भारत के कई अजीब गांव जहां 90 प्रतिशत लोग संस्कृत में बात करते हैं, कई गांव ऐसे जहां की कमाई अरबों में

भारत के कई अजीब गांव जहां 90 प्रतिशत लोग संस्कृत में बात करते हैं, कई गांव ऐसे जहां की कमाई अरबों में

भारत जैसे महान देश में ऐतेहासिक धरोहरें, मंदिर, खूबसूरत जगहों के बारें में सुना और देखा ही होगा। जो आपको अन्दर से एक सुकून और शान्ति देता है, यहां पर आपको हर जगह कोई न कोई अजब-गजब चीजें मिल ही जाएगी।

आपने लेकिन आप क्या ऐसे गावों में गए है जो अपनी खासियतों के कारण प्रसिद्ध है जिनके अपने खुद के नियम कानून,एकता, एक जैसे लोगों होने का कारण फेमस है। अगर आप कुछ अलग तरह का ट्रेवल एक्सपीरियंस लेना चाहते है तो एक बार इन गांवों में जरूर जाए जहां आपको कुछ हट कर देखनें को मिलेगा। जानिए भारत के ऐसे गांवों के बारें में।.

#ऐसा गांव जहां हर कोई संस्कृत में बोलता हैं
यहां लगभग 90 प्रतिशत लोग संस्कृत में बात करते हैं। भाषा पर किसी धर्म और समाज का अधिकार नहीं होता तभी तो गांव में रहने वाले मुस्लिम परिवार के लोग भी संस्कृत उतनी ही सहजता से बोलते हैं जैसे दूसरे लोग।. कर्नाटक के शिमोगा शहर से लगभग दस किलोमीटर दूर किमी दूर मुत्तुरु और होसाहल्ली, तुंग नदी के किनारे बसे इन गाँवों में संस्कृत प्राचीन काल से ही बोली जाती है।

#एक गांव जो हर साल कमाता है 1 अरब रुपए
इस गांव की जनसंख्या 3500 है।इस गांव के फेमस होने का कारण टमाटर है। इस गांव में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है। देश का शायद ही कोई कोना होगा, जहां पर सलारपुर खालसा की जमीन पर पैदा हुआ टमाटर न जाता हो।. यूपी का एक गांव अपनी एक खासियत की वजह से पूरे देश में पहचाना जाता है। शायद आप इस गांव को नही जानते होगे लेकिन इस गांव ने देश के कोने-कोने में अपने झंडे गाड़ दिए हैं। इस गांव का नाम है सलारपुर खालसा जो अमरोहा जनपद के जोया विकास खंड क्षेत्र का एक छोटा सा गांव है।

#हमशक्लों का गांव
केरल के मलप्पुरम जिले का एक गांव कोडिन्ही जो जुड़वों के गांव के नाम से जाना जाता है। इस समय यहां पर करीब 350 जुड़वा जोड़े रहते है जिनमे नवजात शिशु से लेकर 65 साल के बुजुर्ग तक शामिल है। विश्व स्तर की बीत करें तो हर 1000 बच्चों में 4 बच्चें जुड़वां पैदा होते है। लेकिन इस गांव में हर 1000 बच्चों पर 45 बच्चे जुड़वा पैदा होते है। इस गांव में मुस्लिम की संख्या ज्यादा है। यहां पर हर जगह पमशक्ल आपतको मिल जाएगें।.

#इस गांव को कहते है भगवान का अपना बगीचा
यह गांव है मावल्यान्नॉंग गांव जो खासी हिल्स डिस्ट्रिक्ट का यह गांव मेघालय के शिलॉंन्ग और भारत-बांग्लादेश बॉर्डर से 90 किलोमीटर दूर है। सफाई के साथ-साथ यह गांव साक्षरता में भी नम्बर 1 है यहां पर 95 परिवार रहते है जिनकी जीविका का मुख्य कारण सुपारी है। हमारे देश में सफाई के मामले में बहुत पीछे है लेकिन हमारे देश में एक ऐसा गांव है जो एशिया का सबसे साफ़ सुथरा गांव है। इस गांव को भगवान का अपना बगीचा कहते है। इतना ही नहा यहां के ज्यादातर लोग अंग्रेजी में बात करते है। यहां लोग घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को बांस से बने डस्टबिन में जमा करते हैं और उसे एक जगह इकट्ठा कर खेती के लिए खाद की तरह इस्तेमाल करते हैं।.

#इस गांव में दूध दही मिलता है फ्री
आज जहां कही इंसानियत देखनें को नही मिलती जो इस दुनिया से खो गई है जहां लोग किसी से पानी के लिए नही पूछते वही यह ऐसा गांव है जहां के लोग कभी दूध या उससे बनने वाली चीज़ो को बेचते नही हैं बल्कि उन लोगों को मुफ्त में दे देते हैं जिनके पास गाए या भैंस नहीं हैं। यह अनोखा गांव है गुजरात में बसा धोकड़ा गांव। यहां के एक व्यक्ति ने बताया कि उन्हें एक महीनें में 7500 का दूध फ्री मिलता है। साभार एलएन न्यूज.

फाइल फोटो

रिपोर्ट: अमित कुमार सिंह
जर्नलिस्ट
a.singhjnp@gmail.com

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