जिस महिला की बचपन इतनी गरीबी में बीता, उस रूमा देवी ने 30 हजार महिलाओं को दिया रोजगार

जिस महिला की बचपन इतनी गरीबी में बीता, उस रूमा देवी ने 30 हजार महिलाओं को दिया रोजगार

बाड़मेर। रूमा देवी नाम राजस्‍थान में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ये वो महिला है, जिनका बचपन बाड़मेर के गांव मंगला बेरी में गरीबी में बीता। शादी के बाद जीवन यापन के लिए खूब संघर्ष किया और कामयाबी इस कदर कि रूमा देवी ने अपने जिले बाड़मेर की 30 हजार महिलाओं को 'नौकरी' दे रखी है।

एक तरह का वर्क फ्रॉम होम। रूमा देवी राजस्‍थान सरकार की 45 लाख महिलाओं वाली आजीविका परियोजना की ब्रांड एम्‍बेसडर भी हैं।

दरअसल, रूमा देवी ने अपने फेसबुक पेज पर संघर्ष के दिनों की कहानी और तस्‍वीर शेयर की है। बात उन दिनों की है, जब रूमा देवी अपने हाथों से बनाए हैंडीक्राफ्ट सामान की प्रदर्शनी लगाने के लिए सामान कट्टे में भरकर ट्रेन के लोकल डब्बे में सफर किया करती थीं। 8वीं तक पढ़ी-लिखी रूमा देवी अब लगभग हर देश की हवाई यात्रा कर चुकी हैं। अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में महिला सशक्तिकरण पर लेक्चर दे चुकी हैं।

रूमा देवी ने अपने संघर्ष के दिनों पर क्‍या लिखा?

27 दिसंबर 2024 को फेसबुक पेज खुद पुरानी तस्‍वीर शेयर करते हुए रूमा देवी ने लिखा-'जैसे कल की ही बात है। 15 साल पहले देश की राजधानी दिल्‍ली में यह तस्वीर ली गई थी। ट्रेन के लोकल डब्बे में कट्टे में भरकर हैंडीक्राफ्ट का सामान लेकर लोधी गार्डन के पास लगी प्रदर्शनी में गई थी।

रूमा देवी ने आगे लिखा-'उन दिनों जो खुशी अनुभव होती थी, वैसी आज दुनिया के बड़े से बड़े प्लेटफॉर्म पर भी नसीब नहीं होती। हमारे तकलीफ के दिनों में छोटी-छोटी सफलताएं असीम ताकत लाती है। उस समय हर एक सफलता अनूठी थी। भविष्य की कोई योजना नहीं, कोई पूर्व निर्धारित लक्ष्य नहीं, बस जो वर्तमान है, उसीमें जीना आता था। यह अलग बात है कि समय के साथ सफर नई ऊंचाइयों, मंजिलों को पाता गया। हम यदि वर्तमान को जीते हुए सतत चलते जायें तो मंजिल अपने-आप मिल जाएगी।'

रूमा देवी की सक्‍सेस स्‍टोरी

वनइंडिया हिंदी से बातचीत में रूमा देवी के एनजीओ ग्रामीण विकास चेतना संस्‍थान के विक्रम सिंह ने बताया कि रूमा देवी ने जो तस्‍वीर शेयर की है, तब उन्‍होंने हैंडीक्राफ्ट उत्‍पाद बनाने ही शुरू किए थे। यह उनके उत्‍पादों की तीसरी प्रदर्शनी थी। जबकि अब रूमा देवी अमेरिका, ब्रिट्रेन, सिंगापुर, जर्मनी व दुबई जैसे 15 बड़े देशों में अपने उत्‍पादों की प्रदर्शनी लगाने के साथ-साथ फैशन शो आयोजित कर चुकी हैं।

रूमा देवी ने 30 हजार महिलाओं को नौकरी कैसे दी?

विक्रम सिंह ने अनुसार रूमा देवी अपने एनजीओ के जरिए बाड़मेर के गांवों की करीब 30 हजार महिलाओं को हस्‍तशिल्‍प का प्रशिक्षण दे चुके हैं। इन महिलाओं को मास्‍टर ट्रेनर के जरिए घर पर बैठ-बैठे हस्‍तशिल्‍प उत्‍पाद बनाने और उन्‍हें बाजार में पहुंचाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। पूरे दिन यह काम करने वाले अनपढ़ महिला भी हर माह 7 से 15 हजार रुपए की कमाई कर ले रही है।

इन महिलाओं को उनके गांव व वार्ड स्‍तर पर समूह बनाकर घर पर ही 15 दिन का प्रशिक्षण दिया गया है। पूरा प्रशिक्षण न केवल निशुल्‍क रहा बल्कि कई महिलाओं को तो प्रशिक्षण के दौरान मानदेय तक दिया गया। बाड़मेर के पड़ोसी जिले बीकानेर और जैसलमेर की महिलाएं भी रूमा देवी से जुड़कर बड़ी संख्‍या में रोजगार पा रही हैं।

