जौनपुर । बचपन में ही सिर से पिता का साया छिन गया था अब जवानी की दहलीज पर पाव रखते ही कोरोना ने माँ की जान लेकर उसे अनाथ कर दिया। माँ की मौत के बाद सोनम के जीवन में अँधेरा छा गया। सोनम की दर्दभरी कहानी मीडिया के माध्यम से एक समाजसेवी अरविन्द सिंह को हुई तो वे इस बिटिया को ही गोद ले लिए, उन्होंने कहा कि आज से सोनम मेरी बिटिया है उसकी पढाई लिखाई , पालन पोषण और उसकी शादी विवाह, कन्यादान मै करूँगा। अरविन्द सिंह की इस दरियादिली को सभी सलाम कर रहे है।
गौराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के पिलखिनी गांव की निवासी सोनम जायसवाल पर कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया कि उसके जीवन में अँधेरा ही अँधेरा हो गया, जब सोनम अपने पिता मंगला जायसवाल को ठीक से पहचान भी नहीं पायी थी कि वे बिमारी के चलते दुनियां छोड़कर चले गए, माँ कमला देवी मेहनत मजदूरी करके सोनम को पालापोषा और पढ़ा रही थी , लेकिन चार दिन पूर्व कमला देवी कोरोना से संक्रमित हो गई, सोनम ने माँ को जिला अस्पताल में भर्ती किया लेकिन हालत ख़राब होने के बाद कमला देवी को वाराणसी के ट्रामा सेन्टर भेज दिया गया। इलाज के दरम्यान सोमवार को उसकी मौत हो गई। सोनम ने अपने करीबी रिश्तेदारों के सहयोग से माँ का अंतिम संस्कार वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर कर दिया, माँ का अंतिम संस्कार करते समय सोनम ने चीखते हुए कही कि "मां अब मुझे कौन संभालेगा,किसके भरोसे छोड़कर हमे जा रही हो माँ" के लिए सोनम की यह चीख घाट पर ऐसी गूंजी कि अखबारों की सुर्खियां बन गई।
अखबारों में छपी खबर पढ़कर इस गांव के निवासी व सुधाकर सिंह फाउण्डेशन महाविद्यालय के प्रबंधक अरविन्द सिंह के आँखों से आशू छलक गया वे वगैर समय गवाए सीधे सोनम के घर पहुंच गए, उस समय सोनम और उसके करीबी रिश्तेदार कमला देवी के गम में डूबे हुए थे उनके करुणा क्रंदन की चीत्कार पूरे गांव में गूंज रही थी, किसी तरह अरविन्द सिंह समझा बुझाकर सभी को शांत कराने के बाद सोनम से कहा कि आज से तुम मेरी बेटी हो तुम्हे मै पढ़ाऊंगा, लिखाउंगा और कन्यादान भी मै करूँगा, इतना सुनने के बाद उसे कुछ आस जगी तो सोनम के आँखों में नई चमक दिखाई देने लगी।
अरविन्द सिंह के इस दरियादिली की चौतरफा तारीफ हो रही है। खबर साभार।
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
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