जिला चिकित्सालय में ईसीजी मशीन होने के बावजूद भी दर-दर भटक रहे हैं लोग, बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का जिम्मेदार कौन?

जिला चिकित्सालय में ईसीजी मशीन होने के बावजूद भी दर-दर भटक रहे हैं लोग, बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का जिम्मेदार कौन?

जौनपुर। जिला चिकित्सालय में इस समय स्वास्थ्य व्यवस्था बद से बदतर हो चुकी है। सैकड़ों की संख्य में मरीज प्रतिदिन अपना उपचार कराने के लिए जिला अस्पताल का रूख करते हैं। बीमारी और गरीबी दोनों से जूझ रही आम जनता को क्या पता कि जिला अस्पताल पहुंचते ही उनका शोषण शुरू हो जायेगा।

जिला अस्पताल में कार्यरत अधिकतर चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों के बर्ताव से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना होता है। सरकार की तरफ से तमाम सुविधाएं जिला अस्पताल को उपलब्ध है बावजूद इसके कमीशन और धन की लालसा में अंधे लोग मरीजों का शोषण करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
कमीशन के चक्कर में बाहर की दवाएं लिखना तो मानों चिकित्सकों की रीति हो चुकी है। टीवी अस्पताल से एक एमडीआर की महिला पेसेंट को ईसीजी कराने के लिए जिला अस्पताल भेज दिया गया। महिला केराकत तहसील की रहने वाली है, उसका नाम नीलम है। जिला अस्पताल पहुंचने के बाद उससे कहा गया कि यहां यह सुविधा नहीं है आप बाहर से कहीं करा लीजिए।  ऐसा नहीं है यह सुविधा अस्पताल में नहीं है। अस्पताल में कमरा नंबर 13 में ईसीजी की मशीन है लेकिन उसे  चलाने वाले स्वास्थ्य कर्मी की ड्ïयूटी कहीं अन्यत्र लगा दी गयी है, जिसके कारण आये दिन मरीजों को ईसीजी कराने के लिए भटकना पड़ता है।
अब ऐसे में सवाल उठता है कि जब सरकार द्वारा तमाम सुविधाएं जिला अस्पताल को उपलब्ध कराई गयी है तो यहां के जिम्मेदार लोग अपनी जिम्मेदारियों से क्यों बचते हैं। मरीजों का कहना है कि पैसे की लालच में हम लोगों को बाहर ईसीजी कराने के लिए भेज दिया जाता है। निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि अपने निजी फायदे के लिए उन्हे बाहर भेजा जाता है। जिम्मेदार लोगों के इस रवैये से सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है और मौजूदा योगी सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है।
अगर समय रहते आला अधिकारियों ने जिला अस्पताल की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए कोई सख्त कदम नहीं उठाया तो मरीज यूं ही दर-बदर की ठोंकरे खाते रहेंगे और सरकार को कोसते रहेंगे। वहीं जिला पुरूष अस्पताल के सीएमएस अलग की बंशी बजा रहे हैं। अपने चहेते चिकित्सकों को पूरी छूट दे रखी है, चाहे ड्ïयूटी पर आये या न आये, रजिस्टर तो मेंटेन हो ही जाता है। 


रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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