जौनपुर । जिले के पुलिस लाइन जनपद में कल दिनांक 07/09/22 को विपरीत परिस्थितियों के समय हृदय गति रूक जाने के उपरान्त जीवन रक्षा के उद्देश्य से समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों को राजकीय चिकित्साधिकारी डॉक्टर शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी द्वारा प्रशिक्षित किया गया। डॉक्टर द्विवेदी ने बताया कि सीपीआर इमरजेंसी की हालत में इस्तेमाल की जाने वाली एक मेडिकल थैरेपी की तरह है, जिससे कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। सीपीआर का पूरा नाम फुल फॉर्म “कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन” (Cardiopulmonary resuscitation) है. इससे कार्डियक अरेस्ट और सांस न ले पाने जैसी आपातकालीन स्थिति में व्यक्ति की जान बचाई जा
सकती है। सीधे शब्दों में कहें तो कई बार किसी व्यक्ति की अचानक सांस रुक जाती है या फिर कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में किसी को सांस नहीं आता है तो सीपीआर दिया जाता है, जिसकी वजह से लोगों की जान बचाई जा सकती है। एक तरह से सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है साथ ही इससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है। जैसे अगर व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है तो पर्याप्त ऑक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगती हैं, वहीं, इसका असर दिमाग पर भी पड़ता है, जिससे गंभीर कई बार व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। ऐसी स्थिति में अगर सीपीआर दिया जाता है तो कई जानें बचाई जा सकती हैं। इससे जान बचने की संभावना बढ़ जाती है एवं सीपीआर कोई दवा या इंजेक्शन नहीं है। यह एक तरह की प्रक्रिया है, जिसे मरीज के शरीर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में व्यक्ति की सांस रुक जाने पर सांस वापस लाने तक या दिल की धड़कन सामान्य हो जाने तक छाती को दबाया जाता है, जिससे शरीर में पहले से मौजूद वाला खून संचारित होने लगता है। इस अवसर पर एस0एस0पी0 जनपद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी ने डॉक्टर द्विवेदी के उनके अभूतपूर्व कार्य करने के लिये उनकी सराहना एवं शुभकामना प्रदान की साथ ही साथ उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।![]() |
सीपीआर की जानकारी देती स्वास्थ्य विभाग की टीम |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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