पटना। जाने आप सभी ने कितनी ही शादियों की दावतें उड़ाई होंगी. ना जाने कितनी ही बारातों में आप शामिल हुए होंगे. ना जाने कितनी ही दुल्हनों की विदाई पर आप मौजूद रहे होंगे. मगर हमारा दावा है कि हम आपको जिस शादी की कहानी बताने जा रहे हैं, वैसी शादी आपने ना तो देखी होगी और ना ही ऐसी विदाई में आप कभी शामिल हुए होंगे.
और तो और इससे पहले आपने कभी ऐसे दूल्हा-दुल्हन भी नहीं देखें होंगे. तो चलिए आपको बताते हैं, इस अजीबो गरीब शादी की दास्तान.
अनचाही दुल्हन से पीछा छुड़ाना चाहता था दूल्हा
शादी के बाद विदाई की घड़ी जब आती है, तो आम तौर पर लोग इमोशनल हो जाते हैं. घर-आंगन में खेल कर बड़ी हुई बेटी ससुराल जा रही होती है, तो लोग रो रहे होते हैं. लेकिन इस कहानी में मामला उल्टा है. वहां रो कोई नहीं रहा, बल्कि हर कोई गुस्से में है. शादी के बाद लड़की इसलिए गुस्से में है, क्योंकि लड़का उसे अपने साथ अपने घर ले जाने को तैयार नहीं है और लड़का इसलिए नाराज है क्योंकि लड़की जबरदस्ती उसके गले पड़ गई है और उसे अपने साथ अपने घर ले जाने की ज़िद कर रही है. लड़के के घरवाले अनचाही बहू से पीछा छुड़ाना चाहते हैं और लड़की के घरवाले हर हाल में अपनी बेटी का घर बसता हुआ देखना चाहते हैं.
NGO वालों ने मंदिर में कराई शादी
इन सारे लोगों के बीच कुछ एनजीओ यानी नॉन गर्वमेंटल ऑर्गेनाइजेशन वाले हैं, जो लड़की की शादी करवा कर मामले को सेटल करवाना चाहते हैं. ये कहानी बिहार की है. बिहार की राजधानी पटना की. और पटना के बाहरी बेगमपुर इलाके की. हुआ यूं कि यहां मंगलवार को एक लड़की कुछ एनजीओ कर्मियों के साथ अचानक एक लड़के के घर पर आ धमकी और इससे पहले कि लड़का या फिर उसके घरवाले कुछ समझ पाते, सभी ने मिल कर लड़के को काबू कर लिया. इसके बाद सभी उसे मोहल्ले के शिव मंदिर में ले कर गए, जहां उन्होंने लड़का-लड़की से एक दूसरे को फूल मालाएं पहनाने को कहा और फिर लड़के के हाथों में सिंदूर की डिब्बी थमा कर, लड़की की मांग भर देने का हुक्म सुना दिया. मरता क्या ना करता, लड़के ठीक वैसा-वैसा ही करता गया, जैसा-जैसा उसे एनजीओ वालों ने कहा.
लड़की के साथ रिलेशनशिप में था लड़का
लेकिन बात तब बिगड़ गई, जब शादी के बाद लड़का अपनी बीवी को अपने साथ घर ले जाने से मना करने लगा. असल में लड़के का कहना था कि वो शादी करेगा तो अपनी घरवालों की मर्जी से ही करेगा. और चूंकि वो इस शादी को नहीं मानता है, तो फिर लड़की को घर ले जाने का सवाल ही नहीं उठता. लेकिन लड़की और एनजीओ वालों का कहना था कि लड़का पिछले कई सालों से लड़की के साथ रिलेशन में है, ऐसे में उसे लड़की से पीछा छुड़ाने का कोई हक नहीं है.
पर्सनल तस्वीरों की डिमांड
बल्कि लड़की का तो यहां तक कहना था कि असल में लड़की के घरवाले उसके घरवालों से 51 लाख रुपये दहेज के तौर पर मांग रहे हैं और उनका कहना है कि अगर वो ये पैसे लेकर आती है, तो फिर वो उसे बहू के तौर पर स्वीकार कर लेंगे. वरना उसके लिए ससुराल के दरवाज़े बंद हैं. लड़की ने तो यहां तक कहा कि जब अपने ब्वॉयफ्रेंड गणेश के साथ अपने रिलेशन को लेकर उसने गणेश यानी लड़के घरवालों से बातचीत की, तो वो इसका सबूत मांगने लगे. पर्सनल तस्वीरों की डिमांड करने लगे.
लड़की और NGO पर सांठगांठ का आरोप
लेकिन लड़की की बातों के उलट लड़के वालों का कुछ और ही कहना है. वो कह रहे हैं कि लड़की ने एनजीओ वालों के साथ मिल कर जबरन उनके बेटे को अगवा कर उससे शादी कर ली है. यानी ये एक पकड़ौआ शादी है. जबकि ऐसी शादियों को हाई कोर्ट पहले ही गैर कानूनी ठहरा चुका है. लड़के वालों ने इस शादी के खिलाफ लड़की के साथ-साथ एनजीओ वालों के खिलाफ भी पटना के बाईपास थाने में रिपोर्ट लिखवाई है और पुलिस ने अब इस मामले की जांच भी शुरू कर दी है.
