यातायात चालान की फोटोग्राफी कर रहे होमगार्ड पहले करते हैं सौदेबाज़ी नहीं बनी बात तो फोटो भेजते हैं सक्षम अधिकारी को

यातायात चालान की फोटोग्राफी कर रहे होमगार्ड पहले करते हैं सौदेबाज़ी नहीं बनी बात तो फोटो भेजते हैं सक्षम अधिकारी को

जौनपुर। योगी सरकार चाहें लाख कोशिश कर ले भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश की लेकीन उस व्यवस्था को बट्टा लगा रहे हैं यातायात व्यवस्था में लगाएं गए लोग, उसका एक जिता जगता मामला देखने को मिला है  जौनपुर नगर की सड़कों पर ।प्रदेश सरकार द्वारा स्पष्ट निर्देशों के बावजूद यातायात महकमे में तैनात कई  होमगार्ड नगर की की विभिन्न सड़कों पर वाहन चालकों द्वारा की जा रही  ट्रैफिक नियमों की अनदेखी की फोटोग्राफी कर रहे हैं ।राह चलते निरीह बाइक सवारों को पहले फोटो खींचकर, फिर डरा धमकाकर सौदेबाजी की जाती है।  सौदा न पटने की स्थिति में फोटो को व्हाट्सएप द्वारा सक्षम कर्मचारी को भेज दी जाती है और चालान होने की सूचना बाइक सवार के मोबाइल पर पहुंच  जाती है ।मामले का खुलासा सोमवार को उस समय हुआ जब नगर के मुख्य बाजार ओलदगंज के पकड़ी चौराहे से गुजरते हुए एक मीडियाकर्मी की बाइक का फोटो खींचकर उसके साथ सौदेबाजी की कोशिश की गई । सौदा न पटने की स्थिति में  नगर के पॉलिटेक्निक चौराहा की लोकेशन दिखाते हुए  उसका चालान कर दिया गया ।हालांकि चालान के साथ भेजी गई फोटो में चालान की जगह पकड़ी चौराहा स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है।

सूत्र बताते हैं कि यह खेल बदस्तूर जारी है।इस खेल के पीछे  की सच्चाई तो यह है सड़क की इस लूट में मिले माल की बंदरबांट के साथ-साथ मार्च के टारगेट को घर बैठे पूरा किया जा  सके।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पीड़ित पक्ष द्वारा जब इसकी शिकायत संबंधित और सक्षम अधिकारियों से की गई तो आरोपी होमगार्ड निसार अहमद पिछले पांव पर आ गया। इस संबंध में प्रभारी निरीक्षक यातायात को लिखित शिकायत  में आरोपी होमगार्ड निसार अहमद द्वारा अपने मोबाइल से अवांछित फोटो खींचने का आरोप लगाया है । खबर यह भी है इस आरोप को निसार अहमद ने मौखिक तौर पर स्वीकार कर लिया है। देखना यह है कि जिम्मेदार अधिकारी इस मामले को कैसे लेतेे है और भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या रुख अपनाते हैं

#मोबाइल के एक नहीं कई तरह के चलते हैं खेल

ड्यूटी पर तैनात होमगार्ड निसार अहमद के पास दो-तीन मोबाइल होना भी सवाल खड़े करता है ।जहां यह मोबाइल  ट्रैफिक चालान की फोटोग्राफी कर सड़क की लूट में मदद करते हैं, वही इन मोबाइलों की मदद से जेब के ऊपर लगी नेम प्लेट को भी बखूबी छुपाया जाता है। जिससे एकाएक कोई भी नाम पढ़कर उच्च अधिकारियों से शिकायत ना कर दे।


रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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