राम सिंह मौर्य, जिला मंत्री अभय राय, डीसीएफ चेयरमैन धनन्जय सिंह, भूपेंद्र सिंह, मीडिया प्रभारी आमोद सिंह, भूपेन्द्र पाण्डेय, विनीत शुक्ला, अनिल गुप्ता, रोहन सिंह, जिलाध्यक्ष युवा मोर्चा दिव्यांशु सिंह,  इन्द्रसेन सिंह, सुधांशु सिंह, प्रमोद प्रजापति, विपिन द्विवेदी, प्रतीक मिश्रा,  शुभम मौर्य आदि उपस्थित रहें।

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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