जौनपुर। अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला पुरुष अस्पताल में मोतियाबिंद के मरीजों को आपरेशन करने से पहले आंख में डालने वाला ड्राप करीब महीने भर से नहीं है। यहां 12 दिन से यानी अल्ट्रासाउंड भी बंद है।
ऐसे में मरीजों को बाहर से महंगे दाम पर आई ड्राप खरीदना पड़ता है और अल्ट्रासाउंड के लिए दूसरे अस्पताल जाना पड़ता है। अस्पताल में रोज करीब 35 मरीज अल्ट्रासाउंड के लिए आते हैं। 15 मरीज मोतियाबिंद के आपरेशन के लिए पहुंचते हैं।
हिंदुस्तान ने शनिवार को पड़ताल किया तो सभी मरीजों के पास ट्रापिक माइड का ड्राप रखा हुआ मिला। मोतियाबिंद का आपरेशन कराने के लिए अलीगंज निवासी छोटे लाल यादव 55 वर्ष अपने बेटे संतोष यादव के साथ आये थे। उन्होंने बताया कि डाक्टर साहब बोले अस्पताल में ये ड्राप नहीं है जाओ बाहर से ले लो। बाहर से 98 रुपये का खरीदना पड़ रहा है। इसी तरह गजना निवासी हाजिरा (50 वर्ष) को उनकी बहू सहाना, आजमगढ़ के बस्ती कपूरी निवासी वंसरजी (65) वर्ष को उनका नाती त्रिलोचन बिंद, करंजाकला ब्लाक के काफरपुर गांव निवासी पुनवासी कश्यप (70 वर्ष) पौत्र विकास, आजमगढ़ के महुजा नेवादा निवासी धनौता (60 वर्ष) को उनके पति रामजीत मोतियाबिंद का आपरेशन कराने के लिए आए थे। मोतियाबिंद का आपरेशन करने के लिए डा. एसके रजक, डा. शेष मिश्रा व डा. दीपशिखा हैं। सूत्रों के अनुसार आपरेशन के बाद काला चश्मा भी मरीजों को बाहर से ही खरीदना पड़ता है। दवा स्टोर के प्रभारी शैलेश ने बताया कि 170 प्रकार की दवाएं अस्पताल में उपलब्ध है।
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छुट्टी पर जाने से बढ़ी परेशानी
अल्ट्रासाउंड करने के लिए महिला अस्पताल के रेडियोलाजिस्टकी ड्यूटी लगी थी, लेकिन वह 18 दिसंबर को छुट्टी पर चले गए। अब चार जनवरी को आएंगे। ऐसे में जांच प्रभावित हुई है। जो भी मरीज जांच लिए पहुंचते हैं उन्हें अल्ट्रासाउंड कक्ष के कर्मी तीन जनवरी तक रेडियोलाजिस्ट के छुट्टी पर होने की बात कहकर टरका देते हैं। हालांकि वहीं पास में स्थित महिला अस्पताल में जांच हो रही है।
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डाक्टर ने नहीं लिखा सिरप
जौनपुर। सुजानगंज इलाके से आए भइया राम सरोज को ठंड लगने के साथ खांसी भी आ रही थी। उनका बेटा अच्छेलाल चिकित्सक को दिखाया। डाक्टर ने सेफोडआक्सिन नामक दवा लिखी जो पीएम जन औषधि केंद्र से ली। अच्छेलाल ने डाक्टर से खांसी की सिरप लिखने को कह रहा था, लेकिन उन्होंने नहीं लिखा। इसी तरह करंजाकला ब्लाक के परियांवा गांव निवासी छोटेलाल (65 वर्ष) ओपीडी के 13 नम्बर में दिखाया। उन्हें मसल में दर्द की शिकायत थी। चिकित्सक ने न्यूरोबिन एमपी नामक दवा बाहर की लिख दी। इसी तरह मानसी (11 वर्ष) को कान में समस्या थी। इन्हें भी बाहर की दवा लिखी गई।
कोट--
'फरवरी मार्च, अक्तूबर, नवम्बर व दिसम्बर में अधिक मोतियाबिंद के आपरेशन होते हैं। जनवरी में बहुत कम हो जाता है। क्योंकि अधिक ठंड में बुजुर्ग आ नहीं पाते हैं। दूसरे आंख पर पानी की एक बूंद भी न पड़ने पाए। एक महीने तक नहाने को मना किया जाता है।
शेष मिश्रा, नेत्र रोग विशेषज्ञ, जिला पुरुष अस्पताल
वर्जन
'ट्रापिक माइड ड्राप न होने की जानकारी नहीं थी। लेकिन जैसे ही पता चला कि ड्राप नहीं है तो दवा स्टोर के प्रभारी को तत्काल कार्पोरेशन से डिमांड भेजने का निर्देश दिया हूं। जल्द ही ड्राप उपलब्ध हो जाएगा। जहां तक बाहर की दवा लिखने की बात है तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी। अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर छुट्टी पर गए हैं। साभार एचटी।
फाइल फोटो |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
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