आजमगढ़। जिला अस्पताल की ओपीडी व्यवस्था जैसे सुधरने का नाम नहीं ले रही है। शासन-प्रशासन भले ही सुबह आठ से दो बजे तक की ओपीडी में डॉक्टरों को मौजूद रहने व मरीजों का इलाज करने का निर्देश दे रखा हो लेकिन जिला अस्पताल की ओपीडी में 10 बजे के बाद ही डॉक्टर पहुंचते हैं।
जबकि मरीज सुबह आठ बजे से ही अस्पताल में पहुंच कर डॉक्टर के आने का इंतजार करने लगते हैं।
सरकारी अस्पतालों में आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शासन की तरफ से लगातार प्रयास हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्री तो लगातार अस्पतालों का चक्रमण कर व्यवस्थाओं का जायजा भी ले रहे हैं और ओपीडी व्यवस्था को दुरूस्त रखने का दिशा निर्देश दे रहे हैं। बावजूद इसके जिला अस्पताल की ओपीडी व्यवस्था का हाल बदहाल है। अमर उजाला की टीम ने बृहस्पतिवार को सुबह नौ बजे से 10 बजे के बीच जिला अस्पताल की ओपीडी की पड़ताल की। इस दौरान मात्र ओपीडी कक्ष संख्या 14 में डॉ. एसके विमल बैठे मिले। अन्य सभी डॉक्टरों की ओपीडी खाली रही। फिवर क्लीनिक जिसमें डॉ. अनिल मौर्या बैठते हैं, वहां साढ़े नौ बजे सफाई कर्मी साफ-सफाई करती नजर आयी। 9.50 बजे के लगभग डॉ. अनिल मौर्या अपनी ओपीडी में बैठने के लिए पहुंचे। वहीं एक अन्य वरिष्ठ फीजिशियन डॉ. राजनाथ का ओपीडी कक्ष तो 10 बजे तक खुला ही नहीं था। ओपीडी कक्ष संख्या नौ डॉ. निर्मल रंजन सिंह का है। इनकी ओपीडी तो खुली थी, लेकिन वे मौजूद नहीं थे। डॉ. आर के पासवान का कमरा भी खुला था लेकिन वे मौजूद नहीं थे। कार्डियो पलमोनोलाजिस्ट कक्ष में भी कोई डॉक्टर 10 बजे तक नहीं पहुंचा था। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एलजे यादव भी 10 बजे तक अपने ओपीडी में नहीं पहुंचे थे।
डॉक्टर लोग राउंड पर होंगे। राउंड के बाद ही सभी डॉक्टर ओपीडी में बैठते हैं। जहां तक साढ़े नौ बजने की बात है तो हो सकता है आज लेट हो गया हो, लेकिन सभी डॉक्टर पहले राउंड करते हैं फिर अपनी ओपीडी में बैठ कर मरीज देखते हैं।
डॉ. एके श्रीवास्तव, प्रभारी एसआईसी, जिला अस्पताल।साभार ए. यू।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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