जौनपुर। शाहगंज विकास खंड के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों के सामने बडी दिक्कत है कि स्कूलों में अभी तक बच्चों को निःशुल्क पाठ्य-पुस्तक नहीं पहुंच पाई है और सरकार शिक्षा की गुणवत्ता देखने के लिए टीमों का गठन कर भौतिक सत्यापन करने में जुटीं है।
ज्ञातव्य है कि करंजाकला एवं शाहगंज सोंधी विकास खंडों के साढ़े तीन सौ परिषदीय विद्यालयों में सरकार द्वारा निशुल्क पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध कराती हैं। परिषदीय विद्यालयों का नया शैक्षणिक सत्र अप्रैल से शुरू हो गया है लेकिन अभी तक विद्यालयों में छात्रों को पाठ्यक्रम नहीं मिल पाया है, कुछ स्कूलों में आधी अधूरी पुस्तकें वितरण किया गया है। शिक्षकों द्वारा पुरानी फटी हुई पुस्तकें कुछ छात्रों को दी गई है।
शाहगंज विकास खंड में 136 प्राथमिक विद्यालय तथा 52 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं एवं करंजाकला में भी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय है जिनकी संख्या भी लगभग शाहगंज विकास खंड के बराबर है। छात्रों को पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध नहीं करा पाये और उपर से शिक्षा की गुणवत्ता चेक करने अधिकारियों की टीम चल रही है। ऐसे में शिक्षक कैसे छात्रों को शिक्षा दे पायेंगे। एक और समस्याओं से जूझ रहे है छात्रों को निशुल्क डेस वितरण का हैं अब सरकार डीबीटी योजना के तहत बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाते में सीधे 1100- रुपए भेजती हैं, पैसा मिलने के बाद अभिभावक डेस का पैसा खाते से निकाल कर धनराशि को अन्य कहीं खर्च कर लेते हैं और बच्चों को ड्रेस नहीं खरीदते हैं। बच्चे इस लिए पुराने कपड़े ही पहन कर स्कूलों में आते हैं और शिक्षा अधिकारी प्रधानाध्यापक पर दबाव बनाते हैं कि बच्चे स्कूली ड्रेस में आये। अब देखना यह है कि उक्त दोनों मसलों पर सरकार क्या करती है।नये सत्र का चार महीने बीत गए हैं और बच्चों को निशुल्क पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध नहीं हो पाया है ऐसे में शिक्षक बच्चों को कैसे शिक्षा दें। सरकार के खोखले दावे साबित हो रहें हैं।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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