मधुबनी । जिले के मैलाम- सिजौल पंचायत के मूल निवासी डॉ बीरबल झा को इस वर्ष शिक्षक दिवस के अवसर पर ‘ग्लोबल स्किल्स ट्रेनर अवार्ड-2022’ से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार माननीय जनरल वीके सिंह, केंद्रीय नागरिक उड्डयन और सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्यमंत्री द्वारा डॉ बीरबल को दिल्ली-एनसीआर के हाई-टेक इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के सभागार में प्रदान किया गया।
प्रख्यात अंग्रेजी भाषा विशेषज्ञ शिक्षक डॉ बीरबल झा ने हाल ही में भारत में टॉप -20 सेल्फ हेल्प ऑथर के समूह में 5 वां स्थान प्राप्त किया है ।
डॉ बीरबल झा ने 'इंग्लिश फॉर ऑल’ का नारा बुलंद करते हुए भारत में अंग्रेजी प्रशिक्षण में क्रांति लाने वाले सख्सियत हैं।
डॉ बीरबल को पुरस्कार प्रदान करते हुए समारोह के मुख्य अतिथि जनरल वीके सिंह ने कहा, ‘‘हमारी जिंदगी में सबसे ज्यादा मायने रखता है कि हम बात कैसे करते हैं और चलते हैं।
डॉ झा की सराहना करने वाले हाई-टेक ग्रुप के अध्यक्ष आनंद प्रकाश ने कहा कि भारत सरकार के पूर्व शिक्षामंत्री श्री मुरली मनोहर जोशी की बदौलत समाज के निचले तबके के लाखों छात्र-छात्राएं तकनीकी शिक्षा हासिल करने में सक्षम हुए हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग देश में निजी प्रौद्योगिकी कॉलेजों के लिए दरवाजे खोल रहा है।
डॉ झा की अब तक की सर्वश्रेष्ठ सेल्फ-हेल्प बुक 'सेलिब्रेट योर लाइफ' के अलावा 'स्पोकन इंग्लिश किट' की लाखों प्रतियां बिकी व पढ़ी गयी हैं । इसके पठान-पठान से भारतीय युवाओं के जीवन पर सकारात्मक और आशावादी प्रभाव पड़ा है। इसे एक सामाजिक परिवर्तन व चेतना के रूप में देखा जा रहा .
सामाजिक व व्यावसायिक मोर्चे पर समाज के निचले स्तर व जन-जन तक अंग्रेजी भाषा के लाभ को पहुंचाने का श्रेय डॉ बीरबल को जाता है। उन्होंने 1993 में 'इंग्लिश फॉर ऑल' का नारा देते हुए समाजिक संस्था 'ब्रिटिश लिंगुआ' की स्थापना पटना में की।
वर्ष 2017 में मशहूर लेखक विवेकानंद झा द्वारा लिखित 'द लिविंग लीजेंड्स ऑफ मिथिला' पुस्तक का प्रकाशन हुआ , जिसमें क्षेत्र की 25 प्रमुख हस्तियों के जीवन रेखाचित्र एवं सामाजिक योगदान का उल्लेख है। जिसमें डॉ बीरबल झा को 'यंगेस्ट लिविंग लीजेंड ऑफ़ मिथिला' की उपाधि से नमाजा गया।
डॉ बीरबल झा को उनकी सांस्कृतिक पहल - 'पाग बचाओ अभियान' के लिए ' पागमैन ऑफ़ इंडिया' के रूप में भी जाना जाता है। उनके इस अभियान के फलस्वरूप , नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2017 में मिथिला की सांस्कृतिक पहचान- पाग पर डाक टिकट जारी किया था।
इतिहास में अपनी तरह का इस तरह का पहला सांस्कृतिक आंदोलन है । डॉ झा के सामाजिक नेतृत्व के तहत क्षेत्र के चार करोड़ से अधिक लोग इस अभियान से जुड़े।
शीर्ष संचार कौशल प्रशिक्षक व ब्रिटिश लिंगुआ के प्रबंध निदेशक के अलावा डॉ बीरबल झा एक प्रसिद्ध लेखक, सामाजिक उद्यमी, गीतकार, भाषाविद् , व्युत्पत्तिविज्ञानी, स्तंभकार, सामाजिक विचारक व कार्यकर्ता हैं ।
विद्वान डॉ बीरबल ने अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए स्ट्रक्चरल-कम-इंटरएक्टिव मेथड के तहत अद्वितीय एंड्रागोजिकल मैनुअल- 'इंग्लिश सिम' तैयार किया। जो मिल का पत्थर साबित हुआ। जिससे लाखों शिक्षार्थियों लाभान्वित हुए । उनकी जीवनशैली बदली।
2009 में बिहार सरकार ने सरकारी हाई स्कूल के शिक्षकों हेतु पहली बार 'स्पोकन इंग्लिश एंड कैपेसिटी बिल्डिंग' प्रशिक्षण कार्यक्रम को कार्यान्वित की जिम्मेदारी डॉ बीरबल झा को दी गयी। जिसने एक बेंचमार्क स्थापित कियागया।
डॉ बीरबल झा अपने गृह राज्य बिहार के 30 हजार से अधिक गरीबों को अंग्रेजी शिक्षा और प्रशिक्षण देकर उनके जीवन में उल्लेखनीय परिवर्तन लाने में सफल रहे हैं । उनके इस क्रांतिकारी कदम के परिणामस्वरूप युवा वर्ग कि जीवन शैली और करियर-उन्मुखीकरण में एक महान सामाजिक परिवर्तन हुआ है।
दिल्ली में आयोजित 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में उनकी भूमिका अहम् रही। जो संपर्क के पहले बिंदु थे, उन लोगों को उन्होंने स्पोकन इंग्लिश स्किल्स एवं समाजिक आचार-व्यबहार के प्रशिक्षण का नेतृत्व किया। उनके इस प्रयास की काफी सराहना की।
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डॉ बीरबल झा को सम्मानित करते हुए केंद्रीय मंत्री वीके सिंह |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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