क्या इंसानी शवों से भी फैलता है कोरोना संक्रमण?

क्या इंसानी शवों से भी फैलता है कोरोना संक्रमण?

 

कोरोना वायरस के कारण बढ़ते संक्रमण के मामलों ने दुनियाभर की चिंता बढ़ाई है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर भारत में हर दिन होने वाली मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। पिछले वर्ष, दूसरी लहर में कई ऐसी हृदयविदारक तस्वीरें सामने आईं, जिनमें कोरोना संक्रमित की मौत के बाद उनके परिवार के सदस्यों को दूर से ही अंतिम विदाई देनी पड़ी। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां बवाल या हंगामे की वजह से शव को दफनाने या अंतिम संस्कार में देरी हुई। लोगों को बस डर था कि इससे कोरोना फैल जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसमें कितनी सच्चाई है?

दरअसल, कोरोना मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर दिशानिर्देश तय किए गए हैं। पीपीई किट्स से लैस होकर ही अंतिम संस्कार किया जा सकता है। इसके अलावा रिश्तेदारों को भी सुरक्षा बरतते हुए ही शव देखने की इजाजत है। हालांकि बहुत पास जाने या छूने की अनुमति नहीं। कारण कि लोगों में गलत धारणा बैठी हुई है कि शव के पास रहने से कोरोना संक्रमण हो सकता है। हालांकि यह पूरी तरह सच नहीं है। स्वास्थ्य रिपोर्टों के मुताबिक, मानव शव वायरस कैरियर नहीं है

देश में कोरोना मरीजों से भेदभव वाली कई घटनाएं सामने आई हैं। लोगों का मरीजों से दूरी बनाना तो ठीक है, लेकिन उनका बहिष्कार नहीं करना चाहिए। कई जगह कोरोना मरीजों का अंतिम संस्कार तक करने नहीं दिया गया। जबकि शवों से संक्रमण फैलने की बात पूरी तरह सच नहीं है। हां, मरने के बाद इंसानी शरीर के तरल पदार्थ जैसे खून, सलाइव, बलगम आदि में वायरस हो सकता है। इसीलिए अंतिम संस्कार को लेकर दिशानिर्देश निर्धारित किए गए हैं।
#वायरस तो पेन ड्राइव की तरह होता है
द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोलकाता में जीवविज्ञानी और शिक्षक डॉ. अनिर्बान मित्रा कहते हैं वायरस एक पेन ड्राइव की तरह काम करता है। इसका केवल यूएसबी कनेक्टर ही बाहर होता है, जिसे डाटा ट्रांसफर के लिए लैपटॉप या कंप्यूटर से जोड़ना पड़ता है। पेन ड्राइव में कितना भी डेटा क्यों न हो, लेकिन यूएसबी पोर्ट में इसे कनेक्ट किए बिना इसका कोई यूज नहीं। ऐसा किए बिना डाटा ट्रांसफर नहीं हो सकता।

अनिर्बान मित्रा के मुताबिक, कोरोना वायरस भी एक पेन ड्राइव की तरह है। इस वायरस के भीतर आरएनए (RNA) होता है, जो एक तरह का ब्लूप्रिंट होता है। यही शरीर में प्रवेश करने के बाद अपनी कॉपी यानी प्रतिकृति यानी कहा जाए कि अपनी संख्या बढ़ाता है। ऐसा करने के लिए वायरस का रिसेप्टर प्रोटीन से जुड़ना जरूरी है। शव में अगर कोरोना वायरस है भी तो वह निष्क्रिय शरीर से भला फैलेगा कैसे!
#और साधारण तरीके से समझें
माध्यमिक शिक्षा के दौरान अगर आपका आपने बायोलॉजी पढ़ा होगा, तो उसमें यह जरूर पढ़ाया गया होगा कि कोई वायरस एक कोशिका के सिस्टम पर कब्जा करने के बाद बॉयोमॉलिक्यूल्स यानी जैविक अणु प्रोड्यूस करवाता है। आखिर में वह कोशिका खुद फट जाती है और वायरस के तत्व या पार्टिकल्स फैल जाते हैं। किसी नए वायरस के बनने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। लेकिन मृत शरीर में तो ऊर्जा होती ही नहीं है। यानी इंसानी शव से वायरस नहीं फैल सकता।
#ठीक तरीके से अंतिम संस्कार जरूरी
हालांकि विशेषज्ञ ये भी बताते हैं कि अगर मानव शव से निकलने वाले तरल पदार्थ जैसे खून, सलाइव, बलगम आदि वायरस का सोर्स हो सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना से व्यक्ति की मौत के बाद ज्यादा देर नहीं करते हुए मरीज के शव का अंतिम संस्कार कर देना चाहिए। वैसे भी चिता का तापमान करीब 1000 डिग्री सेल्सियस होता है, जिसमें वायरस का नष्ट होना तय है।
#विश्व स्वास्थ्य संगठन का निर्देश
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कोरोना वायरस संक्रमण से मौत के बाद मरीज के शव को मॉर्च्युरी में भेजने से पहले डिसइन्फेक्ट करने की जरूरत नहीं है। हालांकि डेड बॉडी से निकलने वाले तरल को कंटेन किया जाना जरूरी बताया गया है।

कुल बातों की मूल बात ये है कि कुछ ही वायरस ऐसे हैं तो मृत कोशिकाओं के अंदर भी अपना उत्पादन जारी रख सकते हैं, लेकिन कोरोना के मामले में खांसने, छींकने, सांस छोड़ने के दौरान द्रव निकलने से संक्रमण का खतरा होता है और मृत शरीर सांस नहीं लेता है। इसलिए शव से संक्रमण फैलने की संभावना न के बराबर होती है। साभार


रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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