रूमा देवी अमेरिका में चलाती है Hope for Women

भारत-पाकिस्‍तान सीमा पर स्थित बाड़मेर की महिलाओं को घर बैठे रोजगार मुहैया करवाने के मकसद से साल 1998 में ग्रामीण विकास चेतना संस्‍थान से एनजीओ शुरू किया गया था, जिसकी वर्तमान अध्‍यक्ष रूमा देवी हैं। इसके अलावा भारत में संचालित रूमा देवी फाउंडेशन और अमेरिका में Hope for Women USA की डायरेक्‍टर भी हैं।

रूमा देवी को मिले पुरस्कार एवं सम्मान

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा महिलाओं के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार "नारी शक्ति पुरस्कार" से सम्मानित, 8 मार्च 2019 को भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा प्रस्तुत किया गया।
विश्व के प्रतिष्ठित हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने रूमा देवी को 15 फरवरी 2020 को अमेरिका में 17वें वार्षिक भारत सम्मेलन में वक्ता और पैनलिस्ट के रूप में आमंत्रित किया।
6 सितंबर 2019 को श्री अमिताभ बच्चन द्वारा प्रस्तुत लोकप्रिय रियलिटी शो 'कोन बनेगा करोड़पति' में प्रतिष्ठित 'करमवीर पुरस्कार' से सम्मानित।
महिला कारीगरों के लिए उनकी उत्कृष्ट सामुदायिक सेवा और वकालत पर यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस द्वारा मान्यता प्राप्त।
भारत की सबसे प्रतिष्ठित पत्रिका "इंडिया टुडे' द्वारा 2018 वर्षगांठ संस्करण के लिए अपने कवर पेज के चेहरे के रूप में सम्मानित।

'ट्राइब्स इंडिया के गुडविल एंबेसडर' की उपाधि से सम्मानित; राज्य सरकार की राजीविका योजना और जिला सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की ब्रांड एंबेसडर।
फाइनलिस्ट के रूप में चयनित और टीएफआई डिजाइनर ऑफ द ईयर 2019 का खिताब जीता।
7 जनवरी 2020 को चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज लेडीज विंग द्वारा प्रस्तुत जानकी देवी बजाज पुरस्कार से सम्मानित।
8 मार्च 2020 को ज्योति राव फुले विश्वविद्यालय, जयपुर द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित।
प्रतिभागियों का समर्थन और उन्हें प्रेरित करने के लिए प्रसिद्ध रियलिटी शो 'इंडियन आइडल' में आमंत्रित।
आईवुमन ग्लोबल अवार्ड्स 2019 द्वारा सम्मानित।
न्यूयॉर्क राज्य सरकार के सफ़ोक और नासाउ काउंटियों यूएसए द्वारा सम्मानित।

रूमा देवी कला और शिल्प संवर्धन

30 प्रतियोगियों के बीच फाइनलिस्ट के रूप में चयनित और टीएफआई फैशन डिज़ाइन अवार्ड्स में अपने संग्रह का प्रदर्शन किया और 'टीएफआई डिज़ाइनर ऑफ़ द ईयर 2019' का खिताब जीता।
दुबई, यूएसए, यूके में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने संग्रह को गर्व से प्रदर्शित किया।
प्रसिद्ध डिजाइनरों द्वारा संपर्क किया गया तथा डिजाइनरों बीबी रसेल, हेमंत त्रिवेदी, अब्राहम और ठाकोर, रोहित कामरा और कई अन्य के साथ मिलकर संग्रह प्रदर्शित किए।
एक मास्टर डिजाइनर और कारीगर होने के नाते, 2016 से लगातार चार वर्षों से राजस्थान हेरिटेज वीक में भाग ले रही हैं।
ईपीसीएच द्वारा आयोजित 2016 से लगातार चार वर्षों तक, एक वर्ष में दो बार, नोएडा में आईएचजीएफ स्प्रिंग समर और आईएचजीएफ ऑटम विंटर में रैंप शो में अपनी एकल भागीदारी की।
अपनी इच्छा से, वह हर साल ट्राइब्स इंडिया के सहयोग से ट्राइब्स फैशन शो में भाग लेती हैं, जिसमें विभिन्न राज्यों की सभी जनजातियों को एक स्थान पर एकत्रित किया जाता है, जो सभी चार मौसमों में नियमित रूप से आयोजित किया जाता है।
उन्होंने हस्तशिल्प को एक नया रूप दिया है, घरेलू सामान से लेकर परिधानों तक, दुनिया भर में पसंद की जाने वाली साड़ियों को एक उत्तम दर्जे का रूप दिया है। हेम टेक्सटाइल फेयर जर्मनी, सिंगापुर क्राफ्ट फेयर और प्रतिष्ठित लंदन फैशन वीक में राजस्थान राज्य की समृद्ध विरासत को बढ़ावा दिया। साभार वन इंडिया।

फाइल फोटो

रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com

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