जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद भी भ्रष्ट प्रधान के जांच में सिर्फ खानापूर्ति ।

जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद भी भ्रष्ट प्रधान के जांच में सिर्फ खानापूर्ति ।

जौनपुर । सुइथाकला विकासखंड के मदारीपुर भेेला के ग्राम प्रधान अजय कुमार द्वारा विकास कार्यों में अनियमितता तथा ग्राम पंचायत की धनराशि का बंदरबांट के मामले में मदारीपुर निवासी इंदल कुमार, गौरी शंकर मिश्रा, अर्जुन, भानु प्रताप आदि लोगों द्वारा करीब 1 महीने पहले हलफनामा सहित प्रार्थना पत्र डीएम को लिखित रूप से देकर शिकायत की गई थी जिसमें जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने जिला पंचायत राज अधिकारी को जांच सौंपी थी किंतु 1 माह बीत जाने के बाद भी संतोषजनक जांच नहीं हुई जिससे नाराज शिकायत कर्ताओं ने प्रशासन पर लापरवाही, उदासीनता और ढील देने का आरोप लगाया है। इंदल कुमार का कहना है कि ग्राम प्रधान अजय कुमार द्वारा कराए गए विकास कार्य केवल कागजों तक ही सीमित हैं जबकि हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। इंदल कुमार ने बताया कि खड़ंजा, चक मार्ग, आवास, शौचालय , स्ट्रीट लाइट, पंचायत भवन के फर्नीचर, हैंड पंप की रिबोर एवं मरम्मत, डस्टबिन, ह्यूम पाइप, जल निकासी की पाइप आदि में सरकार द्वारा स्वीकृत धनराशि का प्रधान और ब्लॉक के अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा जमकर बंदरबांट किया गया है जिससे इन सब की गर्दन फंसने का डर है इसलिए ब्लॉक के अधिकारी कर्मचारी डीएम के आदेश के अनुसार सही और निष्पक्ष जांच नहीं कर रहे हैं और प्रधान को बचाने में लगे हुए हैं जिससे अधिकारी कर्मचारी बिना शिकायत कर्ताओं से कोई संपर्क किए अपने कार्यालय में बैठकर ही मनमानी रिपोर्ट लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं इसके पीछे प्रशासन भी जांच में कोई रुचि नहीं ले रहा है। डीएम से जांच समिति गठित करवाकर उच्चाधिकारियों द्वारा निष्पक्ष जांच कराने की मांग पर उच्चाधिकारी जांच करने के लिए नहीं आ रहे हैं बल्कि वह ब्लॉक स्तर के निचले अधिकारियों कर्मचारियों को ही निरंतर जांच सौंप रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा बड़े अधिकारियों से जांच करा कर गरीबों का हक छीनने और सीधी साधी मासूम जनता को कमीशन की भेंट चढ़ाने वाले भ्रष्ट ग्राम प्रधान अजय कुमार पर कार्रवाई करने के बजाय जांच नियमावली के नियम 4 (1) अंतर्गत जांच अधिकारी नामित करने हेतु उत्तर प्रदेश पंचायत राज (प्रधानों एवं सदस्यों को हटाया जाना) जांच नियमावली 1997 में प्रधान ग्राम पंचायतों के कार्यों की जांच किए जाने हेतु जांच नियमावली के नियम 3 के अंतर्गत नियम 3(3 )एवं 3 (4) का पालन ना किए जाने का हवाला दिया गया। इंदल ने जिला पंचायत राज अधिकारी पर निष्पक्ष जांच में ढील, लापरवाही और उदासीनता बरतने का आरोप लगाया है। आरोप है कि जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय द्वारा जांच नियमावली 3 (3) एवं 3(4) के बारे में 1 महीने के बाद जानकारी दी गई। शिकायत कर्ताओं के अनुसार जांच नियमावली के नियमों की जानकारी एक महीने बाद दी गई कि एक प्रति हलफनामा के बजाय 3 प्रति हलफनामा देकर शिकायत करने के बाद ही जिलाधिकारी  द्वारा जांच समिति नामित जाने के बाद ही जांच होगी। शिकायत कर्ताओं द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशासन द्वारा सही , निष्पक्ष जांच करने के पीछे तमाम दलीलें और बहाने बनाकर प्रधान को बचाने का सिलसिला लगातार जारी है। यह प्रशासन की नाकामी ही साबित होगी कि जांच नियमावली के नियमों की जानकारी शिकायत के कुछ ही दिनों बाद क्यों नहीं दी गई और करीब 1 वर्ष से अधिक समय से लगातार शिकायत कर्ताओं द्वारा हलफनामा देकर शिकायत की जाती रही है किंतु प्रशासन द्वारा कोई न कोई बात बना ली जाती रही है। जब कोई गरीब, लाचार, अनपढ़, खेतों में मजदूरी करने वाला देहाती व्यक्ति जिसे शिक्षा नियम कानून आदि के बारे में कोई जानकारी ना हो तो क्या प्रशासन द्वारा जांच नियमावली की बात बता कर ही जांच में टालमटोल और लीपापोती की जाती रहेगी क्योंकि दिन रात खेतों में मजदूरी करने वाले किसानों को नियमावली और कानून का कोई भी भान नहीं होता। यह अधिकारियों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह पीड़ितों शोषितों को न्याय प्रदान कर दोषियों पर कार्रवाई करें शिकायत कर्ताओं को बेशक नियमों और कानूनों की जानकारी ना हो। शिकायत कर्ताओं ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि गांव के पीड़ित व्यक्ति ग्राम प्रधान की वित्तीय अनियमितता की जांच कराने की बात कर रहे हैं किंतु प्रशासन प्रधान को हटाए जाने के पीछे तमाम नियमों की दलील देकर जांच में रोड़ा अटका कर जांच को दबाने का प्रयास कर रहा है।


रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
जौनपुर
a.singhjnp@gmail.com

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