आइए जानते हैं एक ऐसे शहीद के बारे में जो मरने के बाद भी करते रहे सीमा की सुरक्षा

आइए जानते हैं एक ऐसे शहीद के बारे में जो मरने के बाद भी करते रहे सीमा की सुरक्षा

एक हादसे में वह शहीद हो गए थे। लेकिन मातृभूमि के प्रति प्रेम ने उन्हें देश से जाने नहीं दिया। अपने साथी के सपने में आकर उन्होंने बताया कि उनका शव कहां दबा हुआ है और अगले दिन ठीक उसी स्थान से उनका शव बरामद किया गया, जहां उन्होंने बताया था।

फाइल फोटो

1/7 वीर फौजी की कहानी
भारत माता के सपूत शहीद कैप्टन हरभजन सिंह ऐसे वीर सैनिक हैं, जिनका शरीर छूटने के बाद भी देशप्रेम नहीं छूटा। जानकारी के अनुसार, शहीद कैप्टन हरभजन सिंह 23वीं पंजाब बटालियन के सैनिक थे। इन्होंने सन 1966 में सेना ज्वॉइन की थी और 19 68 में एक हादसे के दौरान इनके शरीर की मृत्यु हो गई।
2/7 गश्त के दौरान हुआ हादसा
जानकारी के अनुसार, चीन से जुड़ी सिक्किम सीमा पर तैनात स्वर्गीय हरभजन सिंह घोड़े पर सवार होकर अपने कार्यालय की तरफ जा रहे थे। रास्ते में दुर्घटनावश वह एक नाले में गिर गए। बहुत ढूंढने के बाद भी कई दिन तक उनका पता नहीं चला। फिर एक दिन उन्हें लापता घोषित कर दिया गया।
3/7 राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
फिर जब हरभजन सिंह ने अपने साथी के सपने में आकर पूरी घटना बताते हुए अपने शव के बारे में जानकारी दी तो अगले दिन उनके साथियों ने उसी जगह उनका शव खोजा। इसके बाद उन्हें शहीद घोषित कर दिया गया और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
4/7 निरंतर करते रहे ड्यूटी
वह अंतिम संस्कार इस बहादुर सैनिक के शरीर का हुआ था, इनकी आत्मा तो जीवित थी और देश की सीमा पर तैनात रहती थी। कुछ ऐसी घटनाएं घटने लगीं कि इनके साथियों और सीनियर्स को इन्हें जीवित मानते हुए इनकी सारी सेवाएं जारी रखनी पड़ी। इनका बंकर, इनकी वर्दी, इनकी ड्यूटी, इनकी छुट्टियां, इनकी तैनाती और इनकी सैलरी। सब पहले की तरह जारी रखा गया। जैसा इनके शरीर छोड़ने से पहले रहता था।
5/7 बंकर को बनाया गया मंदिर
हरभजन सिंह के बंकर को एक मंदिर के रूप में हर रोज साफ-सुथरा कर उनकी वर्दी पर प्रेस और जूतों पर पॉलिस किया जाने लगा। हैरान करनेवाली बात यह होती थी कि हर शाम को इन जूतों पर कीचड़ या धूल लगी मिलती थी, वर्दी गंदी होती थी और सुबह के समय बिस्तर में सलवटें होती थीं, जैसे वह अभी सोकर उठे हैं। फिर कैप्टन हरभजन  सिंह की समाधी का निर्माण किया गया। आज यहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए भी आते हैं। सेना के जवानों सहित यहां से गुजरनेवाला हर व्यक्ति बाबा हरभजन सिंह की समाधि पर रुकता है और उनका आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ता है।
6/7 घर छोड़ने जाते थे साथी
जब हरभजन सिंह की छुट्टियों का समय आता था, तब सेना की तरफ से उनका ट्रेन में रिजर्वेशन किया जाता था और उनके दो साथी उनके सामान को उनके पैतृक घर में छोड़कर आते थे। ऐसा कहा जाता है कि वह अपनी इच्छाएं अपने साथियों के साथ उनके सपने में आकर साझा करते थे।
7/7 अब होता है ऐसा
अब कैप्टन हरभजन सिंह को बाबा हरभजन सिंह के नाम से जाना जाता है। जानकारी के मुताबिक, अब बाबा के बंकर को मंदिर बना दिया गया है। जिस समय बाबा को छुट्टियां मिलती थीं, उस समय अब स्थानीय लोग उनके सम्मान में उत्सव का आयोजन करने लगे हैं। इसलिए अब बाबा छुट्टी पर नहीं जाते और पूरे साल यहीं अपने बंकर में रहते हैं। सेना ज्वॉइन करने के बाद यहां आनेवाले फौजी सबसे पहले बाबा से आशीर्वाद लेने जाते हैं। जब किसी को कोई समस्या होती है तो वह अपनी समस्या बाबा से साझा भी करता है। आस्था है कि बाबा उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं। साभार एनबीटी।

शहीद कैप्टन हरभजन सिंह

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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