लखनऊ। उत्तर प्रदेश उपचुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है। बीजेपी ने 9 में से सात सीटों पर कब्जा जमाया है, जिसमें से वो सीट भी शामिल है, जहां पिछले कई चुनावों में बीजेपी नहीं जीती थी।
करहल जैसी सपा के गढ़ वाली सीट पर भी कई बार बीजेपी आगे हुई थी। 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माने जा रहे इस उपचुनाव में बीजेपी ने ऐसी रणनीति बनाई कि लोकसभा जीत से उत्साहित अखिलेश यादव का चक्रव्यूह धवस्त हो गया।
बीजेपी ने कैसे जीता यूपी उपचुनाव
वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जाने वाले इस चुनाव ने भाजपा संगठन और सरकार के बेहतर समन्वय के कारण जीत की पटकथा लिखने में कामयाब हुई है। बीजेपी की रणनीति का ही कमाल रहा है कि कुछ महीनों पहले लोकसभा में सपा से पिछड़ने वाली भाजपा, उपचुनाव में ऐसी निकली कि सपा देखती रह गई।
उत्तर प्रदेश उपचुनाव में बीजेपी की रणनीति
उपचुनाव को लेकर जहां प्रत्येक विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं मोर्चा संभाला और सभी सीटों पर सभाएं और प्रचार कर भाजपा की जीत की राह आसान बनाई।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह ने उपचुनाव वाले प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में छोटी-छोटी बैठकें कर कार्यकर्ताओं के माध्यम से समाजवादी पार्टी के पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) को "परिवार डेवलेपमेंट अथॉर्टी" बताते हुए उनको झूठा बताया।
संगठन ने ऐसी रणनीति बनाई कि सभी जातियों को एक जुटकर भाजपा के पक्ष में मतदान हो। भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया कि इसके लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के हर वर्ग और जाति के नेताओं को सक्रिय कर हर जाति के मतदाता तक यह पहुंचाने का काम किया और उन्हें बताया कि उनकी सच्ची हितैषी भाजपा ही है।
संगठन आम मतदाताओं तक यह बात पहुंचाने में सफल रहा कि सपा केवल धोखा देकर वोट लेती है। लेकिन, दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित के लिए मोदी-योगी सरकार ने ही काम किए हैं।
भाजपा संगठन ने अपने समर्थित मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने के लिए भी बड़ी योजना बनाई। इसके लिए पार्टी ने बूथ अध्यक्ष और पन्ना प्रमुखों को यह जिम्मेदारी दी कि पार्टी के समर्थित हर मतदाता को मतदान वाले दिन बूथ तक पहुंचाना है और पार्टी इसमें सफल भी रही। यही कारण रहा कि भाजपा उपचुनाव में प्रदेश में 52 प्रतिशत से अधिक मत पाने में सफल रही।
एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के साथ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता लगातार जनसभाएं कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाकर मतदाताओं से कमल के फूल पर वोट देने की अपील करते रहे
तो दूसरी तरफ पार्टी के प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह ने हर विधानसभा क्षेत्र में संचालन टोली, मंडल अध्यक्षों, प्रभारियों और बूथ अध्यक्षों और पन्ना प्रमुखों के साथ छोटी-छोटी बैठकें कर इंडिया गठबंधन की जाति की राजनीति और झूठ फरेब का करारा जबाब देकर भाजपा की जीत की राह आसान बनाने के लिए रणनीति बनाई।
इसका परिणाम रहा कि भाजपा प्रत्येक बूथ पर विपक्ष को चुनौती देती नजर आई। पूरे चुनाव के दौरान भाजपा के राज्य मुख्यालय पर एक वॉररूम बनाया गया था जो सभी उपचुनाव पर अपनी नजर रखे हुए था।
साथ ही लाभार्थी मतदाता, किसान, युवा, महिला, दलित और पिछडे़ वर्ग के मतदाताओं तक पहुंचने के लिए भी पार्टी ने व्यापक रणनीति बनाकर काम किया। पूरे उपचुनाव को पार्टी ने गंभीरता से लिया।
आम मतदाताओं तक पार्टी कार्यकर्ता पांच-छह बार संपर्क करने के लिए घर-घर पहुंचे। सरकार और संगठन के सामंजस्य का असर भी इस उपचुनाव में दिखाई दिया।
कटेहरी में 33 साल बाद कमल
कटेहरी में 33 साल बाद कमल खिला है। यहां पर इससे पहले 1991 में भाजपा चुनाव जीती थी। मुस्लिम बाहुल्य कुंदरकी सीट पर भी 31 वर्ष बाद भाजपा ने जीत हासिल की है।साल 1993 के बाद भाजपा को यहां पहली कामयाबी मिली है। सरकार और संगठन के समन्वय का ही नतीजा है कि उपचुनाव में भाजपा ने सपा के गढ़ करहल में उसकी नींव हिला दी। सपा ने इस सीट पर 50.45 फीसदी वोट शेयर प्राप्त किया। भाजपा ने यहां 43.33 प्रतिशत वोट पाकर सपा के पसीने छुड़ा दिए। साभार टीएन।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com
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