आजमगढ़। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे तीनों आपराधिक कानून बदल गए हैं। इसके लिए पुलिस ने व्यापक तैयारियां कर ली हैं। इसके अनुरूप काम करने के लिए पुलिस अधीक्षक से लेकर मुख्य आरक्षी और कंप्यूटर ऑपरेटर तक को प्रशिक्षित किया गया है।
इसके लिए कई कार्यशालाएं हुई हैं। अब आमजन को भी इस कानून से अवगत कराने के लिए थानों और गांवों में गोष्ठियां कराई जा रही है। इसी क्रम में आज मेहनाजपुर थाने में थानाध्यक्ष हीरेंद प्रताप सिंह के अध्यक्षता में एक मीटिंग का आयोजन किया गया। श्री सिंह ने थाना परिषर में उपस्थित लोगों को नए कानून के बारे में जानकारी दी।
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लोगों को नए कानून के बारे में लोगों को बताते थानाध्यक्ष मेहनाजपुर |
#भारतीय न्याय संहिता कानून अब आईपीसी (इंडियन पीनल कोड) की जगह लेगा👇
नए कानून में धारा 375 और 376 की जगह बलात्कार की धारा 63 होगी। सामूहिक बलात्कार की धारा 70 होगी, हत्या के लिए धारा 302 की जगह धारा 103 होगी। भारतीय न्याय संहिता में 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है, जिसमें एक नया अपराध मॉब लिंचिंग है। इसमें मॉब लिंचिंग पर भी कानून बनाया गया है। 41 अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है. साथ ही 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है. आपको बताते हैं कुछ अहम बदलाव के बारे में।
ये होगा बदलाव👇
नए कानून के मुताबिक, आपराधिक मामलों में सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर फैसला आएगा। पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करना होगा।
बलात्कार पीड़िताओं के बयान महिला पुलिस अधिकारी की ओर से पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज किए जाएंगे। मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिए।
कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है। इसमें बच्चे को खरीदना या बेचना एक जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
नए कानून में अब उन मामलों के लिए सजा का प्रावधान शामिल है, जिसके तहत महिलाओं को शादी का झूठा वादा करके या गुमराह करके छोड़ दिया जाता है।
इसके अलावा नए कानून में महिलाओं के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामलों पर नियमित अपडेट प्राप्त करने का अधिकार होगा। सभी अस्पतालों को महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में मुफ्त इलाज करना जरूरी होगा।
आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की कॉपी प्राप्त करने का अधिकार है।
इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट की जा सकेगी, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत समाप्त हो सकेगी. साथ ही व्यक्ति FIR को अपने अधिकार क्षेत्र वाले थाने के बजाए भी दर्ज करा सकता है।
अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य होगा।
लिंग की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल होंगे, जो समानता को बढ़ावा देता है। महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए जब भी संभव हो, पीड़ित के बयान महिला मजिस्ट्रेट की ओर से ही दर्ज किए जाने का प्रावधान है।
इस दौरान राजेंद्र प्रसाद वरिष्ठ उप निरीक्षक, अजीज खान उप निरीक्षक,फूलचंद्र यादव, उप निरीक्षक, विक्रांत मिश्रा उप निरीक्षक,धर्मेंद्र यादव, हेड कांस्टेबल,विनोद यादव कांस्टेबल,राघवेंद्र सिंह अध्यक्ष व्यापार मंडल,संदीप गुप्ता महामंत्री व्यापार मंडल, छोटू जयसवाल,अजय सिंह प्रधान बहलोलपुर, विशाल यादव प्रधान नोनीपुर, विष्णु मौर्या प्रधान सिधौना, विकाश यादव प्रधान खुम्बा देवरी, विनोद सिंह प्रधान परसीनिया समेत बाजार के तमाम संभ्रांत व्यापारी एवं क्षेत्रवासी मौजूद रहे।
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नए कानून की बैठक में शामिल संभ्रांत लोग |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com
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