फिल्म स्टार व सांसद रविकिशन के लगन व जुनून ने उन्हें बनाया भोजपुरी फिल्मों का महानायक

फिल्म स्टार व सांसद रविकिशन के लगन व जुनून ने उन्हें बनाया भोजपुरी फिल्मों का महानायक

जौनपुर । फिल्म जगत में अपनी मेहनत, लगन व जुनून के दम पर फर्श से अर्श तक पहुंच कर अपनी शोहरत बुलंदियों को छू लेने वाले भोजपुरी फिल्म स्टार व सांसद रविकिशन लाखों दिलों के धड़कन बने हुए हैं। वहीं, सियासत की दुनिया में भी कदम रखकर उन्होंने देश की सर्वोच्च सदन में गोरखपुर जैसे संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इनके जीवन शैली पर नजर डाली जाए तो संघर्षों से भरी जिंदगी की दास्तान भी कम दिलचस्प नहीं है। परिवार के लोग बताते हैं बचपन में सीता का रोल करने वाले रवि किशन मुंबई में साइकिल से अखबार भी बेच चुके हैं।

रविकिशन पीएम नरेंद्र मोदी संग


हालांकि इस दौरान उन्होंने मशहूर फिल्म गायक मोहम्मद रफी के जनाजे में उमड़े जनसैलाब को देखकर कुछ करने का संकल्प लिया, जिसे संघर्ष के बीच उन्होंने पूरा भी कर दिया और वह युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए हैं।

जौनपुर जिले के केराकत तहसील के बराईं ग्राम पंचायत के एक छोटे से गांव मजरे बिसुई निवासी पिता श्याम नरायन शुक्ल व माता जड़ावती शुक्ला के बेटे भोजपुरी फिल्म स्टार और गोरखपुर सांसद रवि किशन का जन्म 17 जुलाई वर्ष 1969 में हुआ था। पांच भाई-बहनों में चौथे स्थान रवि किशन ने पढ़ाई-लिखाई गांव से सटे वाराणसी के गड़खड़ा गांव स्थित प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूल से की थी।

14 वर्ष की अवस्था में वह मुंबई के बांद्रा स्थित अपने पिता के यहां चले गए। जहां इनके पिता भैंस का तबेला खोलकर दूध बेचने का कारोबार करते थे। इनकी माता जड़ावती शुक्ला(80) ने बताया कि बचपन से ही रविकिशन का नाचने-गाने में विशेष रुचि थी। वह गांव में होने वाली रामलीला में सीता का रूप रोल करते थे।

गांव की किसी की शादी-बरात में जाकर डीजे पर नाचना गाना आदत सी बन चुकी थी। मुंबई जाकर इन्होंने बीकॉम की शिक्षा ग्रहण की। इनके पिता का कारोबार उसी दौरान काफी मंदा हो गया। परिवार की हालत देख रविकिशन साइकिल से मुंबई में घर-घर जाकर अखबार बेचकर परिवार का भरण-पोषण करते थे।

इसी दौरान मशहूर फिल्म गायक मोहम्मद रफी का एक दिन देहांत हो गया, जब उनका जनाजा निकला तो लाखों की भीड़ देखकर रविकिशन ने अपने पिता से पूछा कि पापा यह किसका जनाजा जा रहा है। उनके पिता ने कहा कि मशहूर फिल्म गायक मोहम्मद रफी का जनाजा जा रहा है।

यह सुनते ही रविकिशन ने कहा कि जीवन में मैं भी कुछ ऐसा बनना चाहता हूँ, ताकि जीते जी व मरने के बाद भी लोग मुझे याद करें। हालांकि उनके पिता रविकिशन को नाचने-गाने पर उनको मारते-पीटते थे और यह कहते थे कि तुम पंडित होकर नचनिया बनोगे, जिस पर वे यह कहकर पिता जी की बात को टाल देते रहे कि मैं आपसे कुछ नहीं मांग रहा हूं।

उसके बाद फिल्मी दुनिया में कुछ करके चमकने के जुनून की धीरे-धीरे भोजपुरी फिल्म स्टार बन गए। इसके बाद सियासत में कुछ नाम कमाने की बात जब दिल में जगी तो उन्होंने देश के सबसे बड़े सियासी घराने कांग्रेस पार्टी की सोनिया गांधी से अपनी नजदीकियां बढ़ानी शुरू दीं।

रविकिशन सीएम योगी आदित्यनाथ संग


नतीजा यह हुआ कि सोनिया गांधी व राहुल गांधी ने उन्हें जौनपुर के लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी से टिकट देकर चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे दी, लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। चुनाव हारे जरूर पर सांसद बनने की तमन्ना को बुझने नहीं दी थी। यही कारण था कि देश की बदली सियासी फिजा को भापकर उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं तक अपनी पकड़ मजबूत करते हुए वे गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से टिकट लेकर चुनाव जीतने में सफल रहे और देश के सर्वोच्च सदन में अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज करा दी। साभार अमर उजाला।

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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