बस्ती। जिला जेल में तैनात सिपाहियों ने अपने ही जेलर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जेल में तैनात सिपाहियों का आरोप है कि जेलर की पत्नी की चरण वंदना करने के बाद सिपाहियों को छुट्टी मिलती है.
जेल कर्मियों ने दर्जनों की संख्या में जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है और न्याय की गुहार लगाई है.
जिलाधिकारी ने एडीएम को निर्देश दिया कि आरोप की स्वयं जांच करें और विस्तृत रिपोर्ट बनाकर दें. दरअसल, बस्ती जिला जेल में तैनात जेलर सतीश चंद्र त्रिपाठी के खिलाफ बस्ती जिला कारागार के जेल कर्मचारियों ने छुट्टी न देने का आरोप लगाया है.
जेल कर्मियों का कहाना कि जेलर कुछ चुनिंदा कर्मचारियों को अपने निजी कार्यों में व्यस्त रखता है. जेल कर्मचारियों के छुट्टी मांगने पर जेलर अभद्र भाषा कहते हुए उन्हें भगा देता है. कभी एडीएम से छुट्टी मांगने के लिए कहता है, तो कभी नौकरी छोड़ने के लिए कहता है.
पैर न छूने पर जेलर के पत्नी मानती हैं अपनी तौहीन
इतना ही नहीं जेल कर्मियों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है. किसी के पिता की मृत्यु हो जाने के बाद भी उनको छुट्टी नहीं दी जाती है. जेल कर्मियों ने जेलर पर यह भी आरोप लगाया कि जेलर के पत्नी को यदि कोई चापलूसी न करें, तो उनका मानसिक रूप से उत्पीड़न किया जाता है और छुट्टी भी नहीं दी जाती है.
मैडम के आदेश पर ही जेलर उनको छुट्टी देते हैं. यदि जेलर की पत्नी के पैर जेल कर्मी न छुएं, तो मैडम इसको अपनी तौहीन मानती हैं. इसके बाद कर्मचारियों को प्रताणित किया जाता है.
जेलर के पत्नी तय करती हैं किसकी ड्यूटी कहां लगेगी
वहीं, जेल में तैनात एक सिपाही ने बताया कि जेलर की पत्नी ही तय करती है कि किसको कहां ड्यूटी पर लगाना है, कहां अपना निजी काम कराना है. मैडम इस बात का विशेष ध्यान रखती हैं कि उनके पैर कौन छूता है और कौन उनकी चापलूसी करता है. जेलर भी उन्हीं की सुनते हैं. जेलर अपने निजी काम में सिपाहियों को लगाते हैं और उन्हें छुट्टी भी गुप्त तरीके से दी जाती है.
पिता की मौत पर भी नहीं दी गई छुट्टी
वहीं, दूसरे सिपाही ने आरोप लगाया कि पर्याप्त संसाधन होने के बाद भी हम लोगों को छुट्टी नहीं दी जाती है. विषम परिस्थितियों के बाद भी छुट्टी मांगने पर अभद्रता की जाती है. अभी हमारे जेल में वार्डन पद पर तैनात कर्मचारी के पिता की मौत हो गई थी. मगर, उसे छुट्टी नहीं दी गई.
सिपाही ने आगे बताया, "मेरे दादाजी का बीएचयू में इलाज चल रहा है, उनकी हालत बहुत ही सीरियस है. इसके बाद भी मुझे छुट्टी नहीं दी जा रही है."
आरोप असत्य होने पर की जाएगी कार्रवाई- जेल प्रभारी
मामले में अपर जिलाधिकारी और प्रभारी जेल अधीक्षक कमलेश चंद्र ने बताया, "संज्ञान में आया है कि कुछ बंदी रक्षक हैं, उन्हें छुट्टी नहीं दी जाती है. उन्होंने जिलाधिकारी से इस बात की शिकायत की है. जो लोग शिकायत करने गए थे, उनमें से आधे लोग मेरे पास छुट्टी के लिए आए थे. मैंने स्वयं छुट्टी दी है. वे लोग 5-5 दिन छुट्टी काट कर आए हैं."
कमलेश चंद्र ने आगे बताया, "वे लोग फिर से छुट्टी देने के लिए दबाव बना रहे थे. शासन से आदेश आया है कि जेल में किसी प्रकार की चूक न हो. मगर, जो भी आरोप लगाए गए हैं उसकी जांच में स्वयं कर रहा हूं. यदि आरोप असत्य पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई भी करूंगा."साभार आज तक।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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