जौनपुर । जनपद जौनपुर तथा सुल्तानपुर की सीमा के अंतिम छोर पर पश्चिमांचल में समोधपुर ग्राम में साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन जिसमें कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुइथाकला ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि राकेश वर्मा ने उद्घाटन किया। उन्होंने कथावाचक आचार्य राघव जी को साल भेंट करके स्वागत किया। धर्मेंद्र कुमार सिंह तथा सत्येन्द्र मिश्रा ने भी माला पहनाकर, साल भेंट करके मुख्य अतिथि का अभिनंदन किया। हुए कार्यक्रम के मुख्य आयोजक धर्मेंद्र कुमार सिंह (अधिवक्ता इलाहाबाद हाई कोर्ट) तथा आचार्य सत्येंद्र मिश्रा सहित क्षेत्रीय सहयोगियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि मनुष्य को सांसारिक सुख के साथ साथ अपने आत्म कल्याण के बारे में भी चिंतन करना चाहिए जिससे मनुष्य मानव जन्म का लक्ष्य पूर्ण करके भगवान की भक्ति करते हुए अपने परलोक को सवार ले। समोधपुर में आयोजित भागवत कथा में श्री धाम वृंदावन से चल कर आए प्रसिद्ध कथावाचक श्री सच्चा बाबा के कृपा पात्र आचार्य श्री राघवजी के श्रीमद् भागवत कथा के उस प्रसंग को सुनकर श्रोता गण भाव विभोर व मंत्रमुग्ध हो गए जब वह महाराज परीक्षित का प्रसंग सुना रहे थे। आचार्य राघव जी ने राजा परीक्षित के द्वारा जंगल में शिकार करने की घटना का मार्मिक चित्रण करते हुए कहा कि जब राजा परीक्षित शिकार करने के लिए जंगल में गए हुए थे वहां वन्यजीवों का पीछा करते-करते काफी दूर निकल गए और प्यास से व्याकुल हो गए। पानी की खोज में श्रृंगी ऋषि के आश्रम में पहुंचे जहां शमीक ऋषि एकांत में अपना नेत्र बंद किए बैठे थे और ब्रह्म ध्यान में लीन थे। राजा परीक्षित ने उनसे जल मांगा किंतु ध्यान मग्न होने के कारण शमीक ऋषि ने कुछ भी उत्तर नहीं दिया।सिर पर स्वर्ण मुकुट पर निवास करते हुए कलयुग के प्रभाव से राजा परीक्षित को प्रतीत हुआ कि यह ऋषि ध्यानमग्न होने का ढोंग कर के मेरा अपमान कर रहा है उन्हें ऋषि पर बहुत क्रोध आया। उन्होंने अपने अपमान का बदला लेने के उद्देश्य से पास ही पड़े हुए एक मृत सांप को अपने धनुष की नोक से उठाकर ऋषि के गले में डाल दिया और अपने नगर वापस लौट आए। ध्यान मग्न होने के कारण शमीक ऋषि को कुछ ज्ञात नहीं हुआ किंतु जब उनके पुत्र नदी से स्नान करने के उपरांत लौटे तो उनके गले में पड़े हुए मृत सर्प को देखकर जब राजा परीक्षित के बारे में सुना तो क्रोध में आकर उन्होंने अपने कमंडल से अंजलि में जल अभिमंत्रित करके शाप दे दिया कि आज से सातवें दिन तक्षक सर्प राजा परीक्षित को डस लेगा। राजा परीक्षित द्वारा 7 दिन में ही मुक्ति का उपाय के प्रश्न के बारे में आचार्य के द्वारा कथा श्रवण करके ज्ञान रूपी गंगा में सभी श्रोता इस प्रकार लीन हो गए कि जैसे सभी अपने तन मन की सुध ही भूल गए। आचार्य राघवजी के महा योगेश्वर शुकदेव जी के द्वारा दिए गए दुर्लभ ज्ञान के रहस्यों , माया, ईश्वर, मोक्ष, मन की चंचलता आदि तमाम प्रसंग सुनकर लोग भाव विभोर हो उठे। मुख्य आयोजक धर्मेंद्र कुमार सिंह व सत्येंद्र मिश्रा ने भागवत कथा श्रवण करने के लिए आए हुए सभी अतिथियों वह आगंतुकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार प्रकट किया।
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
जौनपुर
a.singhjnp@gmail.com
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