पकड़ौआ विवाह से थोड़ा अलग है ये मामला
वैसे तो पटना का ये मामला बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में होने वाले दूसरे पकड़ौआ विवाह के मामलों से थोड़ा अलग है. क्योंकि आम तौर पर पकड़ौआ विवाह के मामलों में लड़का-लड़की एक दूसरे को पहले से नहीं जानते, बल्कि लड़की के घरवाले या इलाके के कुछ दबंग लोग वैसे लड़कों को पकड़ कर उनकी अपनी बेटी से जबरन उनकी शादी करा देते हैं, जो किसी सरकारी नौकरी में हो या फिर कुंवारा होने के साथ-साथ लाइफ में सेटल हो चुका हो. लेकिन ये मामला भी बेशक पकड़ौआ विवाह का हो, लेकिन ये केस थोड़ा अलग है.
लड़के ने किया था शादी का वादा
अब तक की जानकारी के मुताबिक यहां लड़का लड़की एक दूसरे को पहले से जानते थे, लड़के ने उससे शादी का वादा भी किया था. लेकिन लड़के और उसके घरवालों ने ऐन मौके पर शादी से मना कर दिया. जिसके बाद लड़की एनजीओ वालों के पास गई और एनजीओ वालों ने पुलिस या कानून की मदद लेने की जगह खुद लड़के के साथ लड़की का पकड़ौआ विवाह करा डाला.
100 में से 8 लड़के रह जाते हैं कुंवारे
अब आइए कुछ आंकड़ों की रोशनी में पकड़ौआ विवाह के अजीबोगरीब रिवाज को समझने की कोशिश करते हैं. भारत दुनिया के सबसे नौजवान देशों में से एक है. यहां 18 से 35 साल की उम्र के लोगों की आबादी करीब 600 मिलियन यानी साठ करोड़ है. जो कुल आबादी का 44.4 प्रतिशत है. लेकिन मेल-फीमेल रेशियो यानी महिला और पुरुषों के अनुपात में फर्क है. यहां प्रति 108 पुरुषों पर 100 महिलाएं हैं. यानी इस आंकड़े के हिसाब से देखें, तो हर सौ नौजवानों में 8 लड़के कुंवारे रह जाते हैं. इस हिसाब से पूरी आबादी का 48.04 फीसदी हिस्सा महिलाओं का है, जबकि 51.96 फीसदी हिस्सा पुरुषों का.
हज़ार पुरुषों पर सिर्फ 933 महिलाएं
यूनाइटेड नेशनंस पॉप्यूलेशन फंड की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सेक्स रेशियो के मामले में दुनिया में सबसे नीचे खड़ा है, जहां हज़ार पुरुषों पर सिर्फ 933 महिलाएं ही हैं. और ये असंतुलन महिलाओं के खिलाफ अपराध, बाल विवाह, मानव तस्करी समेत कई तरह के सामाजिक और आर्थिक समस्याओं की जड़ है. जानकारों की मानें तो बिहार और यूपी में होने वाले पकड़ौआ विवाह की जड़ में भी कहीं ना कहीं बिगड़ा हुआ महिला पुरुष आबादी का अनुपात और दहेज जैसे सामाजिक बुराई भी एक वजह है. दहेज से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें, तो ये बात समझ में आती है.
दहेज प्रताड़ना के मामलों में यूपी नंबर वन
साल 2021 के नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के डाटा के मुताबिक दहेज प्रताड़ना के मामलों में उत्तर प्रदेश का नंबर पूरे देश में सबसे ऊपर है. यहां साल भर में कुल 4,594 केस दर्ज हुए. इसके बाद बिहार का नंबर दूसरा है, जहां कुल 3,362 दहेज के मामले रिपोर्ट किए गए. जबकि 1845 केसेज के साथ कर्नाटक तीसरे और 1,805 दहेज के मामलों के साथ झारखंड चौथे नंबर पर है. और दहेज प्रताड़ना के इतने मामले ही इस बात का सबूत है कि यूपी और बिहार का समाज अब भी इस बुराई से बाहर नहीं निकल सका है, जिसके चलते कहीं ना कहीं पकड़ौआ विवाह जैसी दूसरी सामाजिक बुराइयों ने जन्म ले लिया है.
पकड़ौआ विवाह के आंकड़े
अब आइए पकड़ौआ विवाह के आंकड़ों पर भी एक नज़र डाल लेते हैं. बिहार में पकड़ौआ विवाह के मामले कभी कम तो कभी ज्यादा होते रहे हैं. साल 2020 में बिहार में जबरन शादी कराने के 7,194 मामले सामने आए थे, जबकि साल 2019 में 10,295 मामले प्रकाश में आए, इससे पहले साल 2018 में 10,310 मामलों का खुलासा हुआ और 2017 में 8,927 मामले सामने आए थे. हालांकि, इनमें से ज़्यादातर मामले आपसी सहमति से निपटा लिए गए. बिहार पुलिस के मुताबिक साल 2020 में पकड़ौआ विवाह के 33 और 2021 में 14 मामले दर्ज किए गए. जाहिर है पुलिस के ये आंकड़े सचमुच के आंकड़ों के मुकाबले काफी कम हैं और ये इस बात का सबूत है कि पकड़ौआ विवाह के ज्यादा मामलों का निपटारा सामाजिक तौर पर ही हो जाता है. साभार आज तक।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
parmartimes@gmail.com
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