जौनपुर। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष रमेश सिंह ने कहा कि प्रदेश के लाखों वित्तविहीन शिक्षकों, कर्मचारियों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदेश सरकार की इस दोषपूर्ण नीतियों का विरोध पहले भी होता रहा है, अब और कड़े तेवर के साथ किया जाएगा।
वह रविवार को जौनपुर के इंद्रासनी कांप्लेक्स स्थित कैंप कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।
उन्होंने प्रदेश की योगी सरकार पर वित्त विहीन शिक्षक साथियों के साथ सौतेला व्यवहार करने का सीधा आरोप लगाया है।
कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण के दौरान समाज के सभी वर्गों जैसे-व्यापारी, किसान,मजदूर, पटरी पर ठेला लगाने वाले, श्रमिकों समेत कमजोर तबके के लोगों को कुछ न कुछ आर्थिक मदद उपलब्ध कराया है, जो प्रशंसनीय है। लेकिन दूसरी ओर इस महामारी के बीच सरकार का शिक्षक/कर्मचारी विरोधी चेहरा भी उजागर हुआ है। क्योंकि सरकार द्वारा प्रदेश के लाखों वित्त विहीन शिक्षक साथियों को न तो पहली लहर में ही और न दूसरी लहर में भी कोई आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गयी है।
जिसके कारण पहले से ही भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके वित्तविहीन शिक्षक साथियों के परिजन अब फाकाकसी के लिए मजबूर हो गए हैं। लगातार विद्यालय बंद चलने के कारण न तो बच्चे विद्यालय आ रहे हैं, और न ही उनके परिजन शुल्क ही जमा कर पा रहें हैं।
प्रदेश के वरिष्ठ शिक्षक नेता ने सरकार के इस भेदभाव पूर्ण नीति पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि कोरोना संकट के दोनों लहरों के दौरान जहाँ सरकार अपनी असफलताओं को मानने के लिए तैयार नहीं है। वहीं अब सरकारी मदद बांटने में भी सरकार भेदभाव कर रही है।प्रधानमंत्री के मूल मंत्र "आपदा में अवसर "तलाशते हुए प्रदेश सरकार द्वारा इस भीषण महामारी के बीच भी अपना वोट बैंक बढ़ाने की गरज से ही आर्थिक इमदाद दी जा रही है।
जबकि प्रदेश में बंद पड़े हजारों विद्यालयों के प्रबन्धन द्वारा अपने शिक्षकों को मानदेय देने में असमर्थता व्यक्त की जा रही है। ऐसे में लाखों शिक्षकों के सामने बहुत ही गंभीर समस्या खड़ी हो गई है कि वह अपना परिवार लेकर अब दो वक्त की रोटी के लिए कहां जाएं। शिक्षक नेता रमेश सिंह ने शिक्षकों की मांगों से जुड़ा एक पत्र रविवार को मुख्यमंत्री को भेजा है, उन्होंने इसकी प्रतिलिपि जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा को सौंप दिया दिया है। शिक्षक नेता ने पत्र के माध्यम से यह मांग किया है कि सरकार द्वारा इन लाखों वित्त विहीन शिक्षकों को अविलंब कुछ ना कुछ आर्थिक सहायता अवश्य उपलब्ध कराई जाय, जिससे शिक्षकों के घरों के चूल्हे जलते रहें।
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
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