जौनपुर। जिले के बहुचर्चित औषधि निरीक्षक के कारनामें दवा विक्रेताओं में चर्चा और रोष का विषय बन गया है। दवा की दुकानों पर पहुंचकर जांच के नाम पर सबसे पहले सीसी कैमरा बन्द करने का हुक्म दिया जाता है और ऐसा न करने पर वे खुद कैमरे का तार अलग करने में देरी नहीं करते ताकि लेन देन की बात का कोई सबूत न रहे।
ऐसा ही मामला केराकत क्क्षेत्र के सरायबीरू गांव में स्थित प्रकाश मेडिकल स्टोर का चर्चाये आम हो रहा है। उक्त दुकान पर औषधि निरीक्षक पहुंचे और सबसे पहले दुकान का सीसी कैमरा बन्द करने का कहा तो दुकानदार ने मना कर दिया। इसके बाद उन्होने कैमरे का तार नोच दिया तब दवाओं की जांच पड़ताल हुई लेकिन किसी प्रकार की आपत्तिजनक दवा नहीं मिली लेकिन बाद में कई पत्ते प्रतिबन्धित दवा दिखा दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि दुकानदार ने इस बात से इन्कार किया कि यह मेरी दवा है और उसने आपत्ति जताया कि सीसी कैमरे का तार क्यो हटाया गया अन्यथा दवा किसने रखी यह स्पष्ट हो जाता। दुकानदार ने कहा कि उक्त दवा यहां रखकर उसे फंसाया जा रहा है।
इसके बाद उससे किसी अभिलेख पर हस्ताक्षर करा लिया गया और उससे 70 हजार रूपये की मांग की जाने लगी। दवा विक्रेता ने औषधि निरीक्षक की मनमानी और रूपया मांगने की बात एक विधायक से बतायी तो निरीक्षक ने मामला रफा दफा करने का आस्वासन दिया।
उक्त प्रकरण में दवा संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी ने भी हस्तक्षेप कर निरीक्षक को विधायक के कोप से बचाने में सहायक की भूमिका निभाई। सूत्रों का कहना है कि इसी प्रकार छापेमारी कर सीसी कैमरा बन्द कर जबरन दवा दिखाकर सौदेबाजी की जाती है। बताया कि है कि प्रति दुकानदार 10-10 हजार रूपया देने का फरमान भी सुनाया गया है और न देने पर कार्यवाही करने की धमकी दी जाती है। सूत्रों ने बताया कि इसी प्रकार शहर के एक बड़े दुकान पर पहुंचकर सीसी कैमरा बन्द कराकर कागजात उठा लिया गया है और सौदेबाजी की जा रही है।
दवा के दुकानदारों से जबरन अवैध वसूली करने के आरोपी डीआई के खिलाफ जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि भी कार्यवाही करने और कराने से न जाने क्यों परहेज कर रहे है।
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प्रतीकात्मक चित्र |
रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com
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