अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस पर हुई काव्य गोष्ठी का आयोजन,कवियों ने बेटियों के लिये सुनाई अपनी रचना

अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस पर हुई काव्य गोष्ठी का आयोजन,कवियों ने बेटियों के लिये सुनाई अपनी रचना

ललितपुर।  बेटियों के जीवन शिक्षा और सुरक्षा के लिए समर्पित संस्था टीम मिशन बेटियाँ के कार्यालय पर आयोजित काव्य गोष्ठी में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के तत्वाधान में जनपद के कवियों ने बेटियों के लिये अपनी रचनाओं को सुनाया । उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रधान कवि महेश नामदेव कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई।कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार जहीर ललितपुरी ने माँ सरस्वती माल्यर्पण एवं  डीप प्रज्वलित किया तदोपरांत जाने माने कवि अखिलेश शांडिल्य ने माँ सरस्वती की वंदना कर गोष्ठी का आगाज़ किया । टीम मिशन बेटियाँ के संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ विकास गुप्ता "जीत" ने टीम कार्यालय में आये सभी कवियों को माल्यापर्ण कर स्वागत किया । काव्य पाठ की शुरुवात कवि पुरुषोत्तम नारायण पस्तोर ने अपनी रचना "बेटी है सरताज देश दुनिया मे छाई । नारी वंदन अधिनियम ने है धूम मचाई से की । लंबी सुदेश सोनी ने अपनी रचना के माध्यम से कहा कि "बेटी गर मरोगे तो बहु कहाँ से पाओगे । बहु बंनाने की मशान न बन पाई है ।।

ख्याति प्राप्त कवि पंकज अंगार ने अपनी रचना " सिंहासन ठोकर पर रखकर ताज से लड़ना सिखलाते । दर्दीले अंजाम के हर आगाज़ से लड़ना सिखलाते । उन्हें है ए खूनी पंजे कभी ना छू सकते थे । यदि आंगन की चिड़िया को हम बाज़ से लड़ना सिखलाते।। ने उपस्थित सभी के वाह वाही बटोरी । कवि शकील की मार्मिक रचना बेटी जब पैदा होती है , दुश्मन खुशी मनाते है । पर जाने क्यों घर वालों की आंख में आंसू आते है । ने सभी की आंखों को भिगो दिया । अखिलेश शांडिल्य ने माँ तुम्हारी कीर्ति के गुण वेदों ने भी गाये है तुम ही जीने का अधिकार ना दो तो फिर कौन देगा । कवि महेश नामदेव ने "बेटियां बड़ी महान गडे नित कीर्तिमान , खुशबू न छीनियेगा खिलते गुलाब से। कवित्री मंजू कटियार ने प्रार्थना है अर्चना है भावना है बेटियाँ । साधना है कंगना है कामना है बेटियाँ । कवि के. के. पाठक की रचना बेटी है वरदान प्रभु का बेटी पर तुम ध्यान दो । मौके इनके छीनों ना तुम शिक्षा और सम्मान दो । ने खूब वाह वाह लूटी । काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कवि जहीर ललितपुरी ने कहा कि ठहरी है मेरी प्यासयूं सुखी नदी के पास , जैसे किसी गरीब को बेटी सखी के पास । कार्यक्रम का सफल संचालन ब्रजमोहन संज्ञा ने किया साथ ही अपनी रचना एक टहनी एक दिन पतवार बनती है ,
एक चिंगारी दहक अंगार बनती है ।
जो सदा रोंदी गई वेवस समझकर , एक दिन मिट्टी वही मीनार बनती है ।सब्बि में एक नई ऊर्जा का संचार किया । टीम मिशन बेटियाँ के  अध्यक्ष डॉ विकास गुप्ता "जीत" ने अपनी रचना "जज्बात को हालात में मिलाकर देखा है , मैंने रोते हुए को हंसा के देखा है । बड़ी शीलतता है उसकी छांव मे , मैंने बेटी के पांवों को हाथ लगाकर देखा है । को सभी उपस्थित कवियों ने खूब सराहा ।

फाइल फोटो

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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