ललितपुर । टीम मिशन बेटियाँ के चाय चुस्की और दोस्ती पर आयोजित हुआ "शहीदी पर्व "। मंजीत सिंह सलूजा महामंत्री गुरुसिंह सभा ललितपुर की अध्यक्षता एवम कवि महेश नामदेव के कुशल संचालन में वीर बाल दिवस बनाया गया । उपस्थित कवियों ने अपने अपने काव्य पाठ के माध्यम से शहीद साहिबज़ादों को श्रद्धांजलि अर्पित की । कवि पंकज अंगार के गुरुवाणी के उपदेशों का मर्म बचाकर आये , क्रूर कुचालि पंजों से सत्कर्म बचाकर आये ।
महकेगा इस भारत का इतिहास हमारी खुशबू से , हम वो है जो जां देकर भी धर्म बचाकर आये की काफी तालियों का गर्जन हुआ । मास्टर शकील की दो लाइन ने काफी पसंद की गई मानवता कायम रखी चाहे दे दी जान , साहिबज़ादों ने रखा सिक्ख धर्म का मान ।
कवि महेश की पंक्तियो दानियों में दानी महादानी बलिदानी आप , आप जैसा हुआ नही कोई बलिदानी । बाबू जी ख़ौ छोड़ दओ , बिल्कुल मटिया मेट । चाणक्य की चतुराई की, कडज़े हनके ऐंठ पुरुषोत्तम नारायण पस्तोर की पंक्तियों को खिब बाद आदि मिली । कवि अखिलेश शांडिल्य "अखिल" ने अपने काव्य पाठ में कहा कि सब कुछ लुटा दिया फिर भी ना डिगने दिया इरादों को । शत शत बार नमन गुरुगोविन्द सिंह व साहिबज़ादों को । राष्ट्रवादी कवि शीलचंद्र जैन "शील" ने कहा नन्हे शावक शूरवीर सिंहपुत्रों को नमन हमारा ।
भीषण यातना सही , जुल्म से मज़हब ना स्वीकारा । कवि रमेश पाठक "रवींद्र" की पंक्ति वीर साहिबज़ादों तुम्हे नमन , खून से सींचा है देश चमन । बलिदानों की गाथा गाते , देखो धरती और गगन सबको पसंद आयी । कवि सुदेश सोनी ने कहा सिंहनी के छोललने दूध ख़ौ लजाओ नही , ज़िंदा चिन गए दोऊ लाल दीवाल में । हिन्दू आन बान राखी धर्म की शान राखी , बटटो न लगाओ माता भारत के शान में । कार्यक्रम में टीम मिशन बेटियाँ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवम जनपद के उभरते हुए कवि डॉ. विकास गुप्ता "जीत" ने अपने काव्य पाठ में कहा कि साहिबज़ादों की बलिदान को को शब्दों में बयान कैसे करूँ। मैं तो नदी भी नही हूँ समुंदर को बयां कैसे करूँ । ने खूब बाह बाही लूटी । रामलीला समिति के प्रबंधक हरजिंदर सिंह सलूजा ने कहा कि मुग़ल सेना से लड़ते हुए गुरु गोबिन्द सिंह जी ने अपने एक जाट शिष्य की हवेली को ही किला बना कर शत्रु का सामना किया। उनके दो पुत्र अजीत सिंह और जुझार सिंह युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए। छोटे दोनों पुत्र जोरावर सिंह और फतेह सिंह को सरहिन्द के सूबेदार ने जीवित ही दीवार में चिनवा दिया पर उन्होंने अपना धर्म नहीं बदला। माता सुन्दरी के आँसुओं को देखकर गुरु जी ने भरी सभा में कहा था- इन पुत्रन के सीस पर, वार दिए सुत चार, चार मुए तो क्या भया, जीवित कई हजार। अर्थात् मेरे हज़ारों शिष्य पुत्रों के समान हैं। मैंने चार पुत्रों का बलिदान इन्हीं की रक्षा के लिए किया है। वे चार मर भी गए तो कोई बड़ी बात नहीं, जबकि मेरे कई हज़ार पुत्र जीवित हैं।
कार्यक्रम के अंत मे कवि डॉ विकास गुप्ता "जीत" ने उपस्थित सभी का टीम मिशन बेटियाँ के चाय चुस्की और में आयोजित कार्यक्रम में पधारने एवम कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
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