"दिल का दुश्मन जाड़ा "
इन्सानी शरीर की गतिविधियां कैलेन्डर एवम् घड़ी की भांति चलती है। ऐसे सुबूत मिलते हैं जो यह साबित करते हैं कि बीमारियां भी समय और दिन के हिसाब व से बदलती रहती है।
हृदय से जुड़ी बीमारियों के लिए अधिक सर्दी सबसे खतरनाक माना जाता है। यूं सबसे ज्यादा दिल का दौरा एवम् पक्षाघात सर्दियों में ही होतो है।
मौसम के मुताबिक उतार चढ़ाव के आधार पर सर्दियों के मौसम को हार्ट अटैक का मौसम कहा जाता है। सर्दियों में लगभग 53% हृदयाघात की घटनायें बढ़ जाती है। सर्दी के महीने में होने वाला हृदयाघात प्रतिदिन दो गुना बढ़ जाता है। सर्दियों में होने वाले हृदयघात ज्यादा गंभीर एवं मारक होते है।
दिसंबर, जनवरी के महीने में सर्दियों सर्वाधिक होते हैं हृदय घात सर्वाधिक होते हैं। जिले मे लगभग 1500 से 2000 मौतें हृदयाघात से होते हैं।
हृदय आघात का खतरा 6 बजे से दोपहर तक अन्य समयों की तुलना में 40% अधिक होता है। इसका चिकित्सीय पहलू है कि सुबह एड्रनलीन, कर्टिसाल अपने चरम स्राव पर रहते हैं। ब्लड प्रेशर सुबह सर्वाधिक एवम् सोते समय न्यूनतम होता है। 2004 के अध्ययनो के अनुसार सुबह किसी भी कोशिका की आक्सीजन की आवश्यकता बढ़ी हुई होती है। सुबह रक्त में थक्का जमाने वाली प्रक्रिया में अधिक होती है जैसे-प्लेटलेट एग्रीगेशन, श्रामबाक्सेन की मात्रा बढ़ती है। ये सब दिल के दौरे को बढ़ावा देते हैं।
सप्ताह में पांच दिन काम करते रहने फिर रविवार को आराम और उसके बाद सोमवार की सुबह फिर काम पर जाने के तनाव के कारण हृदयाघात अन्य दिनों की अपेक्षा 20% अधिक होता है। हृदयाघात के लिए शनिवार एवम् इतवार सबसे सुरक्षित है। सर्दियों में सर्दी जुकाम, निमोनिया, फ्लू के कारण हृदयाघात की घटनायें बढ़ जाती है।
कारण (1) तापमान की कमी रक्तवाहिनियों को संकुचित करती है जिससे ब्लडप्रेशर बढ़ता है एवम् हृदयाघात की घटनायें बढ़ जाती है।
(2) कसरत की कमी ठन्डी से अक्सर लोग आलसी बने रहते हैं। कसरत की वजह दिल को मिली सुरक्षा कवच फौस खत्म हो जाती है।
(3) शराब एवम् चर्बी युक्त भोजन :-
सर्दियों में इन दोनों का सेवन बढ़ जाता है। आपको बता दें कि यदि आप एक बार भी अधिक चर्बी का सेवन करें या शराब का सेवन करें। इतना ही आप को हृदयाघात की चपेट में आ सकते हैं।
(4) तनाव और उदासी :-
दिन छोटा होने के कारण पूरे साल से अधिक सर्दियों में अवसाद की स्थिति रहती है। जल्दी-जल्दी काम निपटाने का तनाव भी।
(5) धूम्रपान :-
सर्दियों एवम् बड़े दिन एवम् नये साल के दरमियान सिगरेट की बिक्री बड़े पैमाने पर बढ़ जाती है।
(6) बायोलाजिकल वजहें :-
जनवरी में महिलाओं में कोलेस्ट्राल महत्तम होता है। हृदयाघात के नये रिक्त फैक्टर्स जैसे फाइब्रोनोजन, एपोप्रोटीन, बी, सी रियेक्टिव प्रोटीन बढ़ जाते हैं।
बचाव :-
> शरीर को गर्म रखने का उपक्रम करें।
> एक्सरसाइज करने से पहले वार्मअप करें।
> तनाव कम करने के लिए सप्ताह भर का कार्य ऐसे व्यवस्थित करें कि सामान्य रूप से काम चले।
> शौकिया शराब पीने और ज्यादा चर्बी के खाने से बचें। शराब द्वारा पहले तापमान बदलना और फिर शारीरिक तापमान रिक्क टाइम में घटना खतरनाक होता है।
> तम्बाकू का सेवन किसी भी रूप में न करें यहां तक किसी दूसरे के धुम्रपान के धुएं से बचें।
समय पर की गई उचित कार्यवाही जानलेवा खतरों से बचा सकती है।
उपचार) यदि बाई तरफ सीने में दर्द हो को बाहो की तरफ या पीठ
एवम् पेट की तरफ बढ़े और पसीना उल्टी चक्कर आये और आप 40 साल से अधिक है मधुमेह उच्चरक्त चाप या मोटापे से ग्रस्त है या धुम्रपान महापान नियमित करते है तों मान लीजिए कि स्टेज तैयार है, और तमाशा होने वाला हैं, आप को हृदयाघात हो गया है।
खुले मे आकर लेट जाये खूब लंबी लम्बी सांसे ले एवं खासी करे उपलब्ध हो तों तुरंत सर्बिट्रेट , डिस्प्रिन की गोली चबा ले, यदि
टीकाग्लार एवं इस्टेटीन मिल जाये तो मृत्यु दर आप ७०% कम कर सकते हैं । इसी दौरान मरीज को अस्पताल के जाने का उपक्रम करें एवं मरीज को विल्कुल पैदल ना चलने दें, स्टेचर व्हील चेयर का ईस्तेमाल करे.समय से किया गया
थ्राम्बोलाइसिस जीवनदायिनी हो जाता है, गैस एवं एवम् एसी डी टी के इलाज में समय ना नष्ट करे
थ्राम्बोलाइसिस आज सहजता से अस्पतालों मे उपलब्ध है
फाइल फोटो |
डा. एच.डी सिंह
कृष्णा हार्ट केयर, इनफर्टिलिटी एवं ट्रामा सेंटर
जौनपुर
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