टीका लगवाने से डर लगता है साहब, आखिरकार स्वास्थ्य विभाग के प्रयास से बच्ची को लगा टीका

टीका लगवाने से डर लगता है साहब, आखिरकार स्वास्थ्य विभाग के प्रयास से बच्ची को लगा टीका

जौनपुर।  सोधी ब्लॉक में एक मामला ऐसा आया है जहां परिवार को टीका लगवाने से डर लगता है लेकिन स्वास्थ्यकर्मी लगातार परिवारजन के सम्पर्क में रहे और टीकाकरण के फायदे बताते रहे। अंततः एक दिन उन्हें कामयाबी मिल गई। दंपति अपनी बच्ची को न सिर्फ टीका लगवाने को तैयार हुए बल्कि अब फॉलोअप में भी आ रहे हैं।  सोधी ब्लॉक के भूड़कुड़हा गांव की मां सादिया बानो और पिता मोहम्मद हारिश को एक निजी अस्पताल में 26 नवम्बर 2020 को आयशा खातून नामकी बेटी पैदा हुई। गांव के पंचायत भवन पर ही बच्चों का टीका लगता है। घर से मात्र 50 मीटर की दूरी पर पंचायत भवन होने के बावजूद दंपति टीका नहीं लगवा रहे थे जबकि आंगनबाड़ी और एएनएम लगातार सम्पर्क कर टीकाकरण के लिए प्रयासरत थे। आंगनबाड़ी मनका प्रजापति ने बताया कि टीका लगवाने के लिए कहने पर परिवार वाले कहते थे कि हमें टीका लगवाने से डर लगता है। हम नहीं लगवाएंगे। इतना कहकर वे वहां से चले जाते थे। मान मनौवल का सिलसिला 11 माह तक चलता रहा। आखिर में 13 नवम्बर 2021 को गांव में ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) का सत्र लगा। सत्र का निरीक्षण करने ब्लॉक मोबलाइजेशन को-आर्डिनेटर (बीएमसी) अवधेश कुमार तिवारी पहुंचे। उन्होंने ड्यू लिस्ट देखा तो उसमें कई बच्चों के आगे टीकाकरण से इनकार लिखा था। उन्होंने इस बारे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मनका देवी व आशा कार्यकर्ता सीमा देवी से बात की तो वह उन्हें लाभार्थी के परिवार से मिलने पर जोर देने लगीं। इस पर वह लोग बच्ची के घर उसके पिता मोहम्मद हारिश, दादा मोहम्मद तारिक व मां सादिया बानो से मिलने उनके घर पहुंचे। उनसे बच्ची को टीका न लगवाने का कारण पूछा। अभिभावकों का उत्तर था कि हम टीका में विश्वास नहीं करते। मैंने दूसरे बच्चों को भी टीका नहीं लगवाया है। टीका लगवाने से बुखार आ जाता है। फिर बीएमसी ने समझाया कि टीका कई बीमारियों से बचाता है।          उन्होंने उदाहरण देकर समझाते हुए कहा कि जिन बच्चों को टीका लगा है, वे लगवाने वालों की अपेक्षा कम बीमार पड़ते हैं। बेसिकल कालमेटे गुएरीन (बीसीजी) आदि का टीका लगवाने पर थोड़ा बहुत बुखार आ जाता है लेकिन उससे डरने की जरूरत नहीं होती। दवा के काम करने की वजह से बुखार आता है जो अपने आप सही हो जाता है। ऐसे ही आजकल कोरोना का टीका लग रहा है, उससे भी हल्का-फुल्का बुखार आता है लेकिन वह कोरोना से बचाता है।  मेहनत का परिणाम रू समझाने का असर हुआ। 11 माह बाद 13 नवम्बर 2021 को आयशा को एएनएम मधुमालती देवी ने पहला टीका लगाया। उसके बाद सभी प्रमुख टीके लगे  अब परिवार वाले खुश रू बच्ची के दादा मोहम्मद तारिक, मां सादिया बानो कहती हैं कि आयशा को कोई दिक्कत नहीं है। वह टीकाकरण की व्यवस्था से खुश हैं और आगे समय पर बच्ची को लगने वाले सारे टीके लगवा लेंगे।

सांकेतिक चित्र

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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