जौनपुर। अलीशाहपुर गांव मंगलवार को दिन भर महिलाओं की चीख-पुकार, करुण-क्रंदन से मातम में डूबा रहा। जौनपुर-रायबरेली राजमार्ग पर सोमवार की शाम टैंकर की चपेट में आने से आनापुर के पास गांव के तीन युवकों की मौत हो गई थी, जिनमें एक इकलौता बेटा था।
गांव में शोक में लोग डूबे रहे। लोगों ने दूसरे दिन भी भोजन नहीं किया। यहां तक कि बिंद बस्ती के किसी भी घर में चूल्हे नहीं जले। दुर्घटना में मृत राज बहादुर उर्फ दरोगा ने दोपहर बाद करीब दो बजे घर का हाल-चाल लेने के लिए अपनी पत्नी काजल से फोन पर बात की थी। उसने बताया था कि वह भोजन बनाने आया है। उसे शाम का भोजन बनाने से मना करते हुए खुद भोजन लेकर आने की बात कही थी।
राम प्रकाश बिंद का इकलौता बेटा सूरज अपने पिता का हाथ बंटाने के लिए पढ़ाई के साथ साथ कैटरिंग का काम करता था। उसकी बहन आरती रो-रोकर बेहोश हो जा रही थी। उसने बताया कि सूरज 12वीं में पढ़ता था। उसकी स्कूल की फीस और कोचिंग का खर्च पिता की मेहनत-मजदूरी से नहीं पूरा होता था। इसलिए वह पिता के सहयोग के लिए खुद भी कैटरिंग करने लगा था, जो एक झटके में ही गायब हो गया।
रवि के उमेश व रमेश दो बड़े भाई हैं। रामा अपने पुत्रों और पत्नी के साथ थाने पहुंचकर मृत बेटे को देखना चाहते थे, लेकिन तब तक उसका शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा जा चुका था। वे लोग जिला अस्पताल भी गए थे, लेकिन मुंह नहीं देख पाए। इसका उन लोगों को मलाल है। साभार ए यू।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com
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