लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने महिला ग्राम प्रधानों को सशक्त बनाने और पंचायतों में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब महिला ग्राम प्रधानों के पति या बेटे ग्राम पंचायत के खाते से डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से कोई भी भुगतान नहीं कर सकेंगे।
यह निर्णय शासन ने ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार को रोकने और शासन व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए लिया है।
चेहरे की पहचान और लोकेशन आधारित भुगतान प्रणाली
यूपी सरकार ने ग्राम पंचायतों के भुगतान प्रणाली में एक नई व्यवस्था लागू की है, जिसमें चेहरे की पहचान और लोकेशन आधारित सत्यापन की प्रक्रिया को शामिल किया गया है। अब ग्राम पंचायतों के खातों से भुगतान केवल तब किया जा सकेगा जब प्रधान और पंचायत सचिव दोनों के चेहरे की पहचान और पंचायत घर की लोकेशन का मिलान होगा।
हालांकि, वर्तमान में यूपी में ग्राम पंचायतों के भुगतान के लिए गेटवे प्रणाली लागू की गई है, फिर भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां पंचायत सचिव और प्रधान अपने दायित्वों से इतर लाखों रुपये का भुगतान करते रहे हैं। ऐसे में सरकार ने महिला प्रधानों के अधिकारों को सुनिश्चित करने और पंचायतों में पारदर्शिता लाने के लिए यह नई व्यवस्था लागू की है।
प्रोफाइल तैयार करने की प्रक्रिया
इस नई प्रणाली के तहत महिला ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिवों का डिजिटल प्रोफाइल यूपीपीआरडी पोर्टल पर तैयार किया जाएगा। इस प्रोफाइल में प्रधान, सचिव और पंचायत सहायक के नाम, फोटो और मोबाइल नंबर अपलोड किए जाएंगे। इसके लिए पंचायत गेटवे एप का उपयोग किया जाएगा, जिसे प्रधान, सचिव और पंचायत सहायक को अपने-अपने मोबाइल पर इंस्टॉल करना होगा।
पंचायत सचिव, प्रधान और पंचायत सहायक की प्रोफाइल को तैयार करेंगे और इसमें उनके चेहरे की फोटो अपलोड की जाएगी। इसके बाद एडीओ (असिस्टेंट डेवेलपमेंट ऑफिसर) एप के माध्यम से इन प्रोफाइल्स का सत्यापन करेंगे। सत्यापन के बाद ही ग्राम पंचायत के खाते से भुगतान किया जा सकेगा, और यह तभी संभव होगा जब संबंधित प्रधान और सचिव की पहचान और पंचायत घर की लोकेशन एक साथ मेल खाती हो।
पति या बेटे के द्वारा डिजिटल सिग्नेचर लगाने पर रोक
अब महिला प्रधानों के लिए यह सुनिश्चित किया गया है कि उनके स्थान पर न तो उनके पति, न ही बेटे या अन्य कोई परिजन ग्राम पंचायत के खाते से भुगतान कर पाएंगे। डिजिटल सिग्नेचर की प्रक्रिया में केवल प्रधान और सचिव का सत्यापन होगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी और गलतफहमियां और भ्रष्टाचार की संभावना कम होगी।
सरकार के इस कदम से महिला प्रधानों को अपनी भूमिका में और अधिक स्वतंत्रता और शक्ति मिलेगी। यह कदम महिला प्रधानों को न केवल जिम्मेदारी की ओर अग्रसर करेगा, बल्कि उन्हें अपनी पंचायतों में विकास कार्यों में सक्रिय रूप से भागीदार बनाने में भी मदद करेगा। अब महिला प्रधान अपने पंचायतों में निर्णय लेने और धन के सही उपयोग पर नियंत्रण रखने में सक्षम होंगी। साभार एचएन।
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फाइल फोटो |
रिपोर्ट:अमित कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ(परमार टाईम्स)
parmartimes@gmail.com
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