जौनपुर। एशियन गेम्स में 4 गुणा 400 मीटर रिले स्पर्धा में महिला वर्ग में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीतकर ऐश्वर्या कैलाश मिश्रा ने नाम रोशन किया है। ऐश्वर्या जौनपुर जिले के रामपुर ब्लॉक के सुल्तानपुर गांव की निवासी हैं।
जन्म से ही वह मुंबई रहती हैं। ऐश्वर्या को इस मुकाम तक पहुंचाने में पिता कैलाश मिश्रा की अहम भूमिका है। वह मुंबई में ही फल और भाजी बेचते हैं।
फाइल फोटो |
सुरेरी क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव निवासी कैलाश मिश्रा दसवीं की पढ़ाई में फेल होने के बाद रोजगार के सिलसिले में महज 16 साल की उम्र में मुंबई चले गए। वहां फल-सब्जी बेचने लगे। बाद में आशा से शादी हुई। फिर तीन संतानें हुईं। सबसे बड़ा पुत्र साकेत कंप्यूटर सांइस में इंजीनियरिंग करने के बाद नौकरी करने लगा।
जौनपुर के सुमित ने दी ऐश्वर्या को कोचिंग
दूसरे नंबर की ऐश्वर्या कैलाश मिश्रा शुरू से ही दौड़ने में तेज थी तो उन्होंने उसे मैराथन के लिए तैयारी करने के लिए कहा। जौनपुर के रहने वाले सुमित सिंह ने एश्वर्या को मुंबई में ही कोचिंग देनी शुरू की। बाद में एश्वर्या पहले स्कूल, विश्वविवद्यालय और अन्य स्थानों पर चैंपियन बनी। उसे साई जैसे प्रतिष्ठित कैंप में जगह मिल गई। वहां कोचिंग करने लगी।
अब उसने एशियन गेम्स में पदक जीतकर न सिर्फ जौनपुर, मुंबई बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन किया है। ऐश्वर्या की छोटी बहन युक्ता मिश्रा डॉक्टरी की तैयारी के लिए कोटा में रहती है। इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बधाई दी है। परिश्रम संस्था के कृपाशंकर सिंह ने भी बधाई दी है। संस्था की तरफ से भारत आगमन पर सम्मानित किया जाएगा।
ओलंपिक में जीतना है मेडल इसलिए ठुकराई नौकरी
ऐश्वर्या के पिता कैलाश ने फोन पर हुई बातचीत के दौरान कहा कि बेटी शुरू से ही दौड़ में आगे है। उसकी लगन देखकर पहले से ही आश्वस्त था कि एक दिन जरूर नाम रोशन करेगी। उसे अभी हाल में कस्टम विभाग से हवलदार की नौकरी का भी ऑफर आया था, लेकिन उसने केवल खेलने की बात कही।
कैलाश ने कहा कि उसका अगला लक्ष्य ओलंपिक में मेडल जीतना है। बताया कि अभी चीन में है। जब आएगी तो उसके बाद केवल 10 दिन ही हम लोगों के साथ रहेगी। उसके बाद इंडिया कैंप के लिए चली जाएगी। उसने चार सितंबर को मेडल जीता है। पिता ने बताया कि वह मुंबई के दहिसर पूर्व इलाके फल बेचते हैं। साभार ए यू।
फाइल फोटो |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
एक टिप्पणी भेजें