आजादी के बाद से ही एक अदद एक पुल के लिए रो रहे हैं जमुई वासी

आजादी के बाद से ही एक अदद एक पुल के लिए रो रहे हैं जमुई वासी

                    रिर्पोट: वीरेंद्र जमुई

जमुई । बिहार राज्य के सबसे अंतिम जिला जमुई, सबसे पिछड़ा जिला, जमुई, ना कोई उद्योग ना कोई आमदनी का मुक्कमल व्यवस्था, एक तो बेरोजगारी की मार, दूसरी तरफ  नदी में डूबकर काम,मजदूरी

खोजने की जद्दोजहद,
जमुई जिले जो जिंदा है तो बो है एकमात्र रोजगार, बीड़ी कुटीर उधोग ।जिसमे गांवों में हर घर मे बीड़ी बनती देखा जा सकता है।
ऐसे में झाझा प्रखण्ड कार्यालय से मात्र 1 किलोमीटर के लगभग उलाय नदी आजादी के बाद से ही अदद एक पुल के लिए रो रहा है।तरस रहा है।
बीड़ी मज़दूरों का जिक्र इसलिए करना ज़रूरी  ही जाता है।क्योंकि बलियो नदी के उसपार, कई बस्तियाँ है हजारों लोग है जो नदी में पानी भर जाने के कारण बीड़ी कंपनी के यहाँ पहुचाने में असमर्थ है।
नतीजा आज भूखों मरने को विबस हे ?
यदि नदी पर पुल होता तो बीड़ीयां कंपनियों को पहुंच पाती और गरीबों के चूल्हे जल पाते काश ऐसा होता ?
लेकिन जमुई ,जिले के 4 विधायक में से एक सरकार के कैबिनेट मंत्री मिलाकर भी,यहाँ तक सांसद चिराग पासवान भी ।
सिर्फ और सिर्फ आश्वाशन का झुन झुना ही पकड़ाने का काम किया है और कुछ नहीं?
एक समाजिक संगठन ,नव युबक संघ के संयोजक गौरंब सिंह राठौर आम जनता के लिए संघर्षरत है।

आज भी श्री राठौर, बसपा नेता राजू यादब समेत सैकड़ो ग्रमीणों ने सरकार को कुंभकर्णी नींद से जागने का प्रयास किया है।
लेकिन सरकार कब कुंभकर्णी नींद से जागती है??


रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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