पूर्वांचल में माफ़िया गैंगवार शुरू होने की कहानी विस्तार से Vol 2

पूर्वांचल में माफ़िया गैंगवार शुरू होने की कहानी विस्तार से Vol 2

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ वर्षों से पूर्वांचल के माफियाओं की पसंदीदा जगह रही है। पिछले कुछ साल से माफिया के गुर्गों और शूटरों ने भी राजधानी में अपने छुपने और ऐशो-आराम के अड्डे बना लिए हैं। शहर के पॉश इलाकों में साल-दर साल बढ़ रहीं गैंगवॉर और एनकाउंटर इसका सबूत हैं।

शूटरों का पसंदीदा आशियाना कैसे बन गया नवाबों का शहर

दूसरे जिलों से जिलाबदर होने या पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए ज्यादातर अपराधी लखनऊ आ जाते हैं और आलीशान फ्लैटों में ऐशो-आराम से रहते हैं। किराएदारों का पुलिस सत्यापन न होने से ये अपराधी पकड़ में भी नहीं आते।

#मुख्तार अंसारी का शूटर था अजीत सिंह

विभूतिखंड के कठौता चौराहे के पास 6 जनवरी 2021 बुधवार रात गैंगवॉर में मऊ के पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह की हत्या कर दी गई थी। पुलिस की शुरुआती छानबीन में पता चला कि मऊ से जिलाबदर होने के बाद अजीत लखनऊ आ गया था।

पूर्व आईजी आरके चतुर्वेदी कहते हैं कि अजीत सिंह कोई माफिया नहीं है, बल्कि मुख्तार अंसारी का महज एक शूटर था। पुलिस के मुताबिक, वह राप्ती अपार्टमेंट में किराए पर रहता था। करीब दो माह पहले वह अलकनंदा का प्लैट छोड़कर यहां रहने आया था। इसके अलावा शूटरों की लोकेशन भी इसी इलाके में मिली है।

#अपार्टमेंट कल्चर बना मुसीबत

कुछ बरसों से राजधानी में अपार्टमेंट कल्चर की बहार आई है। चिनहट, गोमतीनगर, गोमतीनगर विस्तार, विभूतिखंड और सुशांत गोल्फ सिटी में बने अपार्टमेंटों में ज्यादातर लोगों ने निवेश के नाम पर फ्लैट लेकर किराए पर दे रखे हैं। अपार्टमेंट में किराए पर रहने वाले लोगों का पुलिस सत्यापन तक नहीं होता। ऐसे में संदिग्ध लोग बड़े आराम से इन फ्लैटों में किराए पर रहने लगते हैं।

विभूतिखंड जैसे पॉश इलाके में पुलिस चौकी से कुछ ही दूरी पर इस तरह की घटना चिंता का विषय है। अब माफिया के शूटर लखनऊ आकर घटना कर रहे हैं और यहीं छुप रहे है तो पुलिस के सूचना तंत्र पर सवाल उठेगा। ऐसे में बेहतर ट्रेनिंग और सूचना तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है - विक्रम सिंह (पूर्व डीजीपी)

#लखनऊ में हर माफिया का ठिकाना

लखनऊ और पूर्वांचल के माफियाओं का रिश्ता दशकों पुराना है। पूर्व आईजी आरके चतुर्वेदी बताते हैं कि पूर्वांचल के माफिया के लिए लखनऊ हमेशा से मुफीद जगह रही है। चाहे हरीशंकर तिवारी हो या वीरेंद्र शाही, पूर्वांचल के माफिया लखनऊ में आकर ऐशो-आराम की जिंदगी गुजारते थे और यहीं रहकर राजनीति में घुसे।
उन्होंने बताया कि माफिया श्रीप्रकाश ने शुरुआत गोरखपुर से की और उसके बाद लखनऊ को अपना गढ़ बना लिया। उसने लखनऊ में कई आलीशान मकान किराए पर लिए थे और यहीं गैंग भी ऑपरेट करता था। इतना ही नहीं, माफिया मुख्तार अंसारी, बबलू श्रीवास्तव, बृजेश सिंह, धनंजय सिंह या फिर मुन्ना बजरंगी हों, सभी ने लखनऊ में अपना-अपना कोई न कोई ठिकाना बना रखा है।

#लखनऊ ही क्यों पसंदीदा जगह

पूर्व आईजी आरके चतुर्वेदी ने बताया कि पश्चिमी यूपी के बदमाशों और माफिया को लखनऊ कभी रास नहीं आया। पश्चिम के माफिया और उनके गुर्गों ने हमेशा दिल्ली, हरियाणा, नोएडा और गुड़गांव को शरणस्थली के रूप में चुना। इसी तरह लखनऊ पूर्वांचल के माफियाओं के लिए दिल्ली के बराबर है। छुपने की जगह से लेकर हाई क्लास सोसायटी भी यहां मिलती है।

#साल दर साल बढ़ रहीं वारदात

28 जनवरी, 2014: विशालखंड में किराए पर रहने वाले हिस्ट्रीशीटर झूंसी (प्रयागराज) निवासी आशीष मिश्र और उसके साथी रोहित की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई।

5 मार्च, 2016: मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पजीत सिंह को विकासनगर में शूटरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर छलनी कर दिया। इसमें पुष्पजीत का दोस्त संजय भी मारा गया।

1 दिसंबर, 2017:  मुन्ना बजरंगी का दाहिना हाथ माने जाने वाले तारिक को गोमतीनगर में ग्वारी पुल पर शूटरों ने गोलियों से भून दिया। चार गोली लगने से मौके पर तारिक की मौत हो गई।

4 नवंबर, 2019:  विभूतिखंड में यूपी एसटीएफ ने 50 हजार रुपये के इनामी बदमाश सचिन पांडेय को मुठभेड़ में मार गिराया। सचिव ने एक ग्राम प्रधान और एक पुलिसकर्मी की हत्या की सुपारी ली थी। उसने गोमतीनगर विस्तार में एक फ्लैट में शरण ले रखी थी।

8 अगस्त, 2020:  बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में शामिल माफिया मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी के करीबी शूटर राकेश पांडेय उर्फ हनुमान पांडेय को एसटीएफ ने सरोजनीनगर इलाके में मार गिराया। राकेश ने लखनऊ में ही अपना ठिकाना बना रखा था। साभार

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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