अपने ही देश में हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा घोषित होने के पहले बहुत हुआ संघर्ष, डॉक्टर अंजना सिंह

अपने ही देश में हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा घोषित होने के पहले बहुत हुआ संघर्ष, डॉक्टर अंजना सिंह

 "भारत मां के माथे पर सजी बिंदी हूं

मै भारत की बेटी, आप की अपनी हिंदी हूं"!!


उपरोक्त वाक्य में हिंदी भाषा जैसे अपने ही देश में #कराह रही है। अपने ही देश में हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा घोषित होने के पहले बहुत ही संघर्ष हुआ, "हिंदी भाषा नहीं भावों की अभिव्यक्ति  है यह मातृभूमि पर मर मिटने की शक्ति है" ,,हिंदी के द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है भाषा हमारी संस्कृति परंपरा का दर्पण है हिंदी भाषा अभिव्यंजना की अपार क्षमता से पूर्ण एवं समृद्ध भाषा है विविधता से परिपूर्ण देश में राष्ट्रीय एकता की प्रतीक है हिंदी भाषा!" सरल है, सुबोध है, सुंदर अभिव्यक्ति है, हिंदी ही सभ्यता हिंदी हमारी संस्कृति है "हिंदी भाषा अनेकता में एकता को स्थापित करने की सूत्रधार है!!        एक छोटी सी कविता।" ओ री हिंदी सुन री, ख्वाब तू भी नए बुन री ,तेरा शुक्रिया हम कैसे करें ,तुझ बिन हम हैं अधूरे, तू आई तो हम खिल पाते हैं, तेरे संग हिल मिल पाते हैं ,सभ्यता तूने ही तो सिखलाई, तुझ संग ही यह भाषा जान पाई, बता किन शब्दों में तेरा आभार करूं, तुझे शिरोधार्य क्यों ना करूं, तू है तो जिंदा है लेखन की कला, तू है तो जिंदा है  जुबानों का रेला, कैसे तुझ पर मैं गर्व ना करूं, कैसे तुझको मैं धन्यवाद ना करूं ,तेरे अनगिनत उपकार है मुझ पर, कैसे तुझ संग मिलकर मैं लेखन ना करू!!!!!!



डॉक्टर,अंजना सिंह

हिंदी को हृदय से सलाम !!!!


"निज भाषा उन्नति अहै ,सब उन्नति को मूल ,बिन निज भाषा ज्ञान के  ,मिटे न हिय को सूल!!

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