माता, पिता, मासूम समेत परिवार के सात लोगों की हत्यारिन महिला को फांसी

माता, पिता, मासूम समेत परिवार के सात लोगों की हत्यारिन महिला को फांसी

लखनऊ। अमरोहा जिले से हसनपुर क्षेत्र के गांव बावनखेड़ी में रहने वाले शिक्षक शौकत अली की इकलौती बेटी शबनम ने 14 अप्रैल, 2008 की रात को प्रेमी सलीम के साथ मिलकर जो खूनी खेल खेला था, उससे पूरा देश हिल गया था। शबनम और सलीम की बेमेल इश्क की खूनी दास्तां करीब 13 साल बाद फांसी के नजदीक पहुंचती दिख रही है।

प्रेम में अंधी बेटी ने माता-पिता और 10 माह के मासूम भतीजे समेत परिवार के सात लोगों को कुल्हाड़ी से गला काट कर मौत की नींद सुला दिया था। सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद अब शबनम की फांसी की सजा को राष्ट्रपति ने भी बरकरार रखा है. ऐसे में अब उसका फांसी पर लटकना तय हो गया है। मथुरा जेल में महिला फांसीघर में शबनम की फांसी की तैयारी भी शुरू हो गई है।
गौरतलब है कि मथुरा जेल में 150 साल पहले महिला फांसीघर बनाया गया था। लेकिन आजादी के बाद से अब तक किसी भी महिला को फांसी की सजा नहीं दी गई।
वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने बताया कि अभी फांसी की तारीख तय नहीं है, लेकिन हमने तयारी शुरू कर दी है। डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को फांसी दे दी जाएगी। शिक्षक शौकत अली के परिवार में पत्नी हाशमी, बेटा अनीस, राशिद, पुत्रवधु अंजुम, बेटी शबनम व दस महीने का मासूम पौत्र अर्श थे।
शौकत अली ने इकलौती बेटी शबनम को बड़े लाड़-प्यार से पाला था। इतना ही नहीं बेहतर तालीम दिलवाई, एमए पास करने के बाद शबनम शिक्षामित्र हो गई। लेकिन इसी दौरान शबनम का प्रेम प्रसंग गांव के ही आठवीं पास युवक सलीम से शुरू हो गया। दोनों प्यार में ऐसे डूबे कि उन्हें न घर की परवाह थी और न ही समाज की, दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन शबनम सैफी तो सलीम पठान बिरादरी से था। लिहाजा शबनम के परिवार को यह बेमेल इश्क मंजूर नहीं था। लेकिन शबनम सलीम से दूर नहीं जाना चाहती थी।

शबनम, फाइल फोटो


रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह

जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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