अयोध्या नगरी.....!

अयोध्या नगरी.....!

 अयोध्या नगरी.....!



मित्रों मानो मेरी बात....

मिल रही है हम सबको,

जो अयोध्या की अद्भुत सी सौगात,

कई सदियों के संघर्षों के बाद...

यों तो....नई पीढ़ी के लिए...!

कौतूहल का ही....विषय रही बड़ी...

अयोध्या नगरी,प्रभु राम...और....

अयोध्या की हनुमानगढ़ी...पर...!

कुछ दोष नहीं था उनका भी शायद,      

जब देखा उन सबने...अब तक...

मंदिर संरचना पूरी की पूरी अनगढ़ी...

देखा न कभी उन सबने प्रभु को,

देखी केवल बस हनुमानगढ़ी...

उनको तो लगती कुछ गड़बड़ सी...!

अयोध्या वाली कहानी की सभी कड़ी

जिसे सुनाती अक्सर दादी-नानी,

रातो-दिन और घड़ी-घड़ी...

सही-गलत किस्सा होने को लेकर,

सब अक्सर ही जाते थे लड़-झगड़...

विश्वास नहीं होता उनको,

तुलसी जैसे सन्तों पर भी...

कभी लगाते थे जो...!

प्रभु को चंदन रगड़-रगड़....

याद दिलानी पड़ती थी उनको

कि हुई कार-सेवा थी,

यहाँ अयोध्या में एक दिन बढ़-चढ़...

और मची थी उस दिन,

इस नगरी में भारी भगदड़....

मच गई थी उनमें भी भड़-भड़,

जो अक्सर बोला करते थे,

कुछ ज्यादा ही बढ़-बढ़....

बताना पड़ता था उन सबको,

कैसे-क्या-क्या कार्य हुए थे,

उस दिन इस अयोध्या में धड़-धड़....

यह अलग बात रही कि तब,

सभी हो गए थे हद से ज्यादा मनबढ़

और कहूँ मैं क्या-क्या मित्रों...!

इनको तो अयोध्या नगरी,

अब तक एक रोमांच रही.....और...

इतिहास के पन्नों पर अंकित,

बस कुछ लोगों की भंड़ास रही....

पर....मित्रों देखो तो कुछ दिन बीते...

कुछ हैं बीत गए बरस...

अब अद्भुत वह दिन आया है,

जब नगरी अयोध्या जाने को

वही सभी हैं रहे तरस...

बढ़ रहा प्रताप जग में....!

प्रभु राम का क्षण-क्षण....

अचम्भित है विश्व का कण-कण,

हो रही अयोध्या नगरी सुन्दर-सुघड़,

शकल दे रहे हैं दो अद्भुत औघड़...!

हलचल भी हर ओर है,

पर नहीं है इनको कोई हड़बड़...

एक अचम्भा और है भाई,

हर जौहरी पा रहा है पुण्य लाभ,

प्रभु हेतु पाषाण को गढ़-गढ़...

सकल राष्ट्र प्रतिभाग कर रहा बढ़चढ़ 

ईच्छाएं विरोध की तो अब....!

दिख रही है नष्ट होती सड़सड़...

प्रभु का  प्रताप तो देखो .…!

वही पीढ़ी... अब खुद ही सुना रही है,

दादी-नानी वाली वही कहानी,

सबको ही पकड़-पकड़...!

जितेन्द्र कुमार दुबे

अपर पुलिस अधीक्ष

रचनाकार....

जितेन्द्र कुमार दुबे

अपर पुलिस अधीक्षक

जनपद--कासगंज